देवभूमि में कांग्रेस का मंथन

नई दिल्ली। देवभूमि में चुनाव भले ही अगले साल हो लेकिन सभी दलों ने अपनी ओर तैयारियों को गति देना शुरू कर दिया है। राजनीतिक दल आगामी चुनाव के मद्देनजर अपने कीलकांटे दुरूस्त करने में जुटे गए हैं। भाजपा हो या हो कांग्रेस सभी अपनी-अपनी जीत तय करने के लिए रोडमैप बनाने का काम कर रहे हैं। एक ओर जहां भाजपा और आरएसएस की समन्वय बैठक में चुनावी जीत का खाका तैयार करने की कवायद की गई तो वहीं दूसरी ओर अब कांग्रेस तीन दिन के मंथन के जरिए अपनी जीत के लिए रोडमैपतैयार करेगी। कांग्रेस की इस बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत तमाम वरिष्ठ नेता मंगलवार से गुरुवार तक ऋषिकेश में बैठक कर चुनावी रणनीति का तानाबाना बुनेंगे।
प्रदेश के ऋषिकेश में तीन दिवसीय मंथन शिविर में कांग्रेस के घोषणा पत्र, प्रस्तावित मुद्दों और अभियानों, प्रस्तावित यात्राओं और बैठकों के लिए सुझाव, चुनाव के दौरान आवश्यक सावधानियां, आदि बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा होगी और सुझाव लिए जाएंगे। इसलिए पार्टी ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, प्रदेश कार्यकारिणी, सभी जिला अध्यक्षों, सभी समितियों, संबंधित संगठनों, विभागों और पदाधिकारियों को बुलाया है।
कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने और चुनाव के प्रबंधन के संबंध में यह बैठक आयोजित कर रही है। ऐसी स्थिति में तीन अगस्त को मंथन शिविर के पहले दिन सभी समितियों से फीडबैक लिया जाएगा और आगे की कार्ययोजना मांगी जाएगी। दूसरे दिन 4 अगस्त को सभी फ्रंटल संगठनों, प्रदेश कांग्रेस कमेटी और जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक की जाएगी। तीसरे दिन 5 अगस्त को कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक होगी, जिसमें 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन और रणनीति तय की जाएगी।
आपको बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली हार और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार ने प्रदेश में कांग्रेस की हालत पस्त कर दी है। ऐसी स्थिति में पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में इतिहास दोहराने के पक्ष में नहीं है और पार्टी रणनीतिकारों की चिंता यह है कि अगर अगले चुनाव में सत्ता में वापसी नहीं हुई तो मुश्किल हालात को संभालना संभव नहीं होगा। इन परिस्थितियों को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने संगठन से लेकर नेताओं के दायित्वों तक में बड़े बदलाव किए हैं।
उत्तराखंड में सत्ता में वापसी की चाहत के लिए कांग्रेस पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरना चाहती है। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने दिग्गज नेताओं के बीच आंतरिक सुलह, समझौता और संकल्प का प्रयोग किया है, जिसके लिए प्रीतम सिंह से लेकर गणेश गोदियाल तक प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है, जबकि पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी प्रीतम सिंह को सौंप दी गई है।
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व जहां एक ओर क्षेत्रीय क्षत्रपों को साधने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी ओर पार्टी खुद के लिए भी ठोस राणनीति पर काम कर रही है। ताकि पार्टी सत्तर विधानसभा सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ सके। प्रत्याशी चयन में भी इस दौरान आपसी सहमति और प्रबल दावेदारी खासा ध्यान रखा जा रहा है साथ इस प्रकरण पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गंभीर चिंतन हुआ है।
प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर और सरकार और भाजपा के भीतर मची उथल-पुथल के बाद कांग्रेस में अपनी खोई राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करने की उम्मीद बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में ऋषिकेश में तीन दिन से पार्टी के वरिष्ठ नेता डेरा डालकर चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि कांग्रेस नई रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतर सकती है। मगर कांग्रेस की नई रणनीति क्या होगी अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी वहीं दूसरी ओर देखना यह भी होगा कि कांग्रेस के इस तीन दिवसीय मंथन के बाद जो रणनीति का ब्लूप्रिंट बाहर आता है वो वापस उसे सत्ता के दुर्ग तक पहुंचाने में कितना कामयाब होता है?

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