सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ चुनावी चक्रव्यूह भेदने की तैयारी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए नई बिसात बिछानी शुरू हो गई है। जहां भारतीय जनता पार्टी ने अपने हिंदुत्व एजेंडे पर आगे बढ़ते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को गुरु पूर्णिमा जैसे अवसरों पर संतों से आशीर्वाद लेने का निर्देश देकर अपना चुनाव अभियान शुरू किया है। वहीं, बसपा और सपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों ने भी बीजेपी को टक्कर देने के लिए हिंदुत्व के सॉफ्ट रास्ते को अपनाया हैं। दोनों पार्टियों के केंद्र में ब्राह्मण मतदाता हैं, बसपा के दिग्गज नेता सतीश मिश्रा ने अयोध्या में प्रबुद्ध वर्ग की बैठक कर जयश्री राम की घोषणा की है तो सपा के अखिलेश यादव ने पांच ब्राह्मण नेताओं के साथ सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अपनाया है। इसके तहत सत्ता में आने पर भगवान परशुराम की प्रतिमा सहित भगवान विष्णु की प्रतिमाओं का वादा किया गया है।
सपा-बसपा के इन कदमों से साफ है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को टक्कर देने के लिए नए समीकरण बन रहे हैं। गौरतलब है कि इन्हीं समीकरणों के दम पर बीजेपी सवर्ण मतदाताओं समेत गैर जाटव दलित और गैर यादव ओबीसी वोट बैंक को अपने पक्ष में करने में सफल रही है। अब सपा-बसपा भी सॉफ्ट हिंदुत्व की आड़ में नई बिसात बिछा रहे हैं। इसकी शुरुआत बसपा ने अयोध्या में एक प्रबुद्ध वर्ग की बैठक के साथ की थी, जहां भगवान राम के नाम की घोषणा की गई थी। अब अगले चरण में बसपा भगवान कृष्ण और फिर भगवान विश्वनाथ का नाम जपने वाली है।
बसपा के इस राजनीतिक रवैये से ज्यादा सतीश मिश्रा के वादे से राजनीतिक पंडित ज्यादा हैरान थे। उल्लेखनीय है कि अयोध्या में सतीश मिश्रा ने न केवल जय श्री राम का नारा लगाया, बल्कि यह भी वादा किया कि सत्ता में आने पर राम मंदिर का निर्माण तेजी से किया जाएगा। इस पर उन्होंने कहा कि ब्राह्मण होने के नाते वह बचपन से ही मंदिरों में पूजा करते आ रहे हैं। इसके साथ ही उनकी पार्टी में धार्मिक आस्था को लेकर कोई पाबंदी नहीं है। अयोध्या के बाद सतीश मिश्र का अगला पड़ाव मथुरा-वृंदावन है, जहां से कृष्ण भक्तों को लुभाने का प्रयास किया जाएगा।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बसपा की तर्ज पर सपा का भी रवैया बदल गया है। पूर्व मंत्री और सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी का भी कहना है कि हिंदुत्व लंबे समय से पार्टी के एजेंडे में रहा है। उनका जोरदार तर्क है कि ऐसा नहीं है कि सपा भाजपा का मुकाबला करने के लिए ऐसा कर रही है। उनका कहना है कि पार्टी से पहले से ही उन लोगों के साथ खड़ी रही हैं जो भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित करने के पक्ष में थे।