राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने बदल दी देश की राजनीति
- देश के लोगों में जगी उम्मीद, जनता के लिए कांग्रेस एकमात्र धर्म निरपेक्ष दल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा के जरिए अपनी उस छवि से उबारने की कोशिश कर रहे हैं, जो भाजपा ने उनका मजाक उड़ाते हुए बना दी थी। यात्रा को मिल रहे अपार जनसमर्थन से राहुल गांधी एक जननेता के रूप में उभर आए हैं, उनकी इमेज बनती हुई दिख रही है। एक ऐसा नेता जिसके पीछे भीड़ एकत्रित हो सकती है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 3570 किलोमीटर लंबी यात्रा में से राहुल गांधी 1000 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं।
पांच राज्यों से गुजरने के बाद यह स्पष्टï हो चुका है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने देश की राजनीति को एक नई दिशा दे दी है। कांग्रेस में नई जान फूंक दी है। राहुल गांधी की यात्रा से देश के लोगों को एक उम्मीद जगी है। क्योंकि परिस्थितियां ही ऐसी है जिसमें जनता विकल्प ढूंढ रही है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि वर्तमान में रोजगार के अवसर घट गए हैं। असंगठित क्षेत्र (जो देश में 80 प्रतिशत से ज्यादा रोजगार देता है) की कमर टूट गई है। स्वरोजगार के अवसर (जिसके बूते बांग्लादेश भी हमसे आगे निकल गया) अडानी और अंबानी को जा रहे हैं। शिक्षण संस्थानों में कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स से किसी प्रकार काम चलवाया जा रहा है। देश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बुरी है और इन सब के बीच देश को अमृत काल और विश्व गुरु बनने का सपना भी बेचा जा रहा है। स्वाभाविक है कि धीरे-धीरे ही सही, लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की इस यात्रा से लोगों की आंखें खुलनी शुरू हो गई हैं।
सीबीआई और ईडी का डर भी नहीं रोक पाया राहुल को
बताते चलें कि 1974 में यदि पटना में छात्रों के जुलूस में जेपी पर लाठी नहीं चली होती तो शायद हिंदुस्तान में गैर-कांग्रेसवाद के दम पर दिल्ली की सत्ता की कल्पना भी शायद संभव नहीं होती। राजीव गांधी के वित्त मंत्री वीपी सिंह यदि अमिताभ बच्चन और धीरूभाई अंबानी से नहीं टकराए होते तो राजीव गांधी उन्हें कैबिनेट से नहीं हटाते। आप और हम लालू, मुलायम, कांशीराम, नीतीश मायावती, देवेगौड़ा, कल्याण सिंह, नरेंद्र मोदी जैसों के नाम भी नहीं सुन पाते। क्योंकि बिना मंडल के क्यों कोई पार्टी पिछड़े वर्गों को आगे लाने की भला क्यों सोचती? सब पार्टियों में (लेफ्ट से राइट तक) तो सवर्णवादी मानसिकता अंदर तक घुसी हुई थी। कमोबेश इसी प्रकार की कोशिश राहुल गांधी करते दिख रहे हैं। क्योंकि उन पर भी यदि सीबीआई और ईडी के द्वारा दबिश नहीं बढ़ाई गई होती तो शायद आज आप उस राहुल गांधी को नही देख पाते, जिन्हें आप अब देख पा रहे हैं।
भाजपा को 140 सीटों पर रोकना होगा
राहुल गांधी के असर को उन इलाकों में देखा जाना है जहां मोदी फैक्टर है। यानी हिंदी भाषी भारत और गुजरात, जहां कुल मिला कर 271 लोक सभा सीटें हैं और इनमें से 222 सीटें अकेले भाजपा के पास हैं। इन इलाकों में कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटें मिली थी। इसलिए यदि राहुल गांधी को अपने मिशन में कामयाब होना है तो इन इलाकों में भाजपा को 140 के नीचे हर हाल में रोकना होगा। राहुल गांधी के जोश और उत्साह, उनके साथ जुड़ रही आम जनता की उम्मीद कि इन सब के साथ यदि कांग्रेस का संगठन भी अपनी पूरी ताकत लगा दे तो ये कोई मुश्किल काम नहीं है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के आदेश पर लगाई रोक
बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने पोस्ट हटाने की शर्तों के साथ कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि कांग्रेस को प्रतिवादी के कॉपीराइट का उल्लंघन करने वाले पोस्ट के स्क्रीनशॉट उपलब्ध कराने होंगे। एमआरटी म्यूजिक कंपनी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा के हैंडल पर केजीएफ-2 के गानों के साथ वीडियो शेयर किए गए। कंपनी ने कांग्रेस पर कॉपीराइट का केस किया था। शिकायत के बाद बेंगलुरु की एक अदालत ने कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा के ट्विटर हैंडल को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था।
ये है मोदीजी के घबराहट का कारण
ये हलचल स्वाभाविक ही है। क्योंकि आपने देखा होगा कि रेलवे-एनटीपीसी या अग्निपथ के बवाल ने युवाओं को रोड पर ला दिया। किसान 13 महीने सडक़ पर रहे। सरकारी कर्मचारी पेंशन की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ हैं। अब तक इन्हें कामयाबी इसलिए नहीं मिल रही थी क्योंकि ये संगठित नहीं थे। भारत जोड़ो यात्रा ने इन्हें संगठित वोट बैंक में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी वजह से दक्षिण भारत में मोमेंटम बना है और उत्तर भारत मोमेंटम बनने की प्रतीक्षा में है। हाल ही में कांग्रेस के अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खडग़े संगठन को कितनी धार दे पाएंगे ये भी आने वाले महीनों में पता चलेगा। इतना जरूर है कि इस यात्रा ने और राहुल गांधी के जीवट ने आने वाले दौर के लिए एजेंडा सेट करने का काम तो मोदी एंड कंपनी से जरूर छीन लिया है और संभवत: यही मोदीजी की घबराहट का सबसे बड़ा कारण भी है।