मोदी-ज्ञानेश की कुर्सी पर संकट! राहुल बने काल? 30 नियमों में बड़ा बदलाव
राहुल गांधी के दबाव में आया चुनाव आयोग? मोदी-ज्ञानेश की कुर्सी पर मंडराया संकट... एक झटके में बदल डाले 30 नियम!

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारतीय राजनीति में इन दिनों एक बड़ा विवाद छिड़ा हुआ है.. विपक्ष के प्रमुख नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं.. उन्होंने दावा किया है कि चुनाव आयोग वोट चोरी को बढ़ावा दे रहा है.. और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार जैसे अधिकारी लोकतंत्र को कमजोर करने वालों की ढाल बन गए हैं.. भारत का चुनाव आयोग लोकतंत्र की रक्षा करने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था है.. यह सुनिश्चित करता है कि देश में होने वाले चुनाव निष्पक्ष.. पारदर्शी और सभी के लिए समान हों.. हाल ही में सितंबर 2025 तक के पिछले छह महीनों में.. चुनाव आयोग ने 30 से अधिक ऐसे बदलाव किए हैं.. जिनका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना.. मतदाताओं की सुविधा बढ़ाना और चुनावी व्यवस्था को और मजबूत बनाना है.. वहीं ये बदलाव मतदान केंद्रों से लेकर ईवीएम मशीनों तक.. राजनीतिक दलों की जांच से लेकर तकनीकी सुधारों तक फैले हुए हैं.. इन बदलावों से न केवल चुनाव अधिक सटीक होंगे.. बल्कि मतदाताओं का विश्वास भी बढ़ेगा..
आपको बता दें कि ये बदलाव चुनाव आयोग की लगातार कोशिशों का नतीजा हैं.. जो संविधान और विभिन्न चुनावी कानूनों जैसे प्रतिनिधित्व ऑफ द पीपुल एक्ट 1950-1951.. निर्वाचक पंजीकरण नियम 1960 और चुनाव संचालन नियम 1961 के अनुरूप किए गए हैं.. चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों ने इन पहलों को लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाई है..
चुनाव आयोग का पहला प्रमुख बदलाव मतदाताओं की सुविधा पर केंद्रित है.. अब मतदान के दिन, मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिए मोबाइल फोन जमा करने की सुविधा शुरू की गई है.. पहले, कई मतदाता मोबाइल फोन साथ लेकर आते थे.. लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें बाहर रखना पड़ता था.. जिससे असुविधा होती थी.. बता दें अब आयोग ने केंद्रों पर सुरक्षित लॉकर या जमा काउंटर की व्यवस्था की है.. जहां मतदाता अपना फोन जमा कर सकते हैं.. और मतदान के बाद वापस ले सकते हैं.. इससे मतदाताओं को चिंता नहीं रहेगी कि उनका फोन कहां रखें.. यह बदलाव विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में उपयोगी है.. जहां लोग दूर से आते हैं..
एक और महत्वपूर्ण बदलाव मतदान केंद्रों पर भीड़ को नियंत्रित करने से जुड़ा है.. पहले, प्रत्येक मतदान केंद्र पर अधिकतम 1500 मतदाता होते थे.. लेकिन अब इसे घटाकर 1200 कर दिया गया है.. इसका मतलब है कि अब कम मतदाता एक केंद्र पर होंगे.. जिससे लाइनें छोटी होंगी.. इंतजार कम होगा और मतदान प्रक्रिया तेज होगी.. चुनाव आयोग का कहना है कि इससे मतदान प्रतिशत बढ़ेगा.. क्योंकि लोग आसानी से वोट डाल सकेंगे.. उदाहरण के लिए, बड़े शहरों जैसे दिल्ली या मुंबई में जहां भीड़ ज्यादा होती है.. यह बदलाव बहुत फायदेमंद साबित होगा.. आयोग ने यह बेंचमार्क सभी राज्यों में लागू करने का निर्देश दिया है..
मतदाता सूचना पर्ची का डिजाइन भी बदला गया है.. पहले इस पर्ची में मतदाता का नाम, पता और अन्य जानकारी होती थी.. लेकिन अब मतदाता संख्या और भाग संख्या को अधिक प्रमुखता से छापा जाएगा.. वहीं यह बड़ा और बोल्ड फॉन्ट में होगा.. ताकि बुजुर्ग या कम पढ़े-लिखे मतदाता आसानी से पढ़ सकें.. साथ ही मतदाता सुविधा के लिए उम्मीदवारों को मतदान केंद्र से 100 मीटर की दूरी पर अपनी टेबल लगाने की अनुमति दी गई है.. पहले यह दूरी 200 मीटर थी.. लेकिन अब कम करके मतदाताओं को मदद पहुंचाना आसान हो गया.. उम्मीदवार यहां मतदाताओं को अपनी पर्ची या जानकारी दे सकते हैं.. लेकिन किसी तरह का प्रचार नहीं कर सकते.. यह बदलाव मतदाताओं को सही दिशा-निर्देश देने में मदद करेगा..
चुनाव आयोग ने ईवीएम में भी बड़े बदलाव किए हैं.. अब ईवीएम में उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें लगाई जाएंगी.. और उनके नाम मोटे अक्षरों में लिखे जाएंगे.. पहले नाम काले-सफेद में होते थे.. लेकिन अब रंगीन फोटो से मतदाता आसानी से पहचान सकेंगे.. यह विशेष रूप से अनपढ़ या दृष्टिबाधित मतदाताओं के लिए उपयोगी है.. साथ ही, ईवीएम की बैलट पेपर को अधिक पढ़ने योग्य बनाया गया है.. जिसमें सीरियल नंबर प्रमुखता से दिखेगा.. यह बदलाव बिहार चुनाव से शुरू हो रहा है.. और धीरे-धीरे पूरे देश में लागू होगा.. आयोग का कहना है कि इससे गलत वोट डालने की संभावना कम होगी.. और चुनाव अधिक सटीक होंगे..
वहीं एक और तकनीकी बदलाव ईवीएम की मेमोरी चिप और माइक्रो कंट्रोलर की जांच से जुड़ा है.. चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद, अब इनकी जांच और सत्यापन की प्रक्रिया में सुधार किया गया है.. तकनीकी और प्रशासनिक एसओपी के तहत.. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई छेड़छाड़ न हो.. अगर फॉर्म 17सी और ईवीएम के बीच कोई बेमेल हो.. तो वीवीपैट की गिनती अनिवार्य होगी.. इससे मतगणना में ज्यादा सटीकता आएगी.. और विवाद कम होंगे.. आयोग ने यह बदलाव पिछले चुनावों में आई शिकायतों के आधार पर किया है..
आपको बता दें कि प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाने के लिए.. ईसीआईनेट का शुभारंभ किया गया है.. यह एक वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म है.. जो मतदाताओं के लिए 40 से अधिक ऐप और वेबसाइटों को एक जगह जोड़ता है.. मतदाता यहां अपनी जानकारी अपडेट कर सकते हैं.. वोटर आईडी डाउनलोड कर सकते हैं और चुनाव से जुड़ी खबरें देख सकते हैं.. अन्य हितधारक जैसे राजनीतिक दल और अधिकारी भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.. मतदान प्रक्रिया की निगरानी के लिए.. सभी मतदान केंद्रों पर 15 प्रतिशत मतदान और 100 प्रतिशत मतगणना की वेबकास्टिंग की जाएगी.. पीठासीन अधिकारी हर दो घंटे में ईसीआईनेट ऐप पर मतदान के आंकड़े दर्ज करेंगे.. जिससे रीयल-टाइम अपडेट मिलेंगे और समय की बचत होगी..
निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर डेटा साझा करने के लिए सुव्यवस्थित सूचकांक कार्ड.. और सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार की गई हैं.. इससे अधिकारी तेजी से जानकारी साझा कर सकेंगे और चुनाव प्रबंधन बेहतर होगा..
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की सफाई पर भी जोर दिया है.. अब चरणबद्ध तरीके से 808 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाया जा रहा है.. ये दल पंजीकरण की शर्तें पूरी नहीं कर पाए, जैसे चुनाव लड़ना या रिपोर्ट जमा करना.. अभी 474 दलों को हटाया गया है.. और 359 अन्य की जांच चल रही है.. इससे फर्जी दलों की संख्या कम होगी.. और चुनावी प्रक्रिया साफ-सुथरी रहेगी.. आयोग ने संविधान और आरपीए के अनुरूप 28 हितधारकों की भूमिकाओं का मानचित्रण भी किया है.. ताकि हर कोई अपनी जिम्मेदारी समझे..
राजनीतिक दलों के साथ सक्रिय जुड़ाव बढ़ाने के लिए.. देश भर में ईआरओ, डीईओ और सीईओ स्तर पर 1 लाख 24 हजार 719 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गईं.. साथ ही 25 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के साथ बैठकें हुईं.. इन बैठकों में चुनावी मुद्दों पर चर्चा हुई और सुझाव लिए गए.. इससे दलों का सहयोग बढ़ा है..
विश्व स्तर पर भारत की साझेदारी मजबूत करने के लिए.. चुनाव आयोग ने दुनिया भर के चुनाव प्रबंधन निकायों के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं.. इनमें अनुभव साझा किए गए और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया गया.. चुनाव आयोग ने कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया है.. हर एक बूथ लेवल ऑफिसर को मानक फोटो पहचान पत्र जारी किया जाएगा.. ताकि वे आसानी से पहचाने जा सकें.. बीएलओ और बीएलओ पर्यवेक्षकों के लिए क्षमता निर्माण किया गया.. जिसमें 7 हजार से अधिक को आईआईआईडीईएम नई दिल्ली में प्रशिक्षित किया गया..
बिहार में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल एजेंटों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया गया.. तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी पहली बार आईआईआईडीईएम में ऐसा प्रशिक्षण हुआ.. 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सीईओ कार्यालयों के मीडिया और संचार अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया.. बिहार में चुनाव तैयारियों के लिए पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू किया गया..
ईसीआई में अनुशासन लागू करने के लिए हेडक्वार्टर में वर्कफ्लो का डिजिटलीकरण किया गया.. और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया गया.. बीएलओ पर्यवेक्षकों और मतदान/मतगणना कर्मचारियों का पारिश्रमिक दोगुना किया गया.. इसके लिए सीएपीएफ, निगरानी दल और माइक्रो-ऑब्जर्वर तैनात किए गए.. मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने के लिए कई कदम उठाए गए.. अलग-अलग व्यक्तियों के लिए एक ही ईपीआईसी नंबर को समाप्त कर दिया गया.. अब एसएमएस के साथ मतदाता सूची में अपडेट होने के 15 दिनों के भीतर ईपीआईसी वितरण सुनिश्चित किया जाएगा.. डिलीवरी के हर चरण में अधिसूचना भेजी जाएगी..
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया.. ताकि कोई पात्र मतदाता छूट न जाए.. अगर कोई छूट गया.. तो उसका ब्योरा दर्ज किया जाएगा.. लगभग 2 राज्यों में पहली बार और 4 राज्यों में उपचुनावों से पहले विशेष सारांश पुनरीक्षण हुआ.. ईआरओ को समय पर जानकारी के लिए मृत्यु पंजीकरण डेटा को स्थानीय निकायों से जोड़ा गया.. ताजा बदलाव मतगणना से जुड़ा है.. वहीं अब डाक मतपत्रों की गिनती ईवीएम के साथ समानांतर चलेगी.. लेकिन अंतिम दौर के नतीजे तभी घोषित होंगे.. जब डाक मतपत्रों की गिनती पूरी हो जाए.. पहले, ईवीएम की गिनती पहले खत्म हो सकती थी.. लेकिन अब पोस्टल बैलट को प्राथमिकता दी जाएगी.. यह बदलाव PwD (दिव्यांग) और वरिष्ठ नागरिकों के बढ़ते वोटों को देखते हुए किया गया है.. इससे परिणाम अधिक सटीक और निष्पक्ष होंगे.. यह 30वां प्रमुख बदलाव है..



