समान अचार सहिंता, सियासी या समाजी शिगूफा

मुस्लिम पक्षकार बोले-पर्सनल लॉ पर हस्तक्षेप अनुचित

  • भाजपा कर रही ध्रुवीकरण : कांग्रेस
  • टीएमसी बोली चुनावी हथकंडा
  • संविधान के आर्टिकल 44 में है इसका जिक्र

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भोपाल में समान आचार सहिंता (यूसीसी)पर प्रधानमंत्री के बयान के बाद राजनीतिक गलियारों से भी प्रतिक्रिया आने लगी है। कांग्रेस ने इसे मुद्दों से भटकाने वाला बताया है तो टीएमसी ने चुनावी शिगूफा कह कर किनारा कर लिया है। जबकि आम आदमी पार्टी ने सैंद्धांतिक सहमति की बात कर सत्ता पक्ष को राहत देने वाला काम किया। वहीं मुस्लिमों की आवाज उठाने वाले नेता इसे मोदी सरकार का दिखावा बता रहे है तो कुछ कह रहे हैं ये मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों का हनन करने वाला बनेगा और आपसी सौहाद्र खराब होगा।
विपक्षी दलों ने इसे लोकसभा चुनाव 2024 से पहले वोटों के ध्रुंवीकरण की कोशिश के तौर पर पेश किया है, वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी तक ने यूसीसी पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। मुस्लिम समुदाय यूसीसी को धार्मिक मामलों में दखल के तौर पर देखते हैं। यूसीसी का विरोध करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का मानना है कि यूसीसी की वजह से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का वजूद खतरे में पड़ जाएगा। मुस्लिम धर्मगुरुओं का कहना है कि शरीयत में महिलाओं को संरक्षण मिला हुआ है। वहीं, यूसीसी के जरिए मुसलमानों पर हिंदू रीति-रिवाज थोपने की कोशिश किए जाने का शक है।

मोदी सरकार के तरीके से सहमत नहीं : आप

आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह सैद्धांतिक रूप से समान नागरिक संहिता के पक्ष में है लेकिन जिस तरह से मोदी सरकार इसे लागू करना चाहती उसके खिलाफ है। आम आदमी पार्टी से राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा है कि सैद्धांतिक तरीके से हम इसका (यूसीसी) समर्थन करते हैं, मगर केंद्र सरकार जिस तरह से इसे लागू करना चाहती है, हम उसका समर्थन नहीं करते हैं। संदीप पाठक ने कहा कि आर्टिकल 44 भी इसका समर्थन करती है कि देश में यूसीसी होना चाहिए। चूंकि यह मुद्दा ऐसा है जो देश के सभी धर्म संप्रदाय से जुड़ा हुआ इसके लिए बड़े स्तर पर विचार विमर्श होना चाहिए। देश के सभी वर्गों का सुझाव, सभी पार्टियों से विचार-विमर्श होना चाहिए। कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जिन्हें रिवर्स नहीं किया जा सकता है, ऐसे में उस पर प्रॉपर बहस और विचार होना चाहिए, यह मुद्दा भी वैसा ही है।

संविधान देता है भारत के लोगों के बीच विविधता तथा बहुलता को मान्यता

आभासी तौर पर उनकी तुलना सही प्रतीत हो सकती है, लेकिन सच्चाई काफी अलग है। एक परिवार का तानाबाना रक्त संबंधों से बनता है, एक राष्ट्र को एक संविधान से जोड़ा जाता है, जो एक राजनीतिक-कानूनी दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि एक परिवार में भी विविधताएं होती हैं, भारत का संविधान भारत के लोगों के बीच विविधता तथा बहुलता को मान्यता देता है। गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता लंबे समय से भाजपा के तीन प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक रही है, जिसमें दूसरा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण है। विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से राय मांगी थी।

यूसीसी मतलब एक ही तरह का कानून

समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की विचारधार पर आधारित है। ष्टष्ट के अंतर्गत देश के सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक ही कानून लागू किया जाना है। समान नागरिक संहिता का अर्थ यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है।

कांग्रेस को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए : नकवी

इधर, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि समान नागरिकता संहिता पर कांग्रेस को अपना रुख स्पष्ट करना पड़ेगा। क्या वो यूसीसी के समावेशी कानून के साथ है या सांप्रदायिक करतूत के साथ है।

