गर्भपात के बाद भ्रूण को किया शोध हेतु दान, वंदना जैन बनीं समाज के लिए प्ररेणा

समिति के उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता ने बताया कि अस्पताल और स्वयंसेवकों के सहयोग से पूरा दान सुचारू रूप से संपन्न हुआ.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: कभी-कभी जिंदगी की सबसे गहरी पीड़ा भी समाज के लिए एक नई राह दिखा जाती है। दिल्ली के पीतमपुरा निवासी 32 वर्षीय की वंदना जैन ने कुछ ऐसा ही साहसिक और प्ररेणादायक कार्य किया है

यह कदम उनके ससुर सुरेश जैन की अगुवाई में संभव हो सका, जो ‘आगम श्री फाउंडेशन’ के अध्यक्ष हैं और अंगदान को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रहते हैं. इस पहल को चिकित्सा जगत ने न केवल संवेदनशील कदम बताया है, बल्कि भविष्य के शोध और मेडिकल शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण माना है.

कैसे लिया भ्रूण दान का निर्णय?
महिला के ससुर सुरेश जैन ने बताया कि अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाना उनकी संस्था का मुख्य लक्ष्य रहा है. जब परिवार पर यह व्यक्तिगत दुख आया, तो उन्होंने इसे समाजहित में बदलने का निर्णय लिया. उन्होंने दधीची देहदान समिति के उत्तर प्रमुख जी.पी. त्यागल से संपर्क किया. समिति ने उन्हें AIIMS की एनाटॉमी विभाग से जोड़ा. अस्पताल की टीम और स्वयंसेवकों ने मिलकर प्रक्रिया को पूरा किया.

वंदना जैन का भ्रूण रोहिणी के एक नर्सिंग होम से AIIMS लाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई.
AIIMS के एनाटॉमी विभाग प्रमुख एस.बी. राय ने स्वयं आगे बढ़कर सर्टिफिकेट जारी करने की औपचारिकताएं पूरी कीं. समिति के उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता ने बताया कि अस्पताल और स्वयंसेवकों के सहयोग से पूरा दान सुचारू रूप से संपन्न हुआ.

शोध और समाजहित का संदेश
आपको बता दें,कि एम्स के एक डॉक्टर ने बताया कि भ्रूण का उपयोग मेडिकल छात्रों के प्रशिक्षण और शोध में किया जाएगा. दधीची समिति के उपाध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि जैन परिवार ने कठिन परिस्थिति में भी समाज के लिए उदाहरण पेश किया है. यह कदम दर्शाता है कि परिवार चाहे तो शोक की घड़ी में भी इंसानियत और विज्ञान की दिशा में नई राह खोल सकता है.

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