यूपी में झंडे का अपमान करने पर मिलेगी कड़ी सजा
लखनऊ। हर घर तिरंगा कार्यक्रम के दौरान कुछ अराजकत्वों द्वारा राष्टï्रीय ध्वज का अपमान, अनादर करने या फाड़े व जलाए जाने की संभावना है। इसको लेकर शासन के निर्देश पर पुलिस और प्रशासन अलर्ट हो गया है। जेसीपी कानून व्यवस्था पीयूष मोर्डिया ने मात हतों के साथ बैठ कर इस संबंध में कड़े निर्देश दिए हैं। जेसीपी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आजादी के अमृत महोत्सव को मनाए जाने के दौरान राष्टï्रीय ध्वज का पूर्ण सम्मान होना चाहिए। इसका हर हाल में सभी पालन कराएं। अगर कोई राष्टï्रीय ध्वज का अपमान करने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करें। जेसीपी कानून व्यवस्था ने मातहतों को निर्देश दिए कि वह लोगों को जागरूक करें कि राष्ट्रीय ध्वज कैसे फहराएं। उन्होंने कहा कि कागज के बने राष्ट्रीय झंडों को महत्वपूर्ण राष्टï्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। समारोह पूरा होने के पश्चात ऐसे कागज के झंडों को न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनरूप एकांत में किया जाए।
गहलोत की विदाई या पायलट का रास्ता साफ?
- राहुल गांधी के सर्वें से बदले समीकरण, राजस्थान में तेजी से बदल रहे हैं हालात
जयपुर। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सचिन पायलट के धैर्य की तारीफ करने के बाद राजस्थान में एक गुप्त सर्वे से अटकलों को बाजार गर्म हो गया है। गहलोत की विदाई होगी या फिर पायलट का रास्ता साफ?। पायलट समर्थक उन्हें अगले सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने में जुटे हैं। वहीं गहलोत समर्थक अपने नेता के समर्थन में राग आलाप रहें है। दोनों ही नेताओं के समर्थकों के अपने-अपने तर्क है। गहलोत समर्थकों का कहना है कि राहुला गांधी गहलोत के कामकाज से खुश है। समर्थकों का तर्क है गहलोत के नेतृत्व में पंचायत चुनाव, विधानसभा उप चुनाव और राज्यसभा की तीनों सीटें कांग्रेस ने जीती है। भाजपा सत्ता विरोधी लहर पैदा नहीं कर पाई है। जबकि पायलट समर्थकों का कहना है कि राज्य में हर बार सरकार बदलने के ट्रेंड रहा है। इसलिए कांग्रेस सरकार रिपीट के लिए राजस्थान कांग्रेस की कमान सचिन पायलट को मिले। पायलट समर्थकों का तर्क है कि विधानसभा चुनाव 2018 में पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस को जीत मिली। पायलट समर्थक एक विधायक ने दावा है कि राहुल गांधी का गुप्त सर्वे पायलट के पक्ष में है। पायलट एक बार प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने जा रहे हैं। राहुल गांधी की टीम ने हाल ही में प्रदेश में गुप्त सर्वे किया है। सर्वे में पता लगाया गया है कि गहलोत-पायलट में से कांग्रेस की सरकार रिपीट कौन कर सकता है। सर्वे से राजस्थान में तेजी से सियासी समीकरण बदल रहे हैं।
क्या गहलोत अगली बार सीएम फेस नहीं?
अशोक गहलोत ने करीब दो महीने पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि मेरा इस्तीफा परमानेंट सोनिया गांधी के पास है। पहली बार सीएम बना तभी से मेरा इस्तीफा सोनिया गांधी के पास पड़ा है। सीएम गहलोत के इस बयान प्रदेश की सियासत में कयासबाजी का दौर शुरू हो गया था। बतौर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यह तीसरा टर्म है। वह पहली बार 1998 में मुख्यमंत्री बने थे। दूसरी बार 2008 में उन्होंने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। फिर 2018 में जीत के बाद बतौर मुख्यमंत्री गहलोत का यह तीसरा मुख्यमंत्री कार्यकाल है।
सचिन पायलट का रास्ता साफ?
वर्ष 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सचिन पायलट पूरी तरह से शांत नहीं बैठे हैं। हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान उन्होंने अपने गुट के लोगों को मंत्रीपद दिलाया। वहीं सचिन पायलट खुद लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क की मुहिम में लगे हुए हैं। अपने क्षेत्र के साथ-साथ वह विभिन्न आयोजनों और कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्हें संगठन की जिम्मेदारी देकर उन्हें राजस्थान से हटाने की चर्चा भी थी। लेकिन बाद में पायलट ने खुद बयान जारी कर कहा था कि अगले 50 साल तक वह कहीं नहीं जाने वाले।