योगी के नारे ने मोदी-शाह की हवा निकाल दी, महाराष्ट्र में हिंदू-मुस्लिम में फंसी महायुति!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और झारखंड चुनाव के दूसरे फेज के मतदान की तारीख जैसे-जैसेनजदीक आ रही है....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और झारखंड चुनाव के दूसरे फेज के मतदान की तारीख जैसे-जैसेनजदीक आ रही है…. राजनीतिक दल नारों की जंग में उलझते जा रहे हैं…. देश में चुनाव प्रचार पिछले कुछ साल में नाटकीय रूप से विकसित हुआ है…. जो तेजी से बढ़ते मतदाता आधार, सामाजिक परिवर्तन और टेक्नोलॉजी डवलपमेंट से प्रभावित है….. महाराष्ट्र और झारखंड दोनों विधानसभा चुनावों में नारों में बदलाव इस बात की ओर इशारा करता है…. कि यह कैसे सड़क, बिजली और पानी (बुनियादी जरूरतों) से आगे निकल गए हैं…. बता दें कि दो हजार चौदह के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी ने अबकी बार मोदी सरकार और काला धन वापस लाने के नारे को लेकर जनता के बीच में आए थे… और जनता से लोक लुभावने वादे किए… जिसके बाद मोदी को जनता का भरपूर समर्थन मिला… और पूर्ण बहुमत से केंद्र में सरकार बन गई…. और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद पर आसीन हो गए… बता दें कि मोदी प्रधानमंत्री पद पर आसीन होते ही… जनता से किए सारे वादे भूव गए…. और अपनी सत्ता में मदहोश हो गए… और धीरे-धीरे पांच साल का पहला कार्यकाल बीत गया… और जनका की बुनियादी जरूरतों के लिए कोई भी काम नहीं किया गया…. वहीं दो हजार उन्नीस के चुनाव के दौरान जनता एक बार फिर मोदी की लोक लुभावनी बातों में आ गई… और अपना भरपूर समर्थन दिया… और मोदी दोबारा सत्ता में आ गए… लेकिन इस बार मोदी ने अपनी सत्ता के मद में एक बार फिर से जनता के लिए कोई काम नहीं किया… और महंगाई बेरोजगारी लगातार बढ़ती रही… युवा पढ लिख कर बेरोजगारी के बोझ तले दबे घर पर पड़े रहने को मजबूर रहे…

वहीं जब लोकसभा चुनाव दो हजार उन्नीस के चुनाव अभियान का आगाज हुआ तो मोदी के नारे का स्तर इतना गिर गया कि वो भैंस और मंगल सूत्र पर आ गए… जिसका जनता ने मुंहतोड़ जबाब दिया और बैसाखी के सहारे आ गए… बावजूद इसके मोदी की भाषा में कोई सुधार देखने को नहीं मिला… और झारखंड के चुनाव प्रचार के दौरान बेटी पर आ गए… जिसको लेकर जनता के मन में भारी आक्रोश है… मोदी सहित बीजेपी का कोई भी नेता जनता की बुनियादी मुद्दों पर बात ही नहीं कर रहा है… सभी नेता सिर्फ जनता को तोड़ने की बात कर रहें है…. और अपने जुमलों के माध्यम से एक बार फिर जनता को गुमराह करने में जुटे हैं… लेकिन महाराष्ट्र में मोदी की कोई भी चाल सार्थक साबित नहीं होती दिखी… मोदी-योगी का कोई भी नारा काम नहीं आया… जिसके चलते मोदी पबेलियन में वापस आ गए… मोदी को पता चल चुका है… कि अब जनता जागरुक हो चुकी है…. और उनकी बातों और नफरती नारों का जनता पर कोई असर नहीं दिखाई पड़ रहा है… मोदी की रैलियों में खाली कुर्सियां इस बात की गवाही देती है… कि मोदी का अस्तित्व खत्म हो गया है… जनता ने मोदी और बीजेपी को पूरी तरह से नकार दिया है….

हालांकि पहले भी चुनावी अभियानों में जन रैलियां, घर-घर जाकर प्रचार और जमीनी स्तर पर लामबंदी का बोलबाला था….. जिसमें राजनीतिक दल वोट जीतने के लिए मुफ्त बिजली, पानी, कर्ज माफी और सरकारी नौकरी जैसी मुफ्त चीजें देते थे….. हालांकि चुनावी प्रलोभनों का विकल्प अभी भी मौजूद है…. लेकिन इसमें बदलाव हुआ है…., आज पार्टियां ऐसे नारों पर ज्यादा जोर दे रही हैं… जो विशिष्ट क्षेत्रीय और जाति-आधारित ज्यादा हैं…. पिछले बीस साल के इलेक्शन कैंपेन पर एक नज़र डालने से पता चलेगा कि नारे किस तरह से चुनावों को परिभाषित करते हैं…. दो हजार चार के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान के ज़रिए ‘विकास’ को पेश करने की कोशिश की गई थी…. तो दो हजार नौ में कांग्रेस सरकार द्वारा ‘भारत निर्माण’ अभियान के ज़रिए…. जनता के बीच में आई थी… और जनता से किए गए सभी वादे पूरे करने का प्रयाश किया गया था…. लेकिन मोदी को छोड़कर पिछले चुनाव कैंपेन को देखा जाय तो इस तरह के नफरती नारों का कभी इस्तेमान नहीं किया गया है… जितना मोदी के द्वारा किया जा रहा है… वहीं महाराष्ट्र मे मोदी के नारे का विरोध उन्ही के पार्टी के नेता कर रहें है…जिसके चलते मोदी बैकफुट पर आ गए है… और चुनाव प्रचार से दूरी बना ली है….

आपको बता दें कि दो हजार चौदह में ‘अब की बार, मोदी सरकार’ के नारे के साथ-साथ काला धन वापस लाने और रोज़गार पैदा करने के वादे मतदाताओं के दिलों में गहराई से उतर गए…. दो हजार उन्नीस में भाजपा के अभियान ने ‘फिर एक बार मोदी सरकार’, ‘हर हर मोदी, घर घर मोदी’ और ‘मोदी है तो मुमकिन है’ जैसे नारों के साथ मोदी पर ध्यान केंद्रित किया….. दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक नया नारा पेश किया…. ‘खटाखट खटाखट’ – जो चुनावी कैंपेन का केंद्र बन गया था…. वहीं अब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में फिर नारों का बोलबाला है….. मुफ़्त बिजली, खाली पड़े सरकारी पदों को भरने और सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल स्थापित करने के वादे अभी भी चर्चा का हिस्सा हैं….. लेकिन जाति आधारित जनगणना के लिए कांग्रेस के आह्वान ने पार्टियों के बीच तीखी जुबानी जंग की शुरुआत कर दी है…. बता दें कि महाराष्ट्र में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा काफी चर्चा में हैं…. इस पर विपक्ष ने सांप्रदायिक रंग होने का आरोप लगाया है….. चुनाव प्रचार के दौरान यह नारा मुंबई में प्रमुखता से दिखाई दिया…. हालांकि बाद में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने पोस्टर हटा दिए…. दरअसल, बांग्लादेश में अशांति का जिक्र करते हुए हिंदू एकता का संदेश देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अगस्त में आगरा में कहा था कि “बटेंगे तो कटेंगे… एक रहेंगे तो नेक रहेंगे”….. लेकिन महाराष्ट्र में पूरे अभियान के दौरान भाजपा नेताओं ने इस नारे को दोहराया….

वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी सीएम योगी के नारे में थोड़ा बदलाव किया…. और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नारे के साथ भाजपा के महाराष्ट्र अभियान की शुरुआत की….. जिसमें कांग्रेस पर ओबीसी, एससी और एसटी को बांटने की कोशिश का आरोप लगाया…. और उन्होंने कांग्रेस को विभाजनकारी राजनीति से भी जोड़ा और राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने के उनके कथित प्रयासों की आलोचना की…. इस महीने की शुरुआत में महाराष्ट्र के अकोला में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जहां भी कांग्रेस की सरकार बनती है….. वह राज्य पार्टी के ‘शाही परिवार’ का एटीएम बन जाता है….. पीएम मोदी ने कहा था कि हरियाणा के लोगों ने ‘एक है तो सेफ हैं’ के मंत्र का पालन करके कांग्रेस की साजिश को नाकाम कर दिया…. और उन्होंने कहा था कि कांग्रेस जानती है कि वह तभी मजबूत होगी….. जब देश कमजोर होगा…. कांग्रेस की नीति एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ खड़ा करना है….

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा की विभाजनकारी बयानबाजी की आलोचना की…. और ‘डरोगे तो मरोगे’ के नारे से जवाब दिया…. और उन्होंने भाजपा पर डर फैलाने और विभाजन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया…. खड़गे ने भाजपा पर लोकतंत्र को खत्म करने और संसद में बहस को दबाने का भी आरोप लगाया…. मुंबई में ‘संविधान बचाओ’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया था कि संसद में चर्चा और बहस की अनुमति नहीं है…. और उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री कहते हैं ‘एक है तो सेफ हैं’ जबकि अन्य नेता (भाजपा के) ‘बटेंगे तो कटेंगे’ की बात करते हैं….. अरे किसे खतरा है? क्या कोई समस्या है? वास्तव में, देश को आरएसएस, भाजपा, पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से खतरा है…. मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि चर्चा के ज़रिए मुद्दों का समाधान किया जा सकता है….. जिससे लोकतंत्र मज़बूत होगा…. लेकिन वे (बीजेपी) लोकतंत्र को खत्म करना चाहते हैं….

आपको बता दें कि झारखंड के पलामू-लातेहार में एक रैली के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि योगी कुछ दिन पहले यहां आए थे….. वे एक ‘मठ’ के प्रमुख हैं… और साधुओं जैसी पोशाक पहनते हैं…. लेकिन साधुओं को दयालु होना चाहिए… और मानवता की रक्षा के लिए लोगों को एकजुट करना चाहिए…. लेकिन, उन्होंने कहा कि ‘बटोगे तो कटोगे’…..अब आपको ‘डरोगे तो मरोगे’ समझना चाहिए…. इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी ‘सजग रहो’ नाम से एक अभियान शुरू किया…. जो बीजेपी के राष्ट्रीय एकता के संदेश को दर्शाता है…. आरएसएस ने हिंदुओं के बीच जातिगत विभाजन को खत्म करने पर जोर दिया…. मोदी के जातिगत विभाजन की राजनीति को देखकर ऐसा माना जा रहा है… कि मोदी सत्ता की चाह में किसी भी हद तक गिर सकते हैं… बता दें कि मोदी की बातों का अब जनता के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है… रैलियों में भीड़ दिखाई देनी बंद हो गई है… अपनी सभा में खाली कुर्सियों को देखकर मोदी की बौखलाहट बढ़ गई है… वहीं बौखलाहट के चलते मोदी जी की भाषा के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है…. और अब बीजेपी और मोदी को पता चल चुका है.,… कि मोदी के चेहरे पर अब कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता है….

आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद देशभर में भारतीय जनता पार्टी बंटेंगे तो कटेंगे नारे को प्रचारित कर रही है…. योगी आदित्यनाथ इसके पोस्टरबॉय बनाए गए हैं…. बीजेपी की इस कवायद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी समर्थन दे चुका है…. लेकिन इस स्लोगन का महाराष्ट्र बीजेपी के ही दो कद्दावर नेता ने विरोध कर दिया है…. इनमें पहला नाम राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण का है… तो दूसरा नाम विधानपरिषद सदस्य पंकजा मुंडे का…. दोनों नेताओं ने इस नारे को लेकर सवाल उठाए हैं…. चुनावी समय में मुंडे और चव्हाण के इस रुख की चर्चा हो रही है…. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और वर्तमान में राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण ने कहा है कि बंटेंगे तो कटेंगे नारे का हम समर्थन नहीं करते हैं…. इस तरह के नारे को लोग समर्थन नहीं करेंगे…. चव्हाण ने आगे कहा कि चुनाव के दौरान नारेबाजी होती है…. लेकिन यह नारा लोगों के हित में नहीं है…. लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे…. व्यक्तिगत तौर पर मैं इस नारे का विरोध कर रहा हूं…. एक रैली में बीजेपी के संस्थापक नेता नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने इस नारे का विरोध किया…. पंकजा ने कहा कि महाराष्ट्र में बंटेंगे तो कटेंगे नारे का कोई मतलब नहीं है…. इस स्लोगन का यहां के लोग समर्थन नहीं करते हैं…. वहीं पंकजा से पहले एनडीए गठबंधन के अजित पवार इस स्लोगन का विरोध कर चुके हैं…. महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजित ने कहा था कि बंटेंगे तो कटेंगे नारा महाराष्ट्र के लिए नहीं है….

 

 

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