कोरोना संक्रमण पर सरकार सख्त कंटेनमेंट जोन की होगी सघन निगरानी
केंद्र की अनुमति के बिना नहीं लागू किया जाएगा लॉकडाउन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण पर प्रभावी रोकथाम के लिए चिह्नित किए जाने वाले कंटेनमेंट जोन में पूरी सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। जोन में आने वाले प्रत्येक मकान की सर्विलांस टीम के माध्यम से सघन निगरानी कराने को कहा गया है। इसके अलावा जरूरत पडऩे पर रात का कफ्र्यू भी लगाया जा सकता है।
मुख्य सचिव आरके तिवारी ने सोमवार को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए। ये दिशा-निर्देश एक दिसंबर से अगले आदेशों तक लागू रहेंगे। सभी जिलाधिकारियों से कहा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन कराने के लिए जरूरत पडऩे पर वे सीआरपीसी की धारा 114 का इस्तेमाल करें। केंद्र सरकार की अनुमति के बिना स्थानीय स्तर पर किसी भी प्रकार का लॉक डाउन नहीं लगाया जाएगा। कोरोना को नियंत्रित करने के लिए परिस्थितियों का आकलन करते हुए स्थानीय प्रतिबंध के तौर पर केवल रात्रि कफ्र्यू लगाया जा सकता है। ऐसे शहरों में जहां कोरोना पॉजिटिविटी दर 10 प्रतिशत से अधिक है। वहां कार्यालयों में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए एक ही समय पर उपस्थित कर्मचारियों की संख्या को कम रखने के लिए उद्देश्य से कर्मचारियों के कार्यालय आने के अलग-अलग समय का निर्धारण किया जा सकता है। मुख्य सचिव ने कहा है कि कोरोना के लिए संवेदनशील एवं उच्च संभावना वाले क्षेत्रों में वायरस की शृंखला को समाप्त करने एवं इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कंटेनमेंट जोन का प्रभावी ढंग से चिह्नांकन किया जाना सबसे महत्वपूर्ण है। जिला प्रशासन द्वारा माइक्रो लेबल पर कंटेनमेंट जोन का सावधानीपूर्वक निर्धारण किया जाए। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि कंटेनमेंट जोन की सूची राज्य की वेबसाइट पर प्रसारित की जाए अैर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को भी उपलब्ध कराई जाए। कंटेनमेंट जोन में केवल अति आवश्यक गतिविधियां को ही अनुमति दी जाएंगी। इस जोन में चिकित्सकीय आपातकालीन सुविधाओं एवं आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए सख्त मानक अपनाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार कोरोना टेस्ट और मरीजों को तत्काल आइसोलेट करते हुए चिकित्सकीय उपचार शुरू कराने को कहा गया है।
प्रदेश में चल रहा कोरोना के फर्जी जांच का खेल: संजय सिंह
राज्यसभा सांसद बोले सरकार ने किया भूत जांच घोटाला
बरेली में 956 गुमनाम लोगों की कर दी जांच रिकॉर्ड नदारद
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4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ । आम आदमी पार्टी (आप) के यूपी प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने सोमवार को कोरोना टेस्टिंग पर सवाल उठाते हुए इसमें धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जांच सिर्फ कागजों पर की जा रही है और यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी काबू में है।
सांसद संजय सिंह ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में कोरोना उपकरण खरीद घोटाला की तरह ही ‘भूत जांच घोटाला’ किया है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 956 गुमनाम लोगों की कोरोना जांच कर दी गई, लेकिन इनका कोई रिकॉर्ड ही मौजूद नहीं है। इसी तरह, यूपी के 75 जिलों में कोरोना की जांच कागजों में करके किट तोड़ कर फेंक दी गई, न उस व्यक्ति का पता है, न उसके नाम का पता है और न उसके मोबाइल नंबर का पता है। अगर आपको भूतों की कोरोना जांच देखनी है, तो आप उत्तर प्रदेश जाइए। यूपी सरकार भूतों की कोरोना जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में नो टेस्टिंग, नो करोना, नो महामारी और नो खतरा, इसीलिए लोग योगी आदित्यनाथ की सरकार में सब चंगा कहते हैं। कोरोना नियंत्रण में योगी सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि इससे पहले, योगी सरकार ने 800 रुपए का ऑक्सीमीटर 5 हजार में, 1600 रुपए का थर्मामीटर 13 हजार में, 1.5 लाख का एनलाइजर 3.30 लाख रुपए में खरीद कर घोटाला किया था। जब हमने इस पर सवाल उठाया तो एक एसआईटी बना दी गई। एसआईटी आज उत्तर प्रदेश में सफेद हाथी बन गई है। एसआईटी आदित्यनाथ सरकार का सुरक्षा कवच बन गई है। कोई भी मामला हो उसमें एसआईटी बना दो, जिससे उस मामले में कुछ न निकल सके। शिक्षा भर्ती घोटाले में एसआईटी बनाई कुछ नहीं निकला। इंद्रकांत त्रिपाठी मामले में एसआईटी बनाई, कानपुर कांड में, हाथरस कांड में एसआईटी बनाई लेकिन जांच में कुछ नहीं निकला। सरकार ने जो भूत जांच घोटाला किया है, उसकी जांच कौन करेगा? यह आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश में कोरोना से लडऩे का मॉडल है।