महिला बेडरूम से कर रही मशरूम का बिजनेस

अपने इस देसी जुगाड़ से हर महीने कमा रही मोटी रकम!

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
एसी रूम से लेकर झोपड़ी तक में मशरूम उत्पादन के बारे में आपने खूब सुना होगा। आज हम आपको मशरूम उत्पादन के नए और शुद्ध देसी जुगाड़ के बारे में बताएंगे। जी हां! बिहार के बेगूसराय जिले के मटिहानी-1 पंचायत की जीविका दीदी निशा अपने बेडरूम में ही मशरूम का उत्पादन कर रही हैं। बताया जाता है कि निशा ने कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर से 5 दिनों का प्रशिक्षण लिया, लेकिन रहने वाले घर के अलावा उसके पास जमीन ही नहीं थी। ऐसे में निशा ने बेडरूम में ही मशरूम उत्पादन शुरू करने का प्लान बनाया और और जीविका केबीपीएम मुन्ना कुमार को बताया। इसके बाद मुफ्त में बीज, पॉलिथीन बैग और केमिकल लेकर पिछले दो साल से मशरूम उत्पादन कर रही है। निशा ने लोकल 18 बिहार से मशरूम उत्पादन के अपने देसी जुगाड़ तकनीक साझा की। निशा ने बताया कि गेहूं के भूसा में फार्मिंगवेस्टिन नाम का केमिकल डालकर 12 घंटे तक भूसा को फूलने के लिए छोड़ देती हैं। इसके बाद 15 घंटे तक उसे छांव में सूखा लेती हैं। फिर शुरू होती है उत्पादन की प्रक्रिया। आगे की प्रक्रिया के लिए थोड़ा-थोड़ा भूसा और बीज को पॉलिथीन बैग में डालकर पैकेट बना लेती हैं। इसके बाद धागा की लड़ी बनाकर 10-10 बैग को उससे बांध लेती हैं और दीवार के सहारे लटकाकर बेडरूम में रख लेती हैं। रूम के तापमान को मशरूम के अनुकूल रखने के लिए पंखा से हवा लगवाती हैं और पानी का फुहारा भी देती रहती है। निशा ने बताया कि पहली बार 30 दिनों में मशरूम उत्पादन हो जाता है। फिर अगले 15 दिनों में एक थैला से एक किलो से ज्यादा मशरूम निकल जाता है। ऐसे ही 75 थैला से हर 15 दिनों के बाद 100 किलो से ज्यादा मशरूम का उत्पादन हो जाता है। वह बताती हैं कि गांव में भी आसानी से 200 रुपए किलो की दर से मशरूम बिक जाता है। जबकि, ठोक व्यापारी 150 रुपए किलो की दर से खरीद लेते हैं। इस तरह से मशरूम बेचकर निशा रोज 2000 रुपए से ज्यादा कमा लेती है।

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