नेपाल हिंसा में ओली सरकार का बड़ा एक्शन, विपक्ष ने बुलाई अहम बैठक, 3 अप्रैल तक दिया अल्टीमेटम

4PM न्यूज़ नेटवर्क: नेपाल में हाल ही में राजशाही समर्थकों ने राजधानी काठमांडू में जमकर बवाल मचा हुआ है। इसके बाद नेपाल सरकार ने कई कड़े फैसले लिए हैं। दरअसल, नेपाल में सिर्फ 16 साल तक संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखा रहा। इसके बाद फिर से नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग उठी है, जैसा 239 साल तक रहा। वहीं इस मांग के साथ जबरदस्त हिंसा देखने को मिली है। इसे लेकर पीएम ओली और कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खुल गया। राजशाही समर्थकों ने 3 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दे दिया है जिसकी वजह से सरकार परेशान है।

वहीं हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल सरकार ने देश के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा घटा दी है। प्रदर्शन के दौरान पथराव, एक पार्टी के कार्यालय पर हमला, दुकानों में लूटपाट और वाहनों में आग लगाने की घटनाओं को अंजाम दिया गया। हिंसक झड़प के बाद नेपाल की ओली सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सुरक्षा को पूरी तरीके से बदल दिया है। जितने भी सुरक्षाकर्मी उनकी ड्यूटी पर लगे थे, उन सबको बदल दिया गया है। इसके साथ ही उनकी सुरक्षा को घटा भी दिया है।

वहीं इसी बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने के लिए आज शाम 6 बजे (स्थानीय समयानुसार) संसद में मौजूद दलों के साथ बैठक बुलाई है। प्रधानमंत्री सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार, इस बैठक में दक्षिणपंथी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) को आमंत्रित नहीं किया गया है। आपको बता दें कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह अपने निजी घर निर्मल निवास में रहते हैं। यहां पहले 25 सुरक्षा कर्मियों की तैनाती होती थी। मगर शुक्रवार की हिंसा के बाद यह संख्या घटाकर 16 कर दी गई है। राजशाही के समर्थक नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग उठा रहे हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई भी पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह से होगी।
  • इस संबंध में काठमांडू नगर पालिका ने एक नोटिस जारी किया है।
  • काठमांडू नगर निगम ने पूर्व राजा को 7 लाख नेपाली रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया है।
  • ऐसे में पूर्व राजा को यह रकम जल्द भरने को कहा गया है।

 

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