मिशन यूपी: कांग्रेस ने बदली रणनीति, गठबंधन से किया किनारा
अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी पार्टी, चालीस फीसदी सीटें महिलाओं को देने की योजना
- यूपी की सभी 403 सीटों पर उतारेगी उम्मीदवार, प्लान तैयार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सियासी वनवास को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया है। खुद प्रियंका गांधी ने यूपी की कमान संभाल रखी है। प्रदेश में सियासी जमीन मजबूत करने के लिए प्रियंका ने चुनाव लडऩे की रणनीति में बदलाव किया है। अब कांग्रेस किसी दल से गठबंधन नहीं करेगी बल्कि अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। सभी 403 विधान सभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी तक गठबंधन का विकल्प खुला रखने की बात करने वाली कांग्रेस ने अब एकला चलो का फैसला किया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पिछले दिनों 2022 के यूपी विधान सभा चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करने और अकेले दम पर सभी 403 सीटों पर चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के कई लोगों ने मुझसे कहा कि कुछ भी करिए गठबंधन मत करिए। मैं आप लोगों को आश्वासन देना चाहती हूं कि हम सारी सीटों पर लड़ेंगे, अपने दम पर लड़ेंगे।
हमने इसका प्लान भी तैयार कर लिया है। यूपी में यदि कांग्रेस को जीतना होगा तो पार्टी अपने दम पर ही जीतेगी। पार्टी प्रदेश की हर सीट पर अपने कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाकर उतारेगी। यूपी में भाजपा के खिलाफ सिर्फ कांग्रेस ही हर जगह पर खड़ी है। भाजपा से सिर्फ हम लड़ रहे हैं, इसलिए हम निशाने पर हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस यूपी में अब भले की अकेले चुनावी रण में उतरने का ऐलान किया हो, लेकिन कुछ दिनों पहले तक गठबंधन के लिए बेताब थी।
कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया
कांग्रेस के यूपी चुनाव ऑब्जर्वर व छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से लेकर प्रियंका गांधी तक सूबे में गठबंधन के लिए विकल्प खुला रखने की बात कह रहे थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव इमरान मसूद सहित पार्टी के तमाम नेता गठबंधन करने की पैरवी कर रहे थे। गौरतलब है कि तीन दशक के बाद यूपी में प्रियंका गांधी ने जमीनी स्तर पर 75 जिलों में संगठन खड़ा किया है और योगी सरकार के खिलाफ मुखर होकर पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया है। ऐसे में कांग्रेस का यूपी चुनाव में अकेले लडऩे से सूबे में कांग्रेस एक लीडरशिप खड़ी कर सकेगी, जो सत्ता में न रहने और गठबंधन की राजनीति के चलते खत्म हो गई है।
भविष्य पर नजर
उत्तर प्रदेश की मौजूदा सियासत में कांग्रेस जिस जगह खड़ी है वहां उसके पास सात फीसदी के आसपास वोट हैं। ऐसे में वह अकेले चुनाव लड़ती है तो इस बार भले ही कोई बड़ी सफलता न हासिल करें पर भविष्य में विकल्प बनने की उम्मीद बनी रहेगी। वहीं, कांग्रेस गठबंधन कर चुनाव लड़ती तो भविष्य में भी बैसाखी की जरूरत बनी रहती। कांग्रेस के लिए यूपी में सरकार में आने का भले ही मौका न हो लेकिन खड़े होने की जरूर संभावना है।
नहीं मिला साथ
प्रियंका-बघेल के ऑफर देने के बावजूद कांग्रेस के साथ न तो कोई बड़ा दल साथ आया और न ही किसी छोटे दल हाथ मिलाने को तैयार दिखे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव से लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कांग्रेस से गठबंधन करने के साफ मना कर दिया था। इसके चलते कांग्रेस यूपी में चुनाव में बिल्कुल अकेले पड़ गई है। ऐसे में कांग्रेस का यूपी में अब अकेले चुनावी मैदान में उतरना सियासी मजबूरी बन गया है।