तो 30 रुपए में गोवंश भूखों मर जाएगा!
- मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना में रोजाना प्रति गोवंश पशुपालकों को दिए जाते हैं 30 रुपए
- खर्च आता है कम से कम 120 से 150 रुपये रोजाना
चेतन गुप्ता
लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार एक गोवंश का पेट भरने के लिए 30 रुपए की राशि पशुपालकों को दे रही है जबकि गोवंश का पेट पालने के लिए न्यूनतम खर्च आता है 100 रुपए से ऊपर। मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत अब तक पशुपालकों को एक करोड़ 44 लाख 326 रुपए दिए जा चुके हैं। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 11 लाख 84 हजार गोवंश है, जिसमें प्रदेश सरकार द्वारा संरक्षित गोवंश की संख्या लगभग 8,58,518 है। पूरे प्रदेश में 6,347 गौशालाएं हैं जिनमें अस्थाई 5535 है। 75 गौशाला निर्माणाधीन है। इन सभी गौशालाओं के लिए 1 करोड़ 20 लाख रुपए दिए जा चुके हैं। जिनमें से 40 बनकर तैयार हो गई है और दिसंबर तक सभी गौशालाओं को पूरा करने का लक्ष्य है। पूरे प्रदेश में करीब 198 कान्हा गौशाला, 377 कांजी हाउस, 237 वृहद गौशाला है।
गोवंश की खुराक की बात करें तो सरकार की तरफ से जो भुगतान किया जाता है वह सात रुपए प्रति किलो के हिसाब से भूसे का पैसा दिया जाता है जबकि बाजार में भूसे की कीमत 10 से 15 प्रति किलो है। इसी तरह 3 से 4 किलो प्रति गोवंश भूसे की खुराक तय है। जबकि लगता है आठ से दस किलो। पंचायती राज विभाग, ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायतों पर भी गोवंश के संरक्षण की जिम्मेदारी है। ग्राम पंचायतों, शहरी निकायों के पास तमाम योजनाओं के तहत पैसा आता है। गोवंश संरक्षण के लिए उनको व्यवस्थाएं करनी होती हैं लेकिन वह सिर्फ प्रदेश सरकार का मुंह ताकते रहते हैं। 30 रूपये की राशि को लेकर तमाम सवाल खड़े करते हैं।
हालांकि इस राशि को बढ़ाए जाने का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है। पशुपालन विभाग की ओर से 500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव प्रदेश सरकार के वित्त विभाग को भेजा गया था जिसका अनुमोदन हो गया था। हर जिले को करीब 4 करोड रुपए दिए जाने की योजना है। पिछले साल की बात करें तो करीब साढ़े आठ सौ करोड़ रुपए प्रदेश सरकार से मिले थे। राजधानी लखनऊ के ग्वारी गांव के पशु पालक सुनील यादव के माने तो एक स्वस्थ पशु जैसे दुधारू गाय का भरण पोषण का खर्चा 400 रुपए के बीच हैं। भूसा 1300 रुपए प्रति कुंतल, खली 2600 रुपए प्रति कुंतल, चूनी 2500 रुपए प्रति कुंतल, चोकर 24 रुपए प्रति कुंतल बाजार में बिक रहा है। यहां हरा चारा उपलब्ध नहीं हैं। बाजार में बिकने वाली 40 से 50 किलो वाली पशु आहार की बोरी 13 सौ से 14 सौ रूपए के बीच मिलती है। कानपुर गौशाला कमेटी के संरक्षक-उपाध्यक्ष व उत्तर प्रदेश गौशाला संघ के प्रदेश सचिव सुरेश गुप्ता बताते हैं कि कानपुर गौशाला कमेटी का पूरे देश में नाम है। कालपी, महराजपुर, भौंती इन तीन गौशालाओं में करीब एक हजार गोवंश है। जिनका भरण-पोषण, बिजली-पानी रखरखाव पर हर साल एक करोड़ 20 लाख रुपए खर्च होता है। जबकि महज 36 लाख ही मिले। जो भी पशु संख्या दिखाई जाती है, सरकार उसका 70 फीसदी ही मानकर आर्थिक मदद देती है। इसे सरकार की पॉलिसी कहे या बदनियती। पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ इंद्रमणि ने एक दिन की खुराक के हिसाब से मिलने वाली 30 रुपए की राशि को कम मानते हुए कहा कि इसको बढ़ाए जाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पशुधन संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा प्रदेश है। 2012 की पशुगणना के अनुसार, राज्य में 205.66 लाख गोवंश हैं।
क्या है मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना
आवारा गोवंश (अन्ना मवेशी) की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने 6 अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना को मंजूरी दी। जिसके तहत डीएम गोवंश पालने के इच्छुक किसानों, पशुपालकों को चिन्हित कर उन्हें गोवंश सौंपेंगे। भरण पोषण के लिए इनके बैंक खाते में प्रति गोवंश 30 रुपए प्रतिदिन की दर से धनराशि भेजी जाएगी। इन पशुओं को बेच नहीं सकते और न ही उन्हें खुला छोड़ सकते हैं। सरकार का कहना है कि इस योजना से सामाजिक सहभागिता बढ़ेगी और अन्ना मवेशियों की संख्या में कमी आएगी। साथ ही साथ इससे जन सामान्य को रोजगार मिलने की भी संभावना है।
एक नजर में प्रति गोवंश की खुराक और उसका खर्च
