आपसी कलह से जूझ रहे महायुति नेताओं को सुप्रिया सुले ने दे डाली बड़ी चेतावनी!

महाराष्ट्र की महायुति सरकार इन दिनों लगातार सवालों के घेरे में है। नेताओं की आपसी कलह लगातार सामने आ रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: महाराष्ट्र की महायुति सरकार इन दिनों लगातार सवालों के घेरे में है। नेताओं की आपसी कलह लगातार सामने आ रही है।

बात BMC चुनाव की हो या योजनाओं को लेकर सरकार आपसी मनमुटाव से जूझ रही है। जिसे लेकर नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। महायुति में हो इस हलचल की एक बड़ी वजह है BMC चुनाव। जिसमें सीट बंटवारे से लेकर अन्य मामले पर आपसी विवाद बढ़ता जा रहा है।

मुंबई महानगरपालिका सहित राज्य की 29 महानगरपालिकाओं के चुनाव का बिगुल बज गया। 15 जनवरी 2026 को इन महानगरपालिकाओं के लिए वोटिंग होगी। 16 जनवरी को परिणाम घोषित होंगे। राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने महानगरपालिका चुनाव की घोषणा करते हुए कह चुके हैं कि मुंबई सहित 29 महानगरपालिका क्षेत्रों में तत्काल प्रभाव से चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। वाघमारे ने बताया कि बीएमसी की 227 सीटों सहित 29 महानगरपालिकाओं को मिलाकर 2869 सीटों पर एक ही चरण में चुनाव होंगे। इस चुनाव में 3 करोड़ 48 लाख मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। चुनाव के लिए 1 जुलाई 2025 की मतदाता सूची का उपयोग होगा।

वहीं इसी बीच महाराष्ट्र सरकार में एनसीपी (अजित पवार गुट) के दो मंत्रियों पर लगे गंभीर आरोपों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. एनसीपी (शरद पवार गुट) की वरिष्ठ नेता सुप्रिया सुले ने इस पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे घटनाक्रम महाराष्ट्र की छवि के लिए बुरा है और दिल्ली तक में लोग सवाल पूछ रहे हैं कि राज्य में आखिर चल क्या रहा है.

सुप्रिया सुले ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार में शामिल दो बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगे हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली में उनसे लोग पूछ रहे थे कि महाराष्ट्र में एक और मंत्री का विकेट गिर गया?” उनके मुताबिक, इस तरह की बातें राज्य की छवि को खराब करती हैं और जनता में गलत संदेश जाता है. उन्होंने साफ कहा कि यह स्थिति किसी भी तरह से अच्छी नहीं कही जा सकती.

साथ ही पूर्व मंत्री माणिकराव कोकाटे को लेकर सुप्रिया सुले ने कहा कि किसानों के बारे में जिस तरह की बातें कही गईं, वह दुर्भाग्यपूर्ण हैं. फिलहाल कोकाटे अस्पताल में भर्ती हैं और उन्हें सही इलाज मिलना चाहिए, यह जरूरी है. इसके साथ ही मनरेगा के नाम को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सुप्रिया सुले ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाने का फैसला गलत है.

उनका कहना है कि इससे न सिर्फ प्रतीकात्मक नुकसान हुआ है, बल्कि आगे चलकर राज्यों को मिलने वाली फंडिंग पर भी असर पड़ेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि इस फैसले से राज्य सरकारों को नुकसान होगा और गरीबों से जुड़ी योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है. साथ ही उन्होंने क्या कुछ कहा आप इस वीडियो में सुनिए-

महाराष्ट्र का सियासी पारा इन दिनों BMC चुनाव को लेकर सातवें आसमान पर है। और कौन किस पाले में जाएगा किस दल को किसका साथ मिलेगा इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। वहीं इसी बीच एनसीपी (अजित पवार गुट) और शरद पवार गुट के संभावित गठबंधन को लेकर पूछे गए सवाल पर सुप्रिया सुले ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों में स्थानीय नेता ही फैसला लेंगे. उन्होंने बताया कि पवार साहब पहले ही कह चुके हैं कि इस पर निर्णय जमीनी स्तर पर लिया जाएगा.

राष्ट्रवादी कांग्रेस अपने स्थापना के बाद से अब तक मुंबई में अपनी मजबूर उपस्थित दर्ज नहीं करा पाई इसलिए वह किसी न किसी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ते आ रही है। इस बार अजित पवार महायुति के साथ और शरद पवार उद्धव सेना और मनसे के साथ गठबंधन कर लड़ना चाहते हैं। वहीं इसे लेकर एनसीपी (एपी) प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने बताया कि उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत की है और बीजेपी के प्रभारी नेताओं से भी चर्चा चल रही है, इसलिए मुंबई के साथ अन्य महानगरपालिका चुनाव महायुति के रूप में लड़ने की रणनीति तय की जाएगी। महाविकास आघाडी के साथ शरद पवार की एनसीपी के गठबंधन के बारे में सिल्वर ओक पर बैठक हो रही है।

सत्ताधारी महायुति में अजित पवार की पार्टी के नेता नवाब मलिक को लेकर बीजेपी में भारी विरोध है। बीजेपी के कई नेताओं ने साफ कहा है कि उन्हें नवाब मलिक नहीं चाहिए। मलिक के साथ वे चुनाव प्रचार नहीं कर सकते, बैठक करने की तो दूर की बात है। मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमित साटम का कहना है कि अजित पवार की एनसीपी से गठबंधन के बारे में पार्टी नेताओं से कोई दिशा निर्देश नहीं मिले। रही बात अजित पवार की पार्टी से गठबंधन की तो यह निर्णय मुख्यमंत्री को लेना है। बताया जाता है कि अजित पवार चाहते हैं कि बीएमसी में वे महायुति के साथ लड़ेंगे तो ही उन्हें फायदा होगा, वर्ना बीएमसी में उनकी डगर बहुत कठिन होगी। बीजेपी के विरोध के बाद पार्टी मलिक की बजाय उनकी विधायक बेटी सना को आगे लाना चाहती है। इससे बीजेपी के विरोध की धार कम होगी और गठबंधन भी आसन हो जाएगी।

वहीं दूसरी तरफ शरद पवार उद्धव सेना और मनसे के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं। इसके लिए बातचीत चल रही है। जल्द ही इसके सकारात्मक नतीजे आने की संभावना है। बीएमसी में एनसीपी अब तक अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई है। गठबंधन के बिना उनकी जीत आसान है। वहीं इसे लेकर सियासी जानकारी का तो ये भी कहना है कि मुंबई में दोनों ही एनसीपी का कुछ खास प्रभाव नहीं है इसलिए उन्हें बिना गठबंधन के चुनाव लड़ना उनके लिए कठिन है इसलिए अजित पवार चाहते हैं कि महायुति के साथ लड़े और शरद पवार जुगाड़ कर रहे हैं कि वे उद्धव और मनसे के साथ मिलकर लड़े। वहीं सुप्रिया के आज के इस तीखे तेवर से एक बात तो तय है कि सियासत में कभी भी कुछ भी सो सकता है।

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