केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची स्टालिन सरकार, शिक्षा योजना का फंड रोके जाने पर दायर की याचिका

नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। यह याचिका समग्र शिक्षा योजना के तहत ?2000 करोड़ से ज्यादा फंड रोके जाने को लेकर है। राज्य सरकार का आरोप है कि उसने नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू नहीं किया, इसलिए केंद्र ने फंड जारी नहीं किया।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि केंद्र सरकार को ?2000 करोड़ से ज्यादा की बकाया राशि तत्काल जारी करने का आदेश दिया जाए। इस रकम पर छह फीसदी सालाना ब्याज के साथ भुगतान किया जाए। केंद्र की तरफ से एनईपी लागू करने के बहाने फंड रोकने की कार्रवाई को ‘असंवैधानिक, अवैध, मनमानी और गैर-जिम्मेदाराना’ घोषित किया जाए।
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साफ तौर पर कहा है कि एनईपी 2020 और प्रधानमंत्री श्री स्कूल योजना तमिलनाडु पर बाध्यकारी (बाइंडिंग) नहीं हो सकती। केंद्र को ‘मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2010’ (राइट टू एजुकेशन एक्ट) के तहत अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए हर शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से पहले 60त्न खर्च की राशि समय पर देनी चाहिए।
राज्य सरकार ने यह भी आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के जरिए हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है। तमिलनाडु सरकार लंबे समय से तीन-भाषा फॉर्मूला का विरोध करती रही है और दो टूक कहती रही है कि राज्य में हिंदी नहीं थोपी जा सकती।
कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका खारिज की थी, जिसमें तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में तीन-भाषा फॉर्मूला लागू करने की मांग की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि, ‘कोई अदालत सीधे किसी राज्य को नई शिक्षा नीति जैसे किसी नीति को लागू करने का आदेश नहीं दे सकती।’कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी राज्य की कार्रवाई से मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा हो, तभी हस्तक्षेप किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वह दिल्ली में रहता है और उसका सीधे कोई लेना-देना इस मुद्दे से नहीं है।
नई शिक्षा नीति 2020 केंद्र सरकार द्वारा लाई गई थी जिसमें कई बड़े बदलावों का प्रस्ताव था, जैसे कि:
5+3+3+4 शिक्षा ढांचा
मातृभाषा में पढ़ाई को बढ़ावा
तीन-भाषा फॉर्मूला
उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार

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