मायावती के फैसलों ने सबको किया हैरान, क्या खोई हुई जमीन पाना हुआ आसान?

बसपा सुप्रीमो मायावती ने तमाम नेताओं को पार्टी से बाहर निकालकर तमाम सियासी पंडितों को हैरान कर दिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय हलचल मची हुई है….. बसपा सुप्रीमों मायावती लगातार एक्शन मोड में नजर आ रही है….. और ताबड़तोड़ एक के बाद एक फैसला ले रही है….. जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है…. आपको बता दें कि मायावती की पार्टी इस समय सबसे बुरे दौर से गुजर रही है…. पिछले एक दशक से बसपा का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है…. बसपा का प्रदेश में केवल एक विधायक बचा है…. लोकसभा चुनाव में भी बसपा का खाता नहीं खुला है…. और तमाम उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई है…. जिसको देखते हुए मायावती अपनी खोई जमीन को तलाशने के लिए परेशान है…. और पार्टी से तमाम नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा रही है…. उनके इस तेवर ने सबको हैरान करके रख दिया है…. और राजनीतिक पंडित तमाम तरह के कयास लगा रहे हैं…. कि कहीं मायावती अपनी खीझ मिटाने के लिए को ऐसा नहीं कर रही हैं…..

आपको बता दें कि अभी से ही सभी पार्टियां यूपी विधानसभा चुनाव दो हजार सत्ताईस को लेकर अपनी- अपनी तैयारी शुरू कर चुके हैं…. ऐसे समय में मायावती अपनी पार्टी के नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने में व्यस्त हैं…. कई बार मायावती पर बीजेपी का बी टीम होने के भी आरोप लगते रहें हैं…. तो इन सभी आरोपों को खारिज करने के लिए मायावती को अपनी पार्टी को पुरानी पहचान वापस दिलानी होगी…. लगातार बसपा के प्रदर्शन ने सबको निराश किया है…. बसपा के कोर वोटर भी पार्टी से लगातार दूर होते जा रहे हैं…… जिसको देखते हुए मायावती की बेचैनी बहुत बढ़ी हुई है…. और मायावती लगातार बैठकें कर रही है…. और अपनी खोई जमीन को वापप पाने के लिए पूरी तैयारी से जुट गई है…. वहीं मायावती के फैसलों से पार्टी को कितना लाभ होगा यह तो आगामी चुनाव में देखने को मिलेगा….

आपको बता दें कि बहुजन समाज पार्टी का आज वजूद संकट में है….. लेकिन, तेवर और एक्शन वही तीखे हैं…… पार्टी प्रमुख मायावती के बयान इसकी तस्दीक कर रहे हैं….. तीन दिन के अंदर उन्होंने तीन बार बड़े फैसले सुनाए….. और ये तीनों फैसले अपने सगे-संबंधी और उत्तराधिकारी से जुड़े थे…… कह सकते हैं कि घर के चारदीवारी में होने वाले कथित विवाद मायावती पहली बार पब्लिक प्लेटफॉर्म में लेकर आईं….. और सार्वजनिक तौर पर अपना रुख…. और इरादे जाहिर किए…..

मायावती ने यह भी साफ-साफ कर दिया कि अब उनका कोई राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं रहेगा….. भतीजे आकाश से भी लगभग मोहभंग हो गया है….. और भाई आनंद पर भरोसे की दीवार तो टिकी है…… लेकिन वो उसे दायरे में समेट रही हैं…… ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बसपा में अब सेकंड-इन लाइन में कौन-कौन नेता हैं….. जो आने वाले दिनों में मायावती के करीबी बन सकते हैं…. और आज की तारीख में भरोसेमंद बनकर संगठन और बहुजन मूवमेंट को धार दे रहे हैं…… जानकार कहते हैं कि बसपा में मायावती के सिपहसालार हमेशा उनकी आंख-कान रहे हैं….. अंदरखाने से लेकर बाहरी दुनिया तक में पार्टी को लेकर क्या गतिविधियां चल रही हैं…… ये सारी जानकारी यही सिपहसालार बसपा प्रमुख तक पहुंचाते हैं…. और वो इन सिपहसालार की बात पर भरोसा भी करती हैं…..

