भागवत के बयान पर फिर राजनीति गरमाई, आरएसएस चीफ बोले- हिंदू ग्रंथों की फिर समीक्षा हो
- पहले ज्ञान की परंपरा मौखिक थी
- स्वार्थी लोगों ने गलत चीजें शामिल की
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नागपुर। अपने बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाले आरएसएस चीफ मोहन भागवत एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वह हिंदू धर्म ग्रंथों की दोबारा समीक्षा करने की बात कह कर बहस के केंद्र में आ गाए हैं। उनके बयान के बाद राजनीतिक दलों की भी प्रतिक्रिया आई है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू धर्म ग्रंथों की दोबारा समीक्षा करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां पहले ग्रंथ नहीं थे। हमारा धर्म मौखिक परंपरा से चलता आ रहा था। बाद में ग्रंथ इधर-उधर हो गए और कुछ स्वार्थी लोगों ने ग्रंथ में कुछ-कुछ घुसाया जो गलत है। उन ग्रंथों, परंपराओं के ज्ञान की फिर एक बार समीक्षा जरूरी है। विदेशी आक्रमणों के कारण हमारी व्यवस्था नष्टï हो गई हमारे पास वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी था, जिसके आधार पर हम चले। लेकिन विदेशी आक्रमणों के कारण हमारी व्यवस्था नष्टï हो गई, हमारी ज्ञान की परंपरा खंडित हो गई। हम बहुत अस्थिर हो गए। इसलिए हर भारतीय को कम से कम कुछ बुनियादी ज्ञान होना चाहिए कि हमारी परंपरा में क्या है, जिसे शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ लोगों के बीच सामान्य बातचीत के जरिए हासिल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारतीयों ने अपने पारंपरिक ज्ञान के आधार का पता लगाया और पाया कि वर्तमान समय के लिए क्या स्वीकार्य है, तो दुनिया की कई समस्याओं को हमारे समाधान से हल किया जा सकता है।
पहले कहा था- जाति भगवान ने नहीं पंडितों ने बनाई
रविदास जयंती पर मुंबई में हुए एक इवेंट में भागवत ने कहा था- जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया। गणतंत्र दिवस के मौके पर जयपुर में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि अंग्रेज भी चले गए हैं। अब हमको भी अपने मन को विशाल करना होगा और उन सभी बेडय़िों को तोडऩा होगा। जो हमको बार-बार पीछे खींचती हैं। इस दौरान उन्होंने अम्बेडकर को भी याद किया। भागवत ने कहा कि हर गणतंत्र दिवस पर अम्बेडकर के उस संदेश को भी जरूर पढऩा चाहिए। जिसमें उन्होंने लिखा था कि अब कोई बंदिश नहीं है।
कुछ प्राचीन किताबें खो गईं, नई में गलत दृष्टिकोण डाला
भागवत ने कहा कि भारत का पारंपरिक ज्ञान का आधार बहुत बड़ा है, हमारी कुछ प्राचीन किताबें खो गईं, जबकि कुछ मामलों में स्वार्थी लोगों ने इनमें गलत दृष्टिकोण डाला। लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए गए सिलेबस में अब ऐसी चीजें भी शामिल हैं, जो पहले नहीं थीं।
मेघालय में सरकार बनने से पहले दरार
- संगमा सरकार की राह मुश्किल
- एचएसपीडीपी के दो विधायकों ने दिया समर्थन, पार्टी ने लिया वापस
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
शिलांग। मेघालय की राजनीति में दिलचस्प सियासी मोड़ आ गया है, जिसके बाद कोनराड संगमा की सरकार बनाने की राह मुश्किल होती नजर आ रही है। कोनराड संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी को समर्थन देने वाली स्थानीय पार्टी के दो विधायकों ने सरकार बनाने का समर्थन दिया था लेकिन कुछ ही देर में पार्टी ने समर्थन से इनकार कर दिया।
शुक्रवार (3 मार्च) को कोनराड संगमा ने राज्य के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। एनपीपी नेता ने राज्य के 32 विधायकों के समर्थन का हस्ताक्षरित पत्र राज्यपाल को सौंपा था। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 31 विधायकों की जरूरत है।
दिन में समर्थन, शाम को वापस
संगमा ने जिन 32 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा था उसमें एनपीपी के 26 विधायक, बीजेपी के 2, हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्र ेटिक पार्टी के 2 और दो निर्दलीय विधायकों के हस्ताक्षर थे. पत्र सौंपने के बाद कोनराड संगमा ने कहा था कि हमारे पास पूर्ण बहुमत है। बीजेपी ने पहले ही अपना सपोर्ट दिया है। कुछ दूसरों ने भी अपना समर्थन हमें सौंपा है। शुक्रवार दिन में समर्थन पत्र सौंपने के कुछ ही देर बाद देर शाम को एचएसपीडीपी ने एक पत्र से सियासी तस्वीर बदल गई। इस पत्र में एचएसपीडीपी ने कहा कि उसने अपने विधायकों को एनपीपी के नेतृत्व वाली सरकार गठन को समर्थन देने के लिए अधिकृत नहीं किया है। एचएसपीडीपी के अध्यक्ष केपी पांगनियांग और सचिव पनबोरलंग रिनथियांग ने एनपीपी अध्यक्ष कोनराड संगमा को लिखे पत्र में कहा है कि एचएसपीडीपी ने आपकी सरकार के गठन के लिए समर्थन देने के लिए दो विधायकों-मेथोडियस डखार और शाक्लियर वारजरी को अधिकृत नहीं किया। पार्टी (एचएसपीडीपी) की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है और इसलिए आपकी पार्टी से अपना समर्थन वापस लेती है, जो आज (शुक्रवार) से ही प्रभावी होगा। इसकी एक प्रति राज्यपाल को भी भेजी है।
कोर्ट में पेश हुए सिसोदिया
- फैसला सुरक्षित, 10 को फिर सुनवाई
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सीबीआई को मिली पांच दिन की रिमांड शनिवार को खत्म होने के बाद सिसोदिया को राउज एवेन्यू अदालत में पेश किया गया जहां सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया। अगली सुनवाई 10 मार्च तक टाल दी गई।
मनीष सिसोदिया की पेशी को लेकर सीबीआई मुख्यालय के बाहर दिल्ली पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स और सीआरपीएफ को तैनात किया गया है। सिसोदिया को 2021-22 की रद्द हो चुकी शराब नीति तैयार करने और इसे लागू करने में कथित भ्रष्टाचार में करीब आठ घंटे की पूछताछ के बाद रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। अदालत ने 27 फरवरी को सिसोदिया को सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था ताकि सीबीआई को इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए किए जा रहे सवालों के सही जवाब मिल सके।