किसान आंदोलन पर उच्चतम न्यायालय ने की कठोर टिप्पणी
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले एक साल से चल रहा है। किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन ट्रैफिक नहीं रोक सकते। इस समस्या का समाधान केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास है। शांतिपूर्ण आंदोलन का अधिकार किसी को भी है, लेकिन यह सही जगह पर होना चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों को आने-जाने में कोई परेशानी न हो। इस मामले की अगली सुनवाई अब 20 सितंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से किसानों के आंदोलन के चलते सडक़ें बंद करने की इस समस्या का समाधान निकालने को कहा. सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा के एक शख्स की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि किसानों के आंदोलन के चलते नोएडा से दिल्ली को जोडऩे वाले रास्ते बंद कर दिए जाएं. इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन सडक़ों को जल्द से जल्द खोला जाए।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि अब तक सडक़ें क्यों बंद हैं? विरोध करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सडक़ें जाम नहीं होनी चाहिए. साथ ही इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और तीन संबंधित राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि वे समन्वय करें और रोड ब्लॉक को खत्म करने का प्रयास करें।
इस याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा कि इसका समाधान केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों के हाथ में है. सडक़ें किसी भी कारण से बंद नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार को इस मसले के समाधान के लिए समय दिया गया है। वह मामले को सुलझाएं और हमें रिपोर्ट सौंपें।