अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी के मायने

sanjay sharma

सवाल यह है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी का विश्व के अंतरिक्ष बाजार पर क्या असर पड़ेगा? क्या निजी कंपनियां भारतीय अर्थव्यस्था को निकट भविष्य में बूस्टर डोज दे सकेंगी? क्या इससे इसरो के अनुसंधान और गतिविधियों पर कोई असर पड़ेगा? क्या इससे भारत से हो रही प्रतिभा पलायन पर रोक लग सकेगी? क्या रोजगार के साधनों में बढ़ोतरी होगी?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को हरी झंडी दे दी है। इसी के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी ऐलान कर दिया है कि अब प्राइवेट कंपनियां राकेट और सैटेलाइट बना सकती है। इसरो और निजी कंपनियों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए एक बोर्ड का गठन होगा। सवाल यह है कि अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी का विश्व के अंतरिक्ष बाजार पर क्या असर पड़ेगा? क्या निजी कंपनियां भारतीय अर्थव्यस्था को निकट भविष्य में बूस्टर डोज दे सकेंगी? क्या इससे इसरो के अनुसंधान और गतिविधियों पर कोई असर पड़ेगा? क्या इससे भारत से हो रही प्रतिभा पलायन पर रोक लग सकेगी? क्या रोजगार के साधनों में बढ़ोतरी होगी? क्या युवाओं के बीच अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उत्सुकता बढ़ेगी? क्या निजी भागीदारी अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देने में एक सशक्त जरिया साबित होगी?
अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी निश्चित रूप से एक सराहनीय पहल है। भारत में इसका तात्कालिक और दूरगामी असर पड़ेगा। तात्कालिक दृष्टिï से कंपनियों के अंतरिक्ष क्षेत्र में उतरने से रोजगार के नए आयाम खुलेंगे। वहीं भारतीय प्रतिभा का पलायन रूकेगा। इससे देश के प्रतिभाशाली अंतरिक्ष विज्ञानी विदेशों में करियर बनाने के उद्देश्य से कम जाएंगे। उनकी प्रतिभा का अधिकतम फायदा भारत को मिलेगा। शोधों का दायरा बढ़ेगा और इसरो से समन्वय स्थापित करके तमाम अंतरिक्ष मिशनों को एक साथ अंजाम देने की क्षमता विकसित होगी। इसका सीधा असर विश्व के अंतरिक्ष बाजार पर पड़ेगा। विश्व के तमाम देश उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इसरो की सहायता लेते हैं क्योंकि यहां उन्हें बेहद कम दामों में प्रक्षेपण की सुविधा मिल जाती है। इसरो के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की सफलता दर भी इसकी बड़ी वजह है। जाहिर है इसरो के अनुभव का लाभ भी इन कंपनियों को समय-समय पर मिलेगा। इससे देश का अंतरिक्ष बाजार में दबदबा बढ़ जाएगा। निजी भागीदारी से उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की क्षमता में कई गुना इजाफा हो जाएगा। इससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी। इसके अलावा चांद या अन्य ग्रहों पर मनुष्य को भेजने के मिशन को भी पंख लग जाएंगे। इससे निकट भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन का एक नया द्वार खुलेगा और निजी भागीदारी इसमें सहायक साबित होगी। वहीं इसका असर भारतीय युवाओं पर पड़ेगा। वे विज्ञान के प्रति और उत्सुक होंगे और अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझाने में अपनी प्रतिभा का उपयोग कर सकेंगे। चीन और अमेरिका जैसे देशों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी भागीदारी का बेहतर परिणाम दिखा है। लिहाजा यह कदम भारत में भी बेहतर साबित हो सकता है।

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