ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कूटनीतिक पहल, महबूबा मुफ्ती ने संसद के विशेष सत्र की मांग की

महबूबा मुफ्ती ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "ऑपरेशन सिंदूर के बारे में समझाने के लिए अलग-अलग देशों में सांसदों को भेजना एक स्वागत योग्य कदम है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः आतंकवाद के खिलाफ भारता सरकार की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई कूटनीतिक पहल की जा रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारत सरकार ने फैसला लिया है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजा जाएगा, ताकि पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को वैश्विक मंच पर उजागर किया जा सके। इस कदम को एक “स्वागत योग्य पहल” माना जा रहा है।

हालांकि, इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का बयान भी सामने आया है। उन्होंने केंद्र सरकार की इस कूटनीतिक रणनीति की सराहना करते हुए कहा कि, “यह एक अच्छा कदम है, लेकिन अगर सरकार इसके साथ संसद का विशेष सत्र भी बुलाती, तो यह और अधिक प्रभावशाली होता।”

महबूबा मुफ्ती ने यह भी संकेत दिया कि केवल कूटनीति अब अंतिम उपाय नहीं रह गई है, और आतंकी हमलों के खिलाफ मजबूत राजनीतिक और संवैधानिक एकता की भी जरूरत है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में हुए आतंकी हमले के बाद सामने आया, जिसमें सेना के जवान शहीद हुए थे। इसके बाद से सरकार ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव बढ़ाने का फैसला किया है।

महबूबा मुफ्ती ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “ऑपरेशन सिंदूर के बारे में समझाने के लिए अलग-अलग देशों में सांसदों को भेजना एक स्वागत योग्य कदम है. आज की दुनिया में, जहां युद्ध से सिर्फ विनाश होता है और यह अब एक अच्छा विकल्प नहीं रह गया है, यहां तक कि अंतिम उपाय के रूप में भी कूटनीति हमारा सबसे प्रभावी साधन नहीं है.” उन्होंने आगे लिखा, “हालांकि, यह ज्यादा अच्छा और लोकतांत्रिक होता अगर सरकार आंतरिक रूप से इस मामले पर चर्चा करने के लिए संसद का एक विशेष सत्र भी बुलाती, साथ ही साथ विदेश में प्रतिनिधिमंडल भी भेजती.”

 

वहीं तंगधार गांव के दौरे पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, “लोगों को नुकसान हो रहा है. लोगों की शिकायत है कि कई जगहों पर घर का ढांचा तो सही है, लेकिन गोलाबारी की वजह से अंदर से क्षतिग्रस्त हो गया है और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने इस पर ठीक से ध्यान नहीं दिया है. 1 लाख 20 हजार रुपये का मुआवजा पर्याप्त नहीं है. सरकार को आर्थिक सहायता बढ़ानी चाहिए. उनके घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और वे युद्ध भी नहीं चाहते। वे शांति चाहते हैं. अगर युद्ध होता है तो उनका क्या दोष? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस समय उन्हें स्कूल और अस्पताल की मांग करनी चाहिए थी.”

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