अखिलेश की योगी सरकार से बड़ी मांग, राजनीति के साथ मिला सामाजिक सपोर्ट

अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के छह मिलिट्री स्कूल खोलने की मांग की है... यही नहीं उन्होंने छह प्रमुख शहरों के नाम भी सुझाए हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए राज्य में छह राष्ट्रीय स्तर के मिलिट्री स्कूल खोलने की मांग की है….. और उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मांग को उठाते हुए लखनऊ, सहारनपुर, कन्नौज, इटावा, वाराणसी…… और संत कबीर नगर में मिलिट्री स्कूल स्थापित करने का सुझाव दिया……. अखिलेश ने इस मांग को देश की अखंडता….. और एकता को मजबूत करने के साथ जोड़ा……. जिसे हाल के “ऑपरेशन सिन्दूर” से भी जोड़कर देखा जा रहा है……. उनकी इस मांग ने भारतीय जनता पार्टी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है……. और यह एक बार फिर सपा और बीजेपी के बीच सियासी जंग को तेज करने का कारण बन गया है……

बता दें कि अखिलेश यादव ने अपने X पोस्ट में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, धौलपुर का हवाला देते हुए कहा कि…… इस संस्थान ने देशभक्ति, अनुशासन और पराक्रम जैसे मूल्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है…… उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक देशप्रेमियों की गौरवशाली परंपरा रही है……. और इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए राज्य में नए मिलिट्री स्कूलों की स्थापना आवश्यक है….. वहीं उन्होंने अपने आदर्श वाक्य “शीलम् परम भूषणम्” (शील ही सर्वोच्च आभूषण है) का उल्लेख करते हुए कहा कि ये स्कूल युवाओं में देशभक्ति….. और अनुशासन का बीज बो सकते हैं…… जो देश की एकता और अखंडता को चुनौती देने वाली ताकतों के खिलाफ निर्णायक जवाब देगा……

अखिलेश ने जिन छह शहरों लखनऊ, सहारनपुर, कन्नौज, इटावा, वाराणसी और संत कबीर नगर का चयन किया है…….. वे उत्तर प्रदेश के विभिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं……. लखनऊ और वाराणसी जैसे शहर सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं……. जबकि कन्नौज और इटावा समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाते हैं…… सहारनपुर और संत कबीर नगर का चयन सामाजिक और क्षेत्रीय विचारों को दर्शाता है…… इस चयन के पीछे न केवल सैन्य शिक्षा का विस्तार बल्कि एक रणनीतिक राजनीतिक संदेश भी छिपा हुआ है……

अखिलेश की यह मांग हाल के “ऑपरेशन सिन्दूर” के संदर्भ में देखी जा रही है……. जिसके बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है……. हालांकि, यह माना जा रहा है कि यह ऑपरेशन किसी सामरिक या सुरक्षा से संबंधित कार्रवाई हो सकता है……. जिसे लेकर सपा और बीजेपी के बीच वैचारिक मतभेद उभरे हैं…… अखिलेश ने अपने बयान में बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले दस वर्षों में केंद्र सरकार ने एक भी नया राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल नहीं खोला…… और उन्होंने बीजेपी की “ईज ऑफ डूइंग रिसर्च” नीति को अपनी छवि चमकाने……. और दूसरों की छवि खराब करने का हथियार बताया…… बता दें कि उनकी मांग न केवल सैन्य शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करती है……. बल्कि यह भी संदेश देती है कि बीजेपी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा…… और युवाओं के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है….. यह बीजेपी की “देशभक्ति” की छवि को चुनौती देने का प्रयास है…… जिसे बीजेपी अक्सर अपने प्रचार में इस्तेमाल करती है……

अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर कई बार तीखे हमले किए हैं……. और उन्होंने अपने X पोस्ट में कहा कि वर्तमान सामरिक परिस्थितियों को देखते हुए सरकार को इस मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए…… अखिलेश ने बीजेपी की नीतियों को “छवि चमकाने” तक सीमित बताया…… इसके अलावा अखिलेश ने बीजेपी की बुलडोजर नीति पर भी तंज कसा है….. और उन्होंने पहले कहा था कि 2027 में सपा की सरकार बनने पर बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की ओर होगा……. जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला है…… बता दें कि यह बीजेपी की “बुलडोजर पॉलिटिक्स” पर सीधा हमला था…… जिसे योगी सरकार ने अपराधियों और अवैध निर्माणों के खिलाफ इस्तेमाल किया है……. अखिलेश की यह रणनीति बीजेपी की छवि को कमजोर करने…….. और जनता के बीच यह संदेश देने की है कि उनकी नीतियां दमनकारी हैं……

अखिलेश यादव की यह मांग न केवल शैक्षिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है……. बल्कि यह सपा की राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा है……. 2024 के लोकसभा चुनावों में सपा ने उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया…… जिसमें उन्होंