न्यायाधिकरणों को भी ठेंगे पर रखते हैं नगर निगम के अधिकारी!

एनजीटी में दायर हलफनामे में ही कर डाला डेटा की हेराफेरी

  • प्रयागराज नगर निगम में घालमेल का खुलासा
  • लीगेसी कचरे की मात्रा में किया उलटफेर
  • एमएनआईआईटी की विश्वसनीयता पर उठे सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
प्रयागराज। कूड़े से माल कमाने के चक्कर में अधिकारी न्यायाधिकरणों के सामने भी गलत आंकड़ें पेश करने में पीछे नहीं रहते हैं। मामला प्रयागराज नगर निगम (पीएनएन) से जुड़ा है जहां नगर निगम द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में दायर हलफनामे में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। विश्लेषण से पता चलता है कि नगर निगम ने लीगेसी कचरे की मात्रा और इसके प्रबंधन को लेकर गलत आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, जिसमें एमएनआईआईटी और ठेकेदारों की मिलीभगत साफ नजर आती है।
नगर निगम ने लीगेसी कचरे के घनत्व (डेंसिटी) को लेकर असंगत मान्यताएं अपनाई हैं, जैसे 1.0, 1.39 और 1.9 टन प्रति घन मीटर। विशेषज्ञों का कहना है कि 1.9 टन प्रति घन मीटर का घनत्व सामान्य परिस्थितियों में अवास्तविक है। सामान्य रूप से लीगेसी कचरे का घनत्व 1.6-1.7 टन प्रति घन मीटर तक होता है, और केवल अत्यधिक नमी वाली स्थिति में यह 1.5-1.6 तक पहुंच सकता है। 1.9 टन प्रति घन मीटर का घनत्व ठोस पत्थर के घनत्व के करीब है, जो मिश्रित कचरे के लिए असंभव है। यह स्पष्ट रूप से डेटा में हेराफेरी का संकेत देता है। एमएनआईआईटी की रिपोट्र्स पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रयागराज के अलावा कानपुर जैसे अन्य शहरों में भी नगर निगम और ठेकेदार इनके प्रमाणपत्रों का उपयोग जनता के धन की हेराफेरी के लिए कर रहे हैं।

नागरिकों की मांग

यह मामला न केवल प्रयागराज नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि उच्च अधिकारियों की जवाबदेही पर भी प्रकाश डालता है। नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस धोखाधड़ी की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस तरह के मामले कमोवेश राज्य के हर नगर निगम में है। आम आदमी से कूड़े की सफार्ई के नाम पर यूजर चार्ज के नाम पर करोड़ों वसूले जाते हैं। घर-घर से कूड़ा लेने में भी कंपनियों द्वारा हीलाहवाली की जाती है। जैसे-तैसे कूड़ा लिया जाता है और फिर उसे कूड़ा कलेक्श्न वाले स्थानों पर यू हीं डाल दिया जाता है। आम नागरिकों ने मांग की है कि कूड़े से जुड़ी कंपनियों पर निगरानी की जाए और आम आदमी का राहत दी जाए।

14.89 लाख टन से 26.22 लाख टन पहुंचा कूड़ा

आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2015 से जनवरी 2022 तक प्रयागराज संयंत्र में प्राप्त कुल कचरे की मात्रा 14.89 लाख टन थी, जिसमें 3,00,000 टन लीगेसी कचरा (जुलाई 2015 तक) और निर्माण व ध्वंस (सीएंडडी) कचरा शामिल है। यह आंकड़ा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। सवाल यह है कि अगर इस अवधि में कचरे का कोई प्रसंस्करण नहीं हुआ और न ही कोई खाद या आरडीएफ निपटाया गया, तो यह 14.89 लाख टन कचरा कैसे 26.22 लाख टन में बदल गया? यह कचरे की मात्रा में 1.8 गुना की वृद्धि को दर्शाता है, जो असंभव है।

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