सुप्रीम कोर्ट का कार्रवाई रोकने से इंकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के खोरी गांव में वन संरक्षित भूमि से अवैध निर्माण को हटाने की चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने लोगों के बेघर होने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए बयान को खारिज करते हुए कहा कि बेहतर होता कि यूएन हमारे पुराने आदेश और पेपरबुक को देख लेता। अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत के समक्ष संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का हवाला दिया।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने खोरी गांव से करीब एक लाख लोगों को निकालने पर रोक लगाने की अपील की थी। मीनाक्षी अरोड़ा ने शुक्रवार को मानसून और कोविड महामारी को देखते हुए कोर्ट से कुछ राहत मांगी। उन्होंने कहा कि तोडफ़ोड़ की कार्रवाई से पहले अग्रिम सूचना दी जाए, ताकि आवास की वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके, लेकिन कोर्ट ने अपनी ओर से पुराने आदेश को बदलने से इनकार करते हुए कहा कि आप अपनी बात वहां से संबंधित अधिकारी के पास रखें। अगर आप संतुष्ट नहीं हैं तो आप कोर्ट आ सकते हैं।
आपको बता दें कि हरियाणा के फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में उस समय हंगामा हो गया था जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुलिस की टीम अवैध निर्माण को हटाने पहुंची थी। पुलिस जब खोरी गांव पहुंची तो ग्रामीणों से उनकी बहस शुरू हो गई। इसके बाद विवाद बढ़ा तो पुलिस व गांव के लोग आमने-सामने आ गए। पुलिस और इलाके के लोगों के बीच जमकर मारपीट हुई। इस दौरान ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर पथराव किया था, तब पुलिस ने ग्रामीणों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के खोरी गांव को खाली कराने का आदेश दिया था। गांव को छह सप्ताह के भीतर खाली करने को कहा गया है। फरीदाबाद के खोरी गांव को खाली करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस कई चरणों में गांव जा चुकी है, लेकिन गांव वाले अपना घर नहीं छोडऩा चाहते। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर बने करीब 10,000 घरों को खाली करने का आदेश दिया था। बताया जाता है कि सूरजकुंड थाना क्षेत्र के खोरी गांव में 10 हजार घर हैं, जिनमें लोग तीन दशक से अधिक समय से रह रहे हैं।

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