केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार पर टिकी जदूय की निगाहें
पटना। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी कैबिनेट के विस्तार की खबरों के बीच बिहार में भी राजनीतिक हलचल तेज हो रही है। माना जा रहा है कि इस बार राज्य की सत्ताधारी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड भी कैबिनेट में शामिल हो सकती है। ये भी चर्चा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं और उन्हें बड़ा मंत्रालय दिया जा सकता है। असल में केन्द्र में जब 2019 में पीएम मोदी की सत्ता पर दोबारा आए थे, तो जदयू ने कैबिनेट में शामिल होने से मना कर दिया था।
असल में अब जदयू ने दो साल बाद केन्द्र सरकार में शामिल होने की इच्छा जाहिर कर रहा है। पार्टी अध्यक्ष आरसीपी सिंह चाहते हैं कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू की हिस्सेदारी हो। लिहाजा पार्टी ज्यादा पदों के साथ ही बड़े मंत्रालयों पर दावा कर रही है। जदयू का मानना है कि वह एनडीए में सबसे बड़ा घठकदल और उसे कैबिनेट में ज्यादा सीट मिलनी चाहिए। असल में साल 2019 में जदयू ने सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था।
जबकि जदयू को कैबिनेट मंत्री का पद ऑफर किया गया है। उस वक्त पार्टी अपने दो बड़े नेताओं के लिए दो मंत्री पद मांग रही थी। ये दोनों नेता लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता ललन सिंह और राज्यसभा में संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह थे। लेकिन इसके लिए भाजपा तैयार नहीं थी। जिसके बाद जदयू ने कैबिनेट में शामिल नहीं होने का फैसला किया था।
वहीं अब दो साल बाद पार्टी मोदी कैबिनेट में शामिल होने को तैयार और ये दोनों नेता दावे की दौड़ में हैं। वहीं कहा जा रहा है कि अगर जदयू को मोदी कैबिनेट में जगह मिलती है तो आरसीपी सिंह कैबिनेट मंत्री हो सकते हैं और वह अभी पार्टी के अध्यक्ष हैं। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जदयू को कैबिनेट मंत्री के दो पद देने पर सहमत हो जाते हैं तो फिर यह स्वाभाविक है कि ये दोनों मंत्री बनेंगे।
असल में आरसीपी सिंह कुर्मी बिरादरी से आते हैं। जबकि नीतीश कुमार भी कुर्मी जाति से आते हैं। ऐसी स्थिति में नीतीश के विश्वस्त और भूमिहार जाति के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का नाम फाइनल हो सकता है। लिहाजा इसके जरिए नीतीश कुमार कूर्मी और भूमिहार को साध सकते हैं। राज्य में चर्चा है कि आरसीपी सिंह, ललन सिंह, पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा भी कैबिनेट मंत्री की दौड़ में है।
असल में आरसीपी सिंह का प्रभाव पार्टी कैडर पर तेजी से बढ़ रहा है और कई नेता इससे चिंतित है। खासतौर से आरसीपी के विरोधी। क्योंकि आज जदयू में नीतीश कुमार के बाद सबसे ताकतवर पार्टी में आरसीपी सिंह हैं। वह राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ ही राज्यसभा सांसद भी हैं। पिछले साल ही नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था। इस फैसले के बाद पुराने लोगों को वापस लाने के प्रयास शुरू हो गए। इस प्रयास में उपेंद्र कुशवाहा को वापस लाया गया। उन्हें संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर आरसीपी सिंह के बराबर करने का प्रयास किया गया। वहीं पार्टी में आरसीपी और कुशवाहा के राजनीतिक संबंध अच्छे नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के पुराने करीबी सहयोगी रहे हैं।