थानों में नहीं दर्ज हो रही एफआईआर, अदालत की शरण ले रहे पीड़ित

  • एनसीआरबी की रिपोर्ट से हुआ चौंकाने वाला खुलासा
  • अपराधों के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की खुली पोल
  • राजधानी में दोगुनी हुई अदालत से एफआईआर दर्ज कराने वालों की संख्या
  • अदालत के आदेश पर दर्ज किए जा रहे केसों में तेजी से हो रहा इजाफा
सत्य प्रकाश
लखनऊ। अपराधों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति और कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के आदेशों की खुद कानून के रक्षक ही धज्जियां उड़ा रहे है। प्रदेश के थानों में पीड़ितों की गुहार नहीं सुनी जा रही है। पीड़ितों की एफआईआर तक नहीं दर्ज की जा रही है। लिहाजा पीड़ित न्याय पाने के लिए कोर्ट की शरण में पहुंच रहे हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा राष्टï्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से हुआ है। प्रदेश के थानों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए लोगों को कोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है। अदालत के जरिए एफआईआर दर्ज कराने वालों की संख्या में लगतार इजाफा हो रहा है। कोर्ट से एफआईआर दर्ज कराने के मामले में आगरा ने पांच साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। वहीं कानपुर में महिला संबंधित अपराधों को दर्ज कराने के मामलों ने बीते पांच सालों का रिकार्ड तोड़ दिया। अपराधों को लेकर राजधानी लखनऊ में भी कोर्ट के जरिए मुकदमा दर्ज कराने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। एनसीआरबी 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में आगरा में कुल 413 मुकदमे कोर्ट के आदेश पर दर्ज किए गए हैं। इसके साथ पांच वर्षों का रिकार्ड टूट गया है। आगरा में वर्ष 2018 में कोर्ट के आदेश पर 273 मुकदमे दर्ज किए गए थे जबकि 2017 में इनकी संख्या 203 थी। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार आगरा में थाना स्तर पर कुल 6097 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं कुल दर्ज हुए मुकदमों की संख्या 6510 है। राजधानी लखनऊ में वर्ष 2018 में कुल 182 मामले कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुए थे जबकि 2019 में इनकी संख्या लगभग दोगुनी होकर 331 हो गई है। कानपुर में भी 412 मामले कोर्ट के आदेश पर दर्ज किए गए हैं।
महिला अपराधों पर बरती जा रही लापरवाही
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक महिला संबंधित अपराधों के मामलों में 2019 में कानपुर ने पांच साल के रिकार्ड टूट गए। 114 मुकदमे कोर्ट के आदेश पर दर्ज किए गए। 2018 व 2017 में इसकी संख्या मात्र 29 थी। केवल राजधानी में ही महिला संबंधित अपराधों के 36 मुकदमों को दर्ज कराने के लिए कोर्ट की शरण लेनी पड़ी जबकि 2018 में इसकी संख्या 24 तथा 2017 में इसकी संख्या 22 थी।
पुलिस मुख्यालय से सभी मामलों में शत-प्रतिशत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश हैं। कुछ मामलों में लोग गलत एफआईआर दर्ज कराते हैं। फिर भी एनसीआरबी के आंकड़ों का अध्ययन कर हम इसमें सुधार लाने का प्रयास करेंगे।
प्रशांत कुमार, एडीजी कानून और व्यवस्था, यूपी पुलिस

बजट सत्र कल से, सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष
  • सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने दी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया
  • संत्र हंगामेदार रहने के आसार
  • विपक्षी दल किसान आंदोलन, कानून व्यवस्था, कोरोना संकट सहित कई मुद्ïदों को सदन में उठाएंगे
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र से पहले आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की मौजूदगी में हुई बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया और सीएम के सामने बजट सत्र को लेकर प्रतिक्रिया दी। इस बीच सत्र संचालन कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया। बजट सत्र 18 फरवरी यानी कल से है। यह सत्र 10 मार्च तक चलेगा। 22 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश होगा। सत्र के दौरान कई अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पास कराया जाएगा। इसके अलावा विभागों के कामकाज पर सीएजी रिपोर्ट भी सदन के पटल पर रखी जाएगी। कल से राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होने वाला सत्र हंगामेदार होगा। कानून व्यवस्था, महंगाई, कोरोना संकट में बढ़ा भ्रष्टाचार, गन्ना मूल्य भुगतान न होने व किसानों के मुद्दे आदि लेकर विपक्ष ने सरकार की घेराबंदी की तैयारी तेज कर दी है। बसपा ने आज शाम विधायकों की बैठक बुलाई है। वहीं समाजवादी विधायक कल सुबह नौ बजे पार्टी मुख्यालय में एकत्रित होंगे और साइकिलों से विधान भवन की ओर कूच करेंगे। कांग्रेस विधान मंडल दल की बैठक भी कल सुबह होगी।
पंजाब निकाय चुनाव में कांग्रेस का जलवा, बीजेपी हताश
  • किसान आंदोलन का मिला फायदा, बीजेपी करारी हार की ओर
  • आप और शिअद का प्रदर्शन भी काफी खराब
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नईर् दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच पंजाब में हुए निकाय चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। अब तक के नतीजे कांग्रेस को सुकून देने वाले हैं। वहीं भाजपा को परेशान करने वाले हैं। निकाय चुनाव में कांग्रेस जबरदस्त जीत की ओर बढ़ती दिख रही है। वहीं भाजपा, आप और शिअद का प्रदर्शन काफी खराब दिख रहा है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले की अग्नि परीक्षा के तौर पर स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आज वोटों की गिनती हो रही है। दरअसल, पंजाब में 14 फरवरी को 117 स्थानीय निकायों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से 109 नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत हैं, वहीं, 8 नगर निगम शामिल हैं। स्थानीय निकाय चुनाव 2021 में कांग्रेस राज्य भर में भारी जीत की ओर है। बठिंडा, कपूरथला सहित कई जगहों पर कांग्रेस ने अन्य दलों का लगभग सफाया कर दिया है। कांग्रेस ने कई निगम, नगर कौंसिल और नगर पंचायतों पर कब्जा किया है। हालांकि शिअद को कुछ स्थानों पर बढ़त मिली है।

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