प्रत्येक गोवंश को उसका पेट भरने के लिए सुबह शाम एक बार में 3 से 4 किलो भूसा दिया जाता है। बाजार में 10 से लेकर 15 रूपए के बीच भूसा बिक रहा है। हरा चारा दिन भर में कम से कम 2 से 3 किलो प्रति गोवंश को दिया जाता है। आधा किलो चोकर, आधा किलो खली, आधा किलो चूनी, दुधारू गायों को तो गुड़ भी खिलाया जाता है। इस तरह से प्रत्येक गोवंश पर न्यूनतम डेढ़ सौ से लेकर दो सौ रूपए तक खर्च आता है। पूर्णतया स्वस्थ और दुधारू गायों पर प्रतिदिन 400 से 500 रूपए का खर्च आता है। 120 से लेकर 150 रूपए के बीच में बस जानवर का पेट भरा जा सकता है।
खुले में जानवरों को छोड़ा तो जाना पड़ेगा जेल
सरकार ने निराश्रित गोवंश को संरक्षित किए जाने के उद्देश्य से राष्टï्रीय गोकुल मिशन को गति दी है। इसके तहत गोवंश की पहचान के लिए ईयर टैगिंग का काम पशुधन विभाग कर रहा है। यह यूआईडी ईयर टैग पशुओं के लिए आधार कार्ड की तरह है। जिसमें पशु से संबंधित उसका विवरण जैसे मालिक की पहचान, नस्ल और वर्तमान स्थिति की सारी डिटेल इनाफ पोर्टल पर उपलब्ध होगी। अब अगर कोई पशुपालक अपने जानवर को खुले में छोड़ता हुए पाया गया तो उसकी पहचान कर उसके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी, जिसमें जेल तक जाना पड़ सकता है।
बतौर बानगी कानपुर गौशाला सोसायटी का करीब डेढ़ करोड़ रुपए सालाना खर्च है। सरकार से महज 36 लाख रुपए मिले हैं। हर महीने 12 से 13 लाख रुपए खर्च होते हैं। 70 लोगों का स्टॉफ है। आवारा पशुओं को यहां रखा जाता है। जिनमें ज्यादातर बीमार व विकलांग पशु होते हैं।उनकी विशेष देखरेख की जरूरत पड़ती है। सरकार की नियत तो साफ है लेकिन इच्छाशक्ति की कमी है, जिसकी वजह से गोवंश का संरक्षण बेहतर ढंग से नहीं हो पा रहा है।
-सुरेश गुप्ता, प्रदेश सचिव, उत्तर प्रदेश गौशाला संघ
30 रुपए की सहायता राशि प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही है। जिसे बढ़ाकर 50 रुपए किए जाने का शासन स्तर प्रस्ताव भेजा गया है। इस पर सरकार की मुहर लगना बाकी है। जनसहभागिता से पशुओं के भरण पोषण की व्यवस्था की जा रही है।
-डॉ. इंद्रमणि , निदेशक, पशुपालन विभाग
कैबिनेट बैठक: सिमुलेटर पर टेस्ट देने के बाद ही बनेंगे परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर बड़े प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है। लोक भवन में कैबिनेट के सामने 16 प्रस्ताव आए थे, जिनमें 15 प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट ने परिवहन विभाग के साथ ही चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रस्तावों पर अपनी मुहर लगा दी। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के साथ ही सूर्य प्रताप शाही ने फैसलों की जानकारी मीडिया को दी। कैबिनेट बैठक के बाद सुरेश खन्ना ने बताया कि परिवहन विभाग में अब परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन पाएंगे। सिमुलेटर पर टेस्ट देने के बाद ही परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे। सुरेश खन्ना ने बताया कि वाहन चेकिंग व्यवस्था को पीपीपी मॉडल पर स्वचालित परीक्षण स्टेशन बनाये जाएंगे। परिवहन विभाग के प्रवर्तन दल के सिपाही अब समूह घ नहीं बल्कि समूह ग के तहत भर्ती किए जाएंगे।
भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता को बढ़ाकर इंटरमीडिएट कर दिया गया है। प्रवर्तन दल के सिपाहियों की भर्ती उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग करेगा। इस व्यवस्था से सिपाहियों को प्रमोशन का लाभ मिल सकेगा, उनका वेतन भी बढ़ जाएगा। कैबिनेट बैठक में परिवहन विभाग में 744 सिपाहियों की भर्ती के प्रस्ताव पर मुहर लगी। किसानों को भी सरकार ने सिंचाई के लिए बड़ा तोहफा दिया है। प्रदेश के असिंचित क्षेत्र की पहचान की जाएगी। इसके बाद वहां पर 2100 ट्यूब वेल लगाए जाएंगे। जिससे कि किसान को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके। कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि 62 जिलों में 2100 नलकूप लगाएं जाएंगे। सीमांत और लघु किसानों को लाभ होगा। एक नलकूप 50 हेक्टेयर खेत की सिंचाई कर सकेगा। एक लाख पांच हजार कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता बढ़ेगी। 2024 तक योजना पूरी होगी। 921 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 31 लाख मानव दिवस रोजगार सृजित होगा। सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि दो लाख सरसो तोरिया के किट का नि:शुल्क वितरण किया जाएगा। सरकार 100 फीसदी खर्च उठाएगी। सितंबर में बोया जाता है।