हालांकि, आज की तारीख में देखें तो बसपा के तमाम पुराने और दिग्गज चेहरे मायावती का साथ छोड़ चुके हैं…… जिनमें अधिकतर कांशीराम के साथी रहे हैं….. जानकार कहते हैं कि मायावती के करीबियों में सतीश चंद्र मिश्रा का नाम हमेशा सबसे आगे रहा है…… वे आज भी उनके भरोसेमंद सहयोगियों के तौर पर खरा उतरते आए हैं….. मायावती को अपने छोटे भाई आनंद पर भी उतना ही भरोसा है…… वे दशकों से पर्दे के पीछे पार्टी और संगठन के लिए काम करते आए हैं…… हालांकि, 2016 में मायावती अपने भतीजे आकाश को सार्वजनिक मंच पर लेकर आईं….. और संगठन से उनका परिचय कराया….. धीरे-धीरे आकाश की जिम्मेदारियां बढ़ाईं….. और 2019 में पहली बार आकाश आनंद को पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया….. और उन्होंने कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी अहम भूमिका निभाई…..

बता दें कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर निकालकर सबको हैरान कर दिया है…… जिस आकाश आनंद को उन्होंने खुद सियासी तौर पर तैयार किया था….. और उन्हें पार्टी में नेशनल कॉर्डिनेटर का पद दिया अपना उत्तराधिकारी बनाया…… लेकिन जब उन्हें आकाश को लेकर भी कुछ खटका तो वो सख्त कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटीं…… बसपा सुप्रीमो अपने सख्त फैसलों को लेकर जानी जाती है….. आकाश आनंद ही नहीं जब भी उन्हें किसी की हसरतें ज्यादा बढ़ती दिखीं….. और उन्होंने पर कतरने में वक्त नहीं लगाया….. बहुजन समाज पार्टी में ऐसे नेताओं की एक लंबी फेहरिस्त हैं……

जिनको बसपा सुप्रीमो मायावती ने बाहर का रास्ता दिखाया है….. इनमें कई ऐसे नेता भी जिन्होंने बसपा की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई……. साल 1984 में कांशीराम ने जब बसपा बनाई तो उससे पहले ही कई नेताओं को तैयार करना शुरू कर दिया था…… पार्टी के बढ़ने के साथ कई नेता भी इससे जुड़ते चले गए…… मायावती के हाथ में जब बसपा की बागडोर आई….. तो उन्होंने भी कई नेताओं को आगे बढ़ाने का काम किया….. लेकिन जब-जब उन्हें लगा कि किसी नेता की महत्वकांक्षाएं बढ़ रही हैं….. या वो उनके लिए खतरा हो सकते हैं…. तो इसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा…..

आपको बता दें कि बसपा में दद्दू प्रसाद, आरके चौधरी, राज बहादुर, मसूद अहमद, बरखूराम वर्मा, सोनेलाल पटेल, दीनानाथ भास्कर, बाबू सिंह कुशवाहा, सुखदेव राजभर जैसे नेता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे….. और पार्टी को आगे बढ़ाने का काम किया….. यही नहीं यूपी में जब पहली बार बसपा की सरकार बनी….. तो इन्हें मंत्री तक बनाया गया….. 1995 में जब मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं तो कई नेताओं के साथ मतभेद बढ़ते चले गए….. वहीं दीनानाथ भास्कर 1993 में सपा के साथ गठबंधन की सरकार में मंत्री थे लेकिन मायावती ने 1996 उन्हें पार्टी से निकाल दिया…… इसी तरह मसूद अहमद और राज बहादुर को भी उन्होंने पार्टी से निकाल दिया….. साल 2002 में मायावती ने आरके चौधरी को पार्टी से निकाल दिया…… 2007 में वो फिर से पार्टी में शामिल हुए….. लेकिन 2017 उन्हें फिर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया….. इसी तरह दद्दू प्रसाद भी मायावती सरकार में मंत्री रहे…. लेकिन 2015 में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया…… बाबू सिंह कुशवाहा को मायावती ने पार्टी से निकाला तो वहीं सुखदेव राजभर भी अंतिम समय तक मायावती से नाराज रहे….. बाद में उनका निधन हो गया….

इनके अलावा जयवीर सिंह, नसीमुद्दीन सिद्दिकी, स्वामी प्रसाद मौर्य, रामअचल राजभर, रामवीर उपाध्याय, ब्रजेश पाठक जैसे नेताओं को भी मायावती की नाराजगी भुगतनी पड़ी….. और उन्होंने भी अपना नया सियासी ठिकाना तलाश लिया….. इस तरह अब रामजी गौतम और रणधीर बेनीवाल बीएसपी के नेशनल कोआर्डिनेटर के रूप में सीधे तौर पर मेरे दिशा-निर्देशन में देश के विभिन्न राज्यों की जिम्मेदारियों को संभालेंगे…… पार्टी को उम्मीद है कि ये लोग पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य करेंगे…..

 

 

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