हमारी ही बस्ती में हमें वोट नहीं मिला : आजम खां

  •  लोकसभा उपचुनाव के नतीजों में सपा ने दोनों सीट गंवा दी

लखनऊ। लोकसभा उपचुनाव के नतीजों में भाजपा ने बाजी मार ली है। समाजवादी पार्टी ने दोनों सीट गंवा दी है। ऐसे में सपा के लिए यह हार इसीलिए भी बड़ी है क्योंकि दोनों लोकसभा सीटें सपा के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है। चुनाव नतीजे पर बोलते हुए आजम खान ने कहा कि चुनाव था ही कहां? इसे ना चुनाव कह सकते हैं और ना ही चुनाव के नतीजे कह सकते हैं। बस्ती है मुसलमानों की, 500 वोटर हैं और वोट मिला सिर्फ एक। अबहम क्या वजह बताएं? अब आप बिलकुल नादान, मासूम बन जाओ। आपको कुछ दिखे ही नहीं, कुछ बताना ही नहीं चाहो। सरकार की सिर्फ ढपली बजाओ, सरकार के पैसे पर मौज मस्ती करो तो हम आपको क्या बताएं। आप हमें बताओंगे या हम? लोकतंत्र के चौथे स्तंभ आप हो या मैं हूं। बता दें कि रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले धनश्याम लोधी और सपा असीम रजा दोनों ही आजम खान के करीबी माने जाते हैं। भाजपा से चुनाव जीते घनश्याम सिंह लोधी किसी समय में आजम खान के राइट हैंड हुआ करते थे, उन्हें 2004 और 2016 में आजम खां ने एमएलसी बनवाया था, तो वही उनके सामने सपा से चुनाव लड़ने वाले आसिम राजा उनके हमसाया की तरह साथ रहते हैं। हालांकि घनश्याम सिंह लोधी ने अपनी सियासी पारी बीजेपी के साथ शुरू की थी, लेकिन बसपा और कल्याण सिंह पार्टी में होते हुए 2011 में सपा का दामन थामकर आजम खां के साथ पूरी तरह से आ गए थे।

अखिलेश प्रचार करने जाते तो हम जीत जाते : राजभर

लखनऊ। आजमगढ़ और रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव को लेकर आए नतीजों ने समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका दिया है। विधानसभा चुनाव में जीत के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के त्यागपत्र से रिक्त हुई आजमगढ़ और पार्टी के महासचिव मोहम्मद आजम खान इस्तीफे से खाली हुई रामपुर लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। दोनों ही सीटों पर हार का ठीकरा समाजवादी पार्टी के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर फोड़ा है। राजभर ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव से अखिलेश यादव ने कोई सीख नहीं ली। उपचुनाव में वह अपने ऐसी वाले कमरे से बाहर नहीं निकले। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश को पहले दिन से भाजपा और बसपा गठजोड़ का पता था। राजभर ने कहा कि विधानसभा चुनाव की तरह अखिलेश ने इस चुनाव के लिए भी नामांकन के अंतिम दिन प्रत्याशी दिए। वह प्रत्याशियों के प्रचार के लिए ऐसी कमरे से बाहर नहीं निकले। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को आगे की रणनीति के लिए ऐसी कमरे से बाहर निकल कर संगठन को मजबूत करना होगा। राजभर ने कहा कि अगर अखिलेश अपने ऐसी वाले कमरे से बाहर निकले होते तो उन्हें आजमगढ़ में इतने कम मतों से हार नहीं देखनी पड़ती। राजभर ने यह भी कहा कि वह अपनी पार्टी के लोगों के साथ लगातार आजमगढ़ में जमे रहे। अगर मैं 12 दिन में समय ना देते तो आजमगढ़ उप चुनाव में लाखों वोटों से हार का सामना करना पड़ता। सुभासपा अध्यक्ष ने कहा कि रामपुर में बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारे। भाजपा के दबाव में आजमगढ़ के लिए पार्टी से निकाले गए नेता को बुलाकर बसपा ने प्रत्याशी बना दिया। यह स्थिति देख अखिलेश को सावधान हो जाना चाहिए था।

केवल बसपा ही भाजपा को हरा सकती है : मायावती

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दो संसदीय सीटों में से सिर्फ आजमगढ़ उपचुनाव लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) परिणाम से काफी हद तक राहत महसूस करती नजर आ रही है। यादव बहुल आजमगढ़ सीट पर उपविजेता सपा से मात्र 37,879 कम वोट बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्ïडू जमाली को मिले हैं। इसे कांटे की टक्कर बता रहीं पार्टी मुखिया मायावती को विश्वास है कि मुस्लिमों के पूरी तरह छिटक जाने का उनकी राह में जो कांटा था, वह काफी हद तक निकल चुका है। हार में जीत देखते हुए उन्होंने खासकर समुदाय विशेष का समझाने का प्रयास जारी रखने की बात कही है। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में से बसपा प्रमुख मायावती ने सिर्फ आजमगढ़ में प्रत्याशी उतारा। रामपुर में जहां सिर्फ भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला था, वहीं सपा के गढ़ रहे आजमगढ़ में बसपा प्रत्याशी जमाली ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया। भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ के पीछे-पीछे कुछ वोटों के अंतर से सपा के धर्मेंद्र यादव अंतिम परिणाम घोषित होने तक चलते रहे तो धर्मेंद्र के पीछे-पीछे जमाली रहे। चुनाव भाजपा जीती, लेकिन सपा और बसपा के बीच अंतर 37,879 वोटों का ही रहा।

चूंकि, यहां यादव सबसे अधिक है, इसलिए बसपा मान रही है कि उसे दलित वोट के साथ मुस्लिम मत भी अच्छा-खासा मिला है। इस परिणाम से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए हौसला मिल चुका है कि भाजपा को हराने के लिए अल्पसंख्यक वर्ग बसपा को विकल्प के रूप में चुन सकता है। बसपा की अब यही चुनावी रणनीति रहेगी, इसका संकेत मायावती ने अपने ट्वीट से दे दिया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि उपचुनावों को सत्ताधारी दल ही अधिकतर जीतता है, फिर भी आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बसपा ने सत्ताधारी भाजपा व सपा के हथकंडों के बावजूद जो कांटे की टक्कर दी है, वह सराहनीय है। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को और अधिक मजबूती के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यूपी के इस उपचुनाव परिणाम ने एक बार फिर से यह साबित किया है कि केवल बसपा में ही यहां भाजपा को हराने की सैद्धांतिक व जमीनी शक्ति है। यह बात पूरी तरह से खासकर समुदाय विशेष को समझाने का पार्टी का प्रयास लगातार जारी रहेगा, ताकि प्रदेश में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक परिवर्तन हो सके।

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