शरीर का स्टेमिना बढ़ाएंगे ये योगासन
- न फूलेगी सांस और ना महसूस होगी थकान
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
स्टेमिना व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा की मात्रा को दर्शाने वाला शब्द है, जो व्यक्ति की लंबे समय तक कार्य करने की क्षमता के बारे में बताता है। कितनी लंबी दौड़, कितने लंबे समय तक व्यायाम और कितनी देर कामकाज करने में सामर्थ्य ही स्टेमिना है। कमजोर स्टेमिना के कारण जल्दी थकान, सांस लेने में कठिनाई, दैनिक गतिविधियों में कमी और ऊर्जा में कमी महसूस होती है। नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार, पर्याप्त नींद और स्ट्रेस को कम करके स्टेमिना बढ़ाया या मजबूत बनाया जा सकता है। यदि आप अपने स्टेमिना को बढ़ाना चाहते हैं तो जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव लाने की जरूरत है। स्टेमिना बढ़ाने के लिए कुछ असरदार योगासन भी हैं, जिनके नियमित अभ्यास से शरीर की शक्ति मजबूत बनती है। स्टेमिना मजबूत होने से जल्द थकान महसूस नहीं होती और न ही सांस फूलने की समस्या होती है।
गोमुखासन
ये योगासन रीढ़ और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव लाने में सहायक है। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। इस आसन का अभ्यास खाने के बाद करने से पेट संबंधित परेशानियों का इलाज होता है। गोमुखासन के अभ्यास के लिए बाएं पैर को मोडक़र घुटने को बाएं कूल्हे के पास लाएं। अब दाहिने पैर को बाएं पैर पर इस तरह रखें कि घुटने एक दूसरे को स्पर्श करें। हाथों को पीछे की ओर ले जाते हुए दाएं हाथ से बाएं हाथ को पकड़ें। रीढ़ को सीधा रखते हुए करीब 1 मिनट तक गहरी सांसें लें। धीरे धीरे पुरानी अवस्था में आ जाएं। अस्थमा के मरीजों के लिए भी इस मुद्रा के कई फायदे है। इससे छाती वाले हिस्से में फैलाव आता है और इसके नियमित अभ्यास से श्वसन संबंधी समस्याएं दूर होती है। गोमुखासन योग से कूल्हे के दर्द में काफी आराम मिलता है और कमर दर्द की समस्या भी ठीक हो सकती है।
वीरभद्रासन
इम्यूनिटी को बढ़ाकर रोगों से बचाव के लिए वीरभद्रासन का अभ्यास फायदेमंद हो सकता है। शरीर के संतुलन में सुधार, सहनशक्ति को बढ़ाने, तनाव कम करने, हार्ट रेट नियंत्रित करने और मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए वीरभद्रासन को जीवन में शामिल करें। इस आसन को करने के लिए सीधी मुद्रा में खड़े होकर बाहों को फर्श के समानांतर उठाते हुए सिर को बाईं ओर मोड़ें। अब बाएं पैर को 90 डिग्री में बाए बाईं ओर मोड़ें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें। अब इसी तरह दूसरी तरफ से अभ्यास करें।
धनुरासन
धनुरासन का अभ्यास रक्त प्रवाह में सुधार करता है और प्रतिरक्षा को बढ़ाने में सहायक है। धनुरासन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और कमर व छाती की तमाम समस्याओं से निजात दिलाने के साथ ही स्टेमिना को बेहतर बनाता है। इस आसन को करने से लिए पेट के बल लेट कर दोनों पैरों को मोडक़र ऊपर की ओर ले जाएं। दोनों हाथों से पैरों के पंजों को पकडक़र सांस लेते हुए पैरों को ऊपर की ओर खींचें। कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं।
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन के अभ्यास से शरीर में लचीलापन, थकान से राहत और आंखों की रोशनी बेहतर बनती है। कमर दर्द में भी आराम मिलता है। इस आसन को योग विशेषज्ञ की निगरानी में करें। इस आसन को करने के लिए घुटनों के बल बैठकर सांस लेते हुए रीढ़ के निचले हिस्से को आगे की तरफ दबाव डालें। इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए। पीठ के पीछे की तरफ मोड़ते हुए झुकें और गर्दन को ढीला छोड़ दें। इस स्थिति में 30 से 60 सेकंड तक बने रहें। ये आसन पाचन सुधारने में मदद करता है क्योंकि ये पेट के भीतर मौजूद सभी अंगों की हल्की मालिश करता है। उष्ट्रासन के अभ्यास से सीने और पेट के निचले हिस्से से अतिरिक्त चर्बी कम होती है। ये कमर और कंधों को मजबूत बनाता है। ये कमर के निचले हिस्से में दर्द कम करने में मदद करता है। शरीर का पोश्चर सुधारने में भी ये आसन मदद करता है।