रिफॉर्म बेहद जरूरी, राजनीति करना ठीक नहीं : जमीयत सदस्य

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय सचिव नियाज अहमद फारुकी ने कहा कि रिफॉर्म बेहद जरूरी हैं, लेकिन उस पर राजनीति करनी ठीक नहीं है। यही वक्त है, कॉमन सिविल कोड को लाने का। दुनिया के 80 देशों में ये कानून है, क्या वहां धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है? आजादी के बाद भी ज्यादातर लोग इसके पक्ष में थे। फिर ये सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं है, इसके दायरे में हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग आएंगे। हालांकि, पीएम मोदी के बयान के बारे में पूछने पर अहमद फारुकी ने कहा कि ये प्रधानमंत्री ने राजनीतिक बयान दिया है। प्रधानमंत्री को ये बयान नहीं देना चाहिए था। प्रधानमंत्री मोदी ने ये बयान देकर 2024 चुनाव की पिच तैयार की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मीटिंग में हम अपना ड्राफ़्ट तैयार कर लॉ कमीशन से मिलेंगे।

यूसीसी कोई नया मुद्दा नहीं : अवस्थी

समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋ तुराज अवस्थी ने बताया कि विधि आयोग द्वारा नोटिस के संचार के बाद हमें समान नागरिक संहिता पर भारी प्रतिक्रिया मिली है। कल तक हमें 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिल चुकी हैं। उन्होंने कहा कि यूसीसी कोई नया मुद्दा नहीं है, संदर्भ 2016 में प्राप्त हुआ था, एक परामर्श पत्र 2018 में जारी किया गया था। 2018, नवंबर 22 तक, विधि आयोग कार्यात्मक नहीं था। 22 नवंबर को नियुक्तियां की गईं और इस मामले को उठाया गया और हम उस पर काम कर रहे हैं। समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋ तुराज अवस्थी कहते हैं कि हम सभी हितधारकों और संगठनों के साथ व्यापक परामर्श करने का प्रयास कर रहे हैं।

मुस्लिमों के अधिकारों के हनन की कोशिश : मुस्लिम धर्मगुरु

यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) यानी देश के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी का जिक्र करते हुए कहा कि एक घर में दो कानून कैसे चल सकते हैं? उन्होंने कहा कि इस मुद्दे से मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा है। इससे पहले लॉ कमीशन ने यूसीसी को लेकर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से 30 दिनों के भीतर उनके विचार मांगे थे। एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड सिर्फ इसलिए लाना चाहते हैं कि मुस्लिम अक्लियत को उनके मजहब से उनकी मजहबी शिनाख्त को कमजोर करके रख दिया जाए। अगर कोई धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो नहीं कर सकता. जब तक इजाजत न ले। ओवैसी ने कहा, इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रेक्ट है हिंदू में जन्म-जन्म का साथ, यूनिफॉर्म सिविल कोड की नहीं, हिंदू सिविल कोड की बात है.। भारत के मुसलमान को टारगेट करना मकसद है. एक तरफ आप पसमांदा मुसलमानों के लिए घडय़िाली आंसू बहा रहे हैं। दूसरी तरफ आपके प्यादे उनकी मस्जिदों पर हमला कर रहे हैं, उनकी लिंचिंग के जरिए हत्या कर रहे हैं।

फिरकापरस्त लोगों की तरफ से ये एक सियासी मसला : अरशद मदनी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने यूसीसी को लेकर कहा, 1300 साल से पूरी दुनिया और भारत का मुसलमान जिस पर्सनल लॉ के तहत अपनी जिंदगी गुजार रहा ह,ै हम उसे ही जरूरी समझते हैं और उसे रखना चाहिए, हम यूसीसी के खिलाफ कोई एहतजाज या सडक़ों पर नहीं उतरेंगे, ये फिरकापरस्त लोगों की तरफ से ये एक सियासी मसला है। इसकी कोई वास्तविकता नहीं है। समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा, इस्लाम की मजहबी पॉलिसी अलग है, हिंदू-सिख-ईसाईयों की अलग है, सबकी पॉलिसी अलग-अलग है तो उन्हें एक जैसा कैसे किया जा सकता है।

मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश : चिदंबरम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत किए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि ‘एजेंडा आधारित बहुसंख्यक सरकार इसे लोगों पर थोप नहीं सकती, क्योंकि इससे लोगों के बीच ‘विभाजन बढ़ेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि प्रधानमंत्री बेरोजगारी, महंगाई और घृणा अपराध जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए समान नागरिक संहिता की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समान नागरिक संहिता का इस्तेमाल समाज के ध्रुवीकरण के लिए कर रही है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सुशासन में नाकाम रही भाजपा अगला चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए यूसीसी का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने यूसीसी की वकालत करते हुए एक देश की तुलना एक परिवार के साथ की है।

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