गणेश चतुर्थी पर इन मंदिरों के दर्शन की बनाएं योजना
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मेंदेव सर्वकार्येषु सर्वदा। हिंदू धर्म में जब भी किसी कार्य की शुरुआत होती है तो उससे पहले भगवान गणेश को निमंत्रण दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी कार्य की शुरुआत भगवान गणेश के आर्शीवाद से हो तो कार्य निर्विघ्न पूरा होता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन को गणेश चतुर्थी कहते हैं। हर साल 10 दिन चलने वाले गणेश उत्सव का शुभारंभ हो चुका है। गणेश चतुर्थी में लोग ढोल नगाड़ों के साथ बड़ी ही धूमधाम से बप्पा को अपने घर लाते हैं और उनकी स्थापना करते हैं। गणेश चतुर्थी की धूम पूरे देश में दिखाई देती है। अगर गणेशोत्सव के मौके पर आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो देश के सबसे बड़े और प्राचीन गणपति मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं।
गणपतिपुले मंदिर
महाराष्ट्र के कोंकण में रत्नागिरी जिले में स्थित भगवान गणेश का ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि ये यहां स्थापित बप्पा की प्राकृतिक रूप से स्थापित हुई है। ये मूर्ति लगभग 400 साल पुरानी है। ऐसे में इस मंदिर में बप्पा से दर्शन के लिए लोग सालभर आते हैं। आप भी चाहें तो इस गणेशोत्सव में बप्पा के दर्शन की योजना बनाएं।
त्रिनेत्र मंदिर
राजस्थान के रणथंभौर में स्थित त्रिनेत्र मंदिर देश का सबसे प्राचीन बप्पा का मंदिर कहलाता है। इसके साथ ही ये पूरी दुनिया में इकलौता ऐसा गणेश मंदिर है, जहां श्री गणेश की तीन नेत्रों वाली प्रतिमा विराजमान है। इसके साथ ही इस मंदिर में गणपति बप्पा अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर
महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन के लिए लोग काफी दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर की स्थापना 1801 में की गई थी। ऐसी मान्यता है कि सिद्धिविनायक मंदिर में सच्चे मन में मुराद मांगने वालों की मन्नत पूरी होती है। यही वजह है कि बप्पा के दर्शन के लिए लोग विदेशों तक से आते हैं।
दगडूशेठ हलवाई गणपती
अगर आप पुणे में या उसके आस-पास रहते हैं, तो श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर के दर्शन करने अवश्य जाएं। इस प्रसिद्ध मंदिर में 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी गणपति की विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे कीमती सोने के आभूषणों से सजाया गया है। यह मंदिर अपनी भव्यता और यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होने के कारण प्रसिद्ध है। बप्पा के दर से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। यहां बप्पा 30 दिनों में भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। यह मंदिर दगरूसेठ हलवाई और पुणे के गोडसे परिवार की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है।
चिंतामण गणेश मंदिर
वैसे तो उज्जैन को महाकाल की नगरी कहा जाता है, लेकिन यहां भी महाकाल के पुत्र भगवान श्री गणेश का एक प्राचीन मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान गणेश की तीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। इनमें से पहली चिंतामण, दूसरी इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक गणेश प्रतिमा हैं। अगर आप महाकाल के दर्शन को जा रहे हैं तो चिंतामण गणेश मंदिर के भी दर्शन करें।