ईद बाद नया मोर्चा बना सकते है शिवपाल-आजम!
- फर्रूखाबाद में प्रसपा प्रमुख ने दिए इस बात के संकेत
- बीजेपी में जाने पर शिवपाल को सियासी जमीन खोने का डर
दिव्यभान श्रीवास्तव
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच गर्माहट जारी है। इसी बीच शिवपाल यादव के नए बयान से यह साफ हो गया है कि वे बीजेपी में नहीं जाएंगे। शिवपाल यादव प्रदेश के वरिष्ठï नेता है। फिलहाल अभी वो प्रसपा प्रमुख व समाजवादी पार्टी से विधायक है। ऐसे में उन्हें अपनी सियासी जमीन खोने का डर हैं और इसी डर की वजह से वे बीजेपी में नहीं जाएंगे, बल्कि सीतापुर जेल में बंद आजम खां के जेल से बाहर आने के बाद मिलकर दोनों नया मोर्चा बना सकते हैं। यह मोर्चा ईद बाद बन सकता है या फिर प्रसपा संगठन को नए सिरे से खड़ा करेगी। आजम खां से शिवपाल ने करीब एक घंटे मुलाकात की थी। इसके बाद उनके घर वालों ने शिवपाल को अच्छा नेता बताया था।
दरअसल, फर्रूखाबाद में बीजेपी में जाने वाले अखिलेश के सवाल पर शिवपाल सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि नेता जी (मुलायम सिंह यादव) का यह फैसला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी कर रहे हैं। शिवपाल सिंह यादव फर्रूखाबाद में एक पेट्रोल पंप के उद्ïघाटन के लिए पहुंचे थे, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। इसी बीच में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे केस में आजम खान को परेशान किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी को भी ध्वस्त कर दिया गया। अखिलेश यादव गैर जिम्मेदाराना व नादानी भरे बयानबाजी कर रहे हैं।
शिवपाल ने कहा अगर बीजेपी में भेजना चाहते हैं तो बहुत शीघ्र समाजवादी विधानमंडल दल से निकाले। उन्होंने आजम खान के नए मोर्चे पर बताया कि जेल से बाहर आने की पर फैसला लिया जाएगा और मैं आजम खान के साथ हूं। साथ ही साथ शिवपाल यादव ने बताया कि निर्णय पार्टी के नेताओं के साथ ईद के बाद बैठक में लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नेताजी की अगुवाई में आजम खान की मदद होनी चाहिए थी। उन्होंने प्रधानमंत्री की नरेंद्र मोदी की तारीफ की। समाजवादी पार्टी में आंदोलन संघर्ष में नहीं दिखाई नहीं देता है। यही नहीं, शिवपाल ने बीजेपी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि बढ़ती हुई महंगाई पर सरकार को लगाम लगानी चाहिए, जिससे लोगों को राहत मिल सके।
दलित-मुस्लिम-जाट समीकरण बनाने की तैयारी
आजम खां का खेमा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज है। उनके मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने खुले तौर पर सपा प्रमुख पर रामपुर विधायक की उपेक्षा के आरोप लगाए हैं। आजम खान की मुस्लिम समुदाय में लोकप्रियता भी हैं, लिहाजा समाजवादी पार्टी का मुस्लिम वोट प्रभावित हो सकता है। उधर शिवपाल सिंह यादव की यादव और दलितों में लोकप्रियता है। इधर रालोद के राष्टï्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की मुलाकात के भी कई मायने निकले जा रहे हैं और आजाद समाज पार्टी के नेता भी आजम के बेटे अब्दुल्ला से मिल चुके हैं। इन सभी बातों और मुलाकातों से कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर नए दल का गठन होता हैं तो उसको दलित-मुस्लिम-जाट समीकरण के रूप में काफी फायदा मिल सकता है। साफ है कि समाजवादी पार्टी के लिए आगे स्थितियां थोड़ी और संघर्षपूर्ण नजर आ रही हैं।