लोकसेवकों को सेवा संबंधी कानून सिखाने में यूपी सरकार फेल : हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवा संबंधी कानूनों और नियमों के मामले में लोक सेवकों को लेकर बेहद अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने यूपी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि सरकार अहम पदों पर बैठे लोक सेवकों को सेवा संबंधी नियमों और कानूनों के बारे में प्रशिक्षित करने में असफल रही है। कोर्ट ने कमिश्नर अलीगढ़, डीएम हाथरस और एसडीएम सासनी के याची के खिलाफ पारित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि सरकार के अधिकारी विभागीय जांच करने में बिल्कुल भी प्रशिक्षित नहीं हैं। वे विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ होने वाली जांच को सही तरीके से नहीं कर रहे हैं और गलत आदेश पारित कर रहे हैं। इससे यूपी गवर्नमेंट सर्वेन्ट (डिसप्लिन एंड अपीलद्ध रूल्स 1999) की अवहेलना हो रही है। कोर्ट ने प्रधान सचिव राजस्व उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वह लोक सेवकों को सेवा संबंधी कानूनों और नियमों के बारे में प्रशिक्षित करें, ताकि वे कर्मचारियों का करिअर बर्बाद न कर सकें। कोर्ट ने आदेश दिया कि याची के इंक्रीमेंट को बहाल करते हुए उसे सभी लाभों को प्रदान किया जाए। साथ ही याची को चार सप्ताह में छह प्रतिशत की दर से एरियर का भुगतान किया जाए। अगर समयबद्ध आदेश का अनुपालन नहीं होता है तो याची के एरियर को 12 प्रतिशत की दर की ब्याज से भुगतान करना होगा। कोर्ट ने आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव, राजस्व को भेजने का भी आदेश दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने शिव कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। वहीं याची की ओर से तर्क दिया गया कि वह सासनी तहसील में बतौर सहायक क्लर्क के तौर पर तैनात था। याची पर दूसरे कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने और गाली देने का आरोप है। इसके अलावा आरोप था कि वह तहसील परिसर में शराब पीता है। इस आरोप में उसके दो इंक्रीमेंट रोकने का आदेश पारित किया गया। याची के अधिवक्ता हिमांशु गौतम की ओर से तर्क दिया गया कि याची के खिलाफ सही तरीके से जांच नहीं की गई है। क्योंकि आरोप को साबित करने के लिए कोई गवाह नहीं प्रस्तुत हुआ और जांच अधिकारी ने मौखिक बयानों के आधार पर याची के खिलाफ कार्रवाई कर दी, जोकि उत्तर प्रदेश सेवा नियम 1999 के नियम सात का उल्लंघन है।

30 जून को बागी गुट के विधायक पहुंच सकते हैं मुंबई

नई दिल्ली। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने गुवाहाटी में कहा कि हम शिवसेना में हैं और कहीं नहीं जा रहे हैं, जल्द ही मुंबई लौटेंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही सबको अपने अगले कदम के बारे में जानकारी देंगे। उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग ये दावा कर रहे हैं कि गुवाहाटी में मौजूद विधायकों में से 2 दर्जन हमारे संपर्क में हैं, तो उनके नाम की लिस्ट सार्वजनिक क्यों नहीं करते हैं। शिंदे ने कहा कि गुवाहाटी में मौजूद सभी विधायक उनके साथ खुश हैं। उन्होंने दावा किया कि कुल 50 विधायक उनके साथ हैं। शिंदे ने कहा कि जल्द ही आप सभी लोगों को आगे की भूमिका के बारे में बताएंगे और मुंबई लौटेंगे। उन्होंने कहा कि हम लोग शिवसेना को आगे लेकर जाएंगे और हम शिवसेना में ही हैं। सारे विधायक अपनी मर्जी से गुवाहाटी से आएं हैं। केसरकर हमारे गुट के प्रवक्ता हैं और ज्यादा जानकारी देंगे। बागी नेता शिंदे ने कहा कि हम हिंदुत्व का मुद्दा आगे लेकर जा रहे हैं। पता चला है कि 30 जून को बागी विधायक मुंबई लौट सकते हैं। कहा जा रहा है कि मुंबई पहुंचने के बाद शिंदे राज्यपाल से मिल सकते हैं। इसके बाद फ्लोर टेस्ट की भी मांग की जा सकती है। दरअसल शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ने सदन में बहुमत खो दिया है, क्योंकि शिवसेना विधायक दल के 38 सदस्यों ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।

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