विपक्षी एकता के आगे मोदी सरकार की एक न चली
- लेटरल एंट्री की भर्ती का विज्ञापन किया रद
- विपक्ष के मजबूत होने के कारण पीछे हटी सरकार: मल्लिकार्जुन खरगे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। विपक्ष के भारी दबाव के आगे झुकते हुए केंद्र की एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करने के विज्ञापन को रद कर दिया है। मोदी सरकार के इस फैसले को विपक्ष ने अपनी जीत बताया है। इंडिया गठबंधन के सभी सदस्यों इसे विपक्ष के मजबूत होने का लाभ बताया। कांग्रेस ने कहा कि इसी तरह गेर एकजुट रहेंगे तो सत्ता में बैठे लोग मनमानी कर पाएंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि केंद्र सरकार को मजबूत विपक्ष के विरोध के कारण ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये की जाने वाली भर्ती को रद्द करनी पड़ी। खरगे ने दावा किया कि अगर नरेन्द्र मोदी सरकार के पास बहुमत होता तो वह आरक्षण लागू किए बिना ही सरकारी पदों पर आरएसएस के लोगों को भर देती। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, हाल में उन्होंने लेटरल एंट्री से भर्ती की शुरुआत की। उन्होंने संयुक्त सचिव की नियुक्ति करने की कोशिश की, लेकिन मैंने सुना है कि लेटरल एंट्री भर्ती प्रक्रिया वापस ले ली गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि विपक्ष मजबूत है।
पीडीए की एकता से साजिश विफल : अखिलेश
अखिलेश यादव ने कहा कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री के पिछले दरवाजे से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साजिश आखिरकार पीडीए की एकता के आगे विफल हो गई है। सरकार को अब अपना ये फैसला भी वापस लेना पड़ा है। भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये पीडीए में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है। पीडीए इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के खिलाफ 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है। साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरजोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी।
आरक्षण विरोधी प्रक्रिया पर हर स्तर पर रोक लगे : मायावती
मायावती ने यूपीएससी में लेटरल इंट्री पर जारी किए गए विज्ञापन को निरस्त किए जाने पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण विरोधी प्रक्रिया पर हर स्तर पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव व निदेशक आदि के उच्च पदों पर आरक्षण सहित सामान्य प्रक्रिया से प्रमोशन व बहाली के बजाय भारी वेतन पर बाहर के 47 लोगों की लेटरल नियुक्ति बसपा के तीव्र विरोध के बाद रद्द की गई है लेकिन ऐसी सभी आरक्षण विरोधी प्रक्रियाओं को हर स्तर पर रोक लगाने की जरूरत है।