अब रेल, सड़क और बिजली को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी
- विपक्ष बोला- उद्योगपति मित्रों का हित साध रही मोदी सरकार
- कंपनियों को संपत्तियां किराए पर देकर जुटाया जाएगा 6 लाख करोड़
- कई और सेक्टर भी हैं शामिल, नेशनल मोनेटाइजेशन नीति की घोषणा
- विपक्ष ने किया जोरदार हमला, कहा, ऐसी कमजोर सरकार नहीं देखी
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। अब केंद्र सरकार यात्री ट्रेनों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों, सड़कों, बिजली और स्टेडियम को निजी कंपनियों को सौंपने जा रही है। सरकार का दावा है कि इसके जरिए वह 6 लाख करोड़ रुपये जुुटा सकेगी। इस नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) योजना की घोषणा वित्त मंत्री सीतारमण ने की है। इस घोषणा के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है। विपक्ष का कहना है कि इसके जरिए मोदी सरकार अपने उद्योगपति मित्रों का हित साधना चाहती है। उसे आम आदमी से कोई मतलब नहीं है। घाटे पर चल रही सार्वजनिक कंपनियों को बेचने के बाद अब सरकार अन्य सार्वजनिक संपत्तियों को किराए पर उठाने जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन कार्यक्रम की शुरुआत की और दावा किया कि इसके जरिए सरकार को चार साल में यानी 2025 तक 6 लाख करोड़ की आमदनी होगी। योजना के तहत सरकार अब अपनी कमाई के लिए बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाएं, जैसे रेल, सड़क, हवाई अड्डे, गैस पाइपलाइन, स्टेडियम, बिजली आदि को निजी क्षेत्रों के बड़े खिलाड़ियों को कुछ समय के लिए देगी और उसके बदले में उनसे मोटा किराया वसूल करेगी। केंद्र सरकार के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया में इन प्रोजेक्ट का स्वामित्व निजी कंपनियों को हस्तांतरित नहीं होगा। कुछ सालों के बाद इन प्रोजेक्ट के संचालन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार फिर अपने हाथों में ले लेगी। ये समय कितना लंबा होगा ये केंद्र और निजी कंपनियों के बीच समझौते पर तय करेगा। इस पर विपक्ष ने कहा कि मोदी सरकार सब-कुछ बेच देने पर आमादा है।
क्या है एसेट मोनेटाइजेशन
मोनेटाइजेशन का सीधा मतलब है मौद्रिकरण। संपत्ति मौद्रिकरण का अर्थ सरकारी क्षेत्र की उन संपत्तियों से राजस्व या आय के नए साधनों के रास्ते खोजना है जिनका अब तक पूरा दोहन नहीं किया गया है। चूंकि सरकार पूंजी की किल्लत से जूझ रही है इसलिए सरकार चाहती है कि निजी कंपनियां पैसे लगाए। केंद्र सरकार ने एसेट मोनेटाइजेशन के लिए नीति आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा दिया था। नीति आयोग ने बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर वाले मंत्रालयों के साथ सलाह कर उन संपत्तियों की सूची तैयार की है जहां एसेट मोनेटाइजेशन की संभावना है। ये सेक्टर हैं रेलव, सड़क परिवहन और हाईवे, जहाजरानी, टेलिकॉम, बिजली, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, युवा मामले और खेल।
लोगों को ये भ्रम नहीं होना चाहिए कि सरकार कुछ बेच रही है। इन सभी कंपनियों का स्वामित्व सरकार के हाथों में रहेगा और निजी कंपनियां कुछ साल बाद अनिवार्य रूप से इन संपत्तियों को सरकार को वापस सौंप देंगी। इस योजना का मुख्य लक्ष्य मोनेटाइजेशन के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद करना है। इस प्रक्रिया से देश के नागरिकों का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा और उन्हें क्वालिटी लाइफ मिल सकेगी।
निर्मला सीतारमण, वित्त मंत्री
स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहले कभी केंद्र सरकार ने इतना असहाय होकर कॉर्पोरेट जगत के सामने समर्पण नहीं किया। भाजपा सरकार कॉर्पोरेट द्वारा, कॉर्पोरेट की और कॉर्पोरेट के लिए है। साठ-गांठ वाले पूंजीपतियों ने सरकार का पूरी तरह निजीकरण कर दिया है।
सुखेंदु शेखर राय, सांसद, तृणमूल कांग्रेस
आत्मनिर्भर का जुमला देते-देते पूरी सरकार को ही अरबपति मित्रों पर निर्भर कर दिया। सारा काम उन्हीं अरबपति मित्रों के लिए, सारी संपत्ति उन्हीं के लिए। 70 सालों में देश की जनता की मेहनत से बनी लाखों करोड़ की संपत्ति अपने अरबपति मित्रों को दे रही है ये सरकार।
प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव
उद्योगपतियों को मुनाफा देने के लिए यह भाजपा की नई तरकीब है। मूलभूत सुविधाएं को निजी हाथों में देकर भाजपा जनता पर आर्थिक भार बढ़ाएगी। किराए पर देने से महंगाई बढ़ेगी। भाजपा को जनता के हितों से कोई मतलब नहीं है। वह बस पूंजीपतियों का हित साध रही है।
निधि यादव, प्रवक्ता, सपा
भाजपा सरकार अब बिजली, सड़क और रेलवे को भी किराए पर देकर जनता पर कर्ज लादना चाहती है। केंद्र व राज्य सरकारें दोनों ही जनता के साथ छल कर रही हैं। अगले चुनाव में जनता इसका जवाब जरूर देगी।
रोहित श्रीवास्तव, प्रदेश उपाध्यक्ष, आप
भाजपा सरकार सब-कुछ बेचने पर तुली है। इन क्षेत्रों को निजी हाथों में देने से जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। जनता की जेब ढीली होगी। हवाई अड्डों पर निजी कंपनियों की मनमानी इसका ताजा उदाहरण है।
अनुपम मिश्रा, राष्टï्रीय प्रवक्ता आरएलडी
आगरा में जहरीली शराब से कोहराम, तीन की मौत
4पीएम न्यूज नेटवर्क. आगरा। अब आगरा में जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हो गई है जबकि एक की हालत नाजुक है। पुलिस ने दो शराब के ठेकों को सील कर दिया है और जांच पड़ताल में जुटी है। हालांकि पुलिस अधिकारी जहरीली शराब पीने से मौत के होने की बात से इंकार कर रहे हैं। डौकी के कोलारा कला गांव निवासी 33 वर्षीय राधे और 35 वर्षीय अनिल ने देसी शराब के ठेके से शराब खरीदकर पी थी। देर रात दोनों की हालत बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई। रामवीर की भी शराब पीने के बाद हालत बिगड़ गई। उन्हें हास्पिटल में भर्ती कराया गया है। पास के गांव बरकुला निवासी 55 वर्षीय ग्याप्रसाद की भी शराब पीने के बाद रात में मौत हो गई। रात में स्वजनों ने राधे का अंतिम संस्कार कर दिया। अनिल के अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी। एसपी पूर्वी के वैंकट अशोक ने बताया कि रात को पुलिस को किसी ने सूचना दी थी। इसके बाद पुलिस टीम वहां पहुंची। शराब के दो ठेकों को बंद करा दिया गया है। इनसे शराब पीकर हालत बिगड़ने की बात सामने आई है। इन ठेकों से बेची जा रही शराब की जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रथमदृष्टया शराब पीने से मौत की बात स्पष्ट नहीं है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि सभी की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है। ग्रामीणों ने पुलिस पर अवैध शराब माफियाओं से मिलीभगत का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि क्षेत्र में जहरीली शराब धड़ल्ले से बिक रही है और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। गौरतलब है कि सरकारी ठेके की शराब पीकर कई लोगों की मौतें लगातार हो रही हैं।