करोड़ों का तबादला उद्योग सामने आने के बाद भी आखिर क्यों नहीं हटाए गए मंत्रिमंडल से जितिन प्रसाद !
साबित हो गया कि ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को हर विभाग में साथ ले जाते थे मंत्री बनने के बाद जितिन
- यूपी में पीडब्ल्यूडी के तबादला उद्योग में तीन सौ करोड़ की वसूली की चर्चा
- सिर्फ ओएसडी पर कार्रवाई मगर बड़े अफसर बच गए
- अंधा भी बता देगा बिना मंत्री के इशारे के नहीं हो सकती थी करोड़ों की वसूली
चेतन गुप्ता
लखनऊ। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के तबादलों में हुए करोड़ों के घोटाले का मामला गरमाता जा रहा है। चर्चा है कि पीडब्ल्यूडी के तबादला उद्योग में तीन सौ करोड़ की वसूली की गयी थी। यह भी साबित हो चुका है कि ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को मंत्री बनने के बाद जितिन प्रसाद अपने साथ हर विभाग में ले जाते थे। वहीं पीडब्ल्यूडी के तबादलों में घोटाले को लेकर सिर्फ ओएसडी पर कार्रवाई की गयी और अन्य बड़े अफसर बच गए। ऐसे में सवाल उठता है कि करोड़ों के तबादला उद्योग के सामने आने के बाद भी आखिर जितिन प्रसाद को अभी तक मंत्रिमंडल से क्यों नहीं हटाया गया?ï विपक्षी दल मंत्री को लेकर प्रदेश सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि बिना मंत्री के इशारे के व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार नहीं हो सकता है लेकिन सरकार केवल छोटे अफसरों पर कार्रवाई कर खामोश हो गयी है। मंत्री को बचाने की कोशिश की जा रही है। विपक्ष ने सरकार से मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है।
पीडब्ल्यूडी में बड़े पैमाने पर हुए तबादलों में भ्रष्टाचार का मुद्दा लगातार गरमाता जा रहा है। विपक्षी दल पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद समेत प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। वे भ्रष्टाचार को लेकर मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने अपने स्तर से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही थी लेकिन शिकंजा केवल छोटी मछलियों पर कसा जा रहा है, बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि भ्रष्टïाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करने वाली योगी सरकार विभागीय मंत्री को मंत्रिमंडल से हटा क्यों नहीं रही है? पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी में बड़े स्तर पर तबादले हुए थे। इनमें जमकर धांधली की गयी। मामला सुर्खियों में आने के बाद सरकार नींद से जागी और मामले की जांच के लिए कमेटी बनायी। जांच कमेटी में प्रथमदृष्टïया भ्रष्टाचार का मामला सामने आया था। इस पर सीएम योगी ने पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी को न केवल हटाया बल्कि उनके खिलाफ विजिलेंस जांच की सिफारिश भी की। इसके अलावा विभागाध्यक्ष समेत पांच अफसरों को निलंबित कर उनके खिलाफ जांच बैठा दी। जांच की आंच जितिन प्रसाद तक पहुंचने की सुगबुगाहट थी लेकिन योगी सरकार मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में नहीं दिख रही है। इस पूरे मामले पर जितिन प्रसाद चुप्पी साधे हुए हैं। मंत्री का सारा काम ओएसडी अनिल कुमार पांडेय ही संभालते थे और विभागीय फाइलें उनके माध्यम से मंत्री के पास जाती थीं। दिल्ली में अवर सचिव रहे अनिल कुमार पांडेय को जितिन प्रसाद की सिफारिश पर ही उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर तैनाती दी गई थी। जितिन प्रसाद जब केंद्र में यूपीए सरकार के दौरान मंत्री थे तब भी अनिल कुमार पांडेय उनके कार्यालयों में तैनात थे। यूपी में दोबारा भाजपा सरकार बनने पर जितिन को लोक निर्माण विभाग का मंत्री बनाया गया था और तभी अनिल ने यहां आने के लिए आवेदन किया था और जितिन की सिफारिश पर उन्हें यूपी लाया गया था।
इस तरह हुआ खेल
अभियंताओं के ट्रांसफर में एक के बाद एक मनमानी सामने आयी है। 10 वर्षों से अधिक समय से जमे इंजीनियरों को छोड़ दिया गया जबकि कुछ महीने पहले ही तैनाती पाए इंजीनियरों को दूसरी जगह भेज दिया गया। मुख्यालय से संबद्धता में भी खेल सामने आया है। समूह क और ख के अफसरों के 59 ऐसे स्थानांतरण कर दिए गए, जिसमें नियमानुसार मुख्यमंत्री और मंत्री का अनुमोदन लिया जाना आवश्यक था। जांच में सामने आया है कि अधिशासी अभियंता या उससे ऊपर के स्तर के 26 अधिकारी ऐसे हैं जो 3 वर्ष की अवधि से अधिक समय से एक ही जगह पर थे पर उनका स्थानांतरण नहीं किया गया। ऐसा करने के पीछे की वजह भी नहीं बताई गई। इनमें से 12 अभियंता तो ऐसे हैं जो 10 वर्ष से अधिक समय से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। दूसरी ओर 31 अधिशासी अभियंता ऐसे हैं जिनकी तैनाती को एक माह से लेकर 22 माह की अल्प अवधि ही पूरी हुई थी कि उन्हें दूसरी जगह भेज दिया गया। इसके पीछे किसी प्रशासनिक कारण या शिकायत आदि का जिक्र भी संबंधित पत्रावली में नहीं किया गया। देखने में यह भी आया कि बड़ी संख्या में अधिकारियों को मुख्यालय से संबद्ध करने के आदेश दिए गए जबकि कई अधिशासी अभियंता अभी भी दो-दो खंडों का काम देख रहे हैं।
मंत्री कार्यालय से हुए बड़े पैमाने पर संशोधन
- लिखित अनुरोध के बाद भी नहीं दी सीएम को जानकारी
कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह की कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि विभागाध्यक्ष और अनुभाग की ओर से प्रस्तुत स्थानांतरण प्रस्ताव पर बड़े पैमाने पर पीडब्ल्यूडी मंत्री कार्यालय में संशोधन व परिवर्तन किए गए। यह उनके अधिकार क्षेत्र में पूरी तरह से आता है। साथ ही यह भी दिखाता है कि मंत्री के कार्यालय के स्तर से स्थानांतरण के मामले में विस्तृत विश्लेषण किया गया था। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव ने सेतु निगम के प्रबंध निदेशक की पोस्टिंग के विषय को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने का लिखित में अनुरोध किया था लेकिन पीडब्ल्यूडी मंत्री ने यह निर्णय लिया कि यह आदेश उनके स्तर से ही जारी होना चाहिए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह प्रकरण मुख्यमंत्री के आदेश के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए था।
आपत्ति के बाद भी उसी मंडल में दी तैनाती
गोपनीय उच्चस्तरीय रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 जून को सेवानिवृत्त हुए प्रमुख अभियंता (ग्रामीण सडक़) अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने प्रांतीय खंड गोरखपुर में तैनात अवर अभियंता गौरव श्रीवास्तव की तैनाती उसी मंडल में कर दी जिसमें उनके 7 साल पूरे हो चुके थे। ऐसा तब किया गया जब शासन ने पूर्व में इस प्रस्ताव पर आपत्ति उठाई थी।
बैक डेट के जरिए की गई धांधली
जांच में यह भी सामने आया है कि 30 जून को सेवानिवृत्त हुए अधीक्षण अभियंता (अधिष्ठान) अनिल कुमार श्रीवास्तव ने सहायक अभियंताओं के स्थानांतरण व तैनाती बैक डेट में की। ये बैक डेटिंग 2 जुलाई से लेकर 5 जुलाई तक की अवधि में की गई। यहां तक कि मुख्यालय का डिस्पैच रजिस्टर भी बैकडेटिंग की ओर इशारा करते हुए मिला है।
भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है। भाजपा सरकारी कामकाज में पारदर्शिता की बात करती है लेकिन सरकार बताए कि कहां पारदर्शिता बरती गई। पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। छोटी मछलियों के साथ बड़ी मछलियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। कांग्रेस पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के साथ मुख्यमंत्री से भी इस्तीफे की मांग करती है।
सुरेंद्र राजपूत, प्रवक्ता, कांग्रेसतबादलों में गड़बड़ी को लेकर सरकार उच्च स्तरीय जांच कराए। छोटों के साथ बड़े लोगों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। जो भी घोटाले में लिप्त हैं वह चाहे कितना ही प्रभावशाली क्यों न हो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
अनिल दुबे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, रालोदतबादलों में करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद सरकार पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद को तत्काल मंत्री पद से हटाए। ओएसडी पर जिस तरह कार्रवाई की गई है उससे मंत्री की भूमिका भी संदिग्ध दिख रही है। सत्ता संरक्षित अधिकारियों पर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करने वाले मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि उनके कार्यकाल में बड़े स्तर पर विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार हो रहे हैं।
अमिताभ बाजपेई, सपा विधायक व मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष