भाजपा को शहरों से उखाड़ फेकेंगे: अखिलेश

  • सरकार के झूठ को करेंगे उजागर
  • कहा- एक अप्रैल से दवाइयां महंगी होने से इलाज हुआ और महंगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि निकाय चुनाव में भाजपा के झूठ को उजागर कर जनता के सामने उठाएंगे। उन्होंने कहा इस चुनाव में भाजपा को पूरी टक्क र देकर उसको उखाड़ फेंकेंगे। इसके लिए पार्टी के कार्यकर्ता तैयार हो जाएं। पार्टी अपने गठबंधन के सहयोगियों के साथ बातचीत कर चुनाव लड़ेगी। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने स्मार्ट सिटी के नाम पर जनता को धोखा दिया है। नगरों में कूड़ा भरा पड़ा है। नालियों में गंदगी है। सफाई नहीं है। व्यापारी परेशान है। नगर निकाय चुनाव में जनता भाजपा को सबक सिखाएगी।
एक अप्रैल से दवाइयां महंगी हो गई। इलाज महंगा हो गया। झूठ को सच दिखाने के लिए 200 करोड़ रूपये खर्च कर अमेरिकी एजेंसी की मदद ली जा रही है। अखिलेश यादव ने कहा कि ओलावृष्टि से किसानों की फसल तबाह हो गई है। भाजपा ने फसल बीमा का प्रचार किया था, लेकिन किसानों को कुछ नहीं मिल रहा है। भाजपा ने बीमा कम्पनियों का मुनाफा कराया लेकिन किसान की मदद नहीं हुई। आलू किसान बर्बाद हो गया। किसान को लागत भी नहीं मिल पा रही है। सरकार के पास गेहूं खरीद की कोई तैयारी नहीं है। न बोरा है और न अन्य इंतजाम। किसानों के धान, आलू की खरीद नहीं हुई, अब गेहूं के साथ भी वही हाल होगा।

कांशीराम के जरिए दलित एजेंडे को धार देगी सपा

समाजवादी पार्टी अब कांशीराम के जरिए दलित एजेंडे को धार देगी। पार्टी की रणनीति है कि जातीय जनगणना, संविधान रक्षा के साथ कांशीराम के समता और स्वाभिमान के संदेश को भी जन- जन तक पहुंचाया जाएगा। इसकी शुरुआत सोमवार को कांशीराम की मूर्ति के अनावरण समारोह के साथ हुई। यह मूर्ति रायबरेली के दीन शाह गौरा ब्लॉक स्थित मान्यवर कांशीराम महाविद्यालय में लगी। समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि सपा के मूल वोटबैंक के साथ दलित वोटबैंक जुड़ जाए तो सियासी वैतरणी आसानी से पार की जा सकती है। इसी रणनीति के तहत सपा ने लोहियावादियों के साथ अंबेडकरवादियों को एक मंच पर लाने की कोशिश की। बाबा साहब वाहिनी का गठन किया गया। पार्टी के दलित नेता अवधेश प्रसाद को न सिर्फ विधानसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बगल की कुर्सी दी गई बल्कि राष्ट्रीय सम्मेलन में भी वह साथ- साथ नजर आए।

1993 जैसी लहर लाने की कोशिश

सपा संस्थापक रहे स्व. मुलायम सिंह यादव ने 1991 में इटावा से बसपा संस्थापक स्व. कांशीराम को चुनाव लड़ाया। इस चुनाव में भाजपा ने मुलायम सिंह के सहयोगी राम सिंह शाक्य को मैदान में उतार दिया। कांशीराम को जीत मिली और यहीं से दोनों की दोस्ती गहरी होती चली गई। वर्ष 1993 में मुलायम सिंह यादव ने कांशीराम से दोस्ती कर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा। सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिली। गठबंधन ने 176 सीटें के साथ अन्य दलों को जोड़ा और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। लेकिन दो जून 1995 को बसपा ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा- बसपा गठबंधन हुआ। बसपा प्रमुख मायावती ने सभी गिले-शिकवे भूलने की बात करते हुए वोट मांगा। बसपा को 10 और सपा को पांच सीटें मिलीं। कुछ समय बाद यह गठबंधन टूट गया। विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले बसपा ही नहीं बल्कि बसपा पृष्ठभूमि से निकलकर भाजपा में जाने वाले तमाम नेताओं ने सपा का रूख किया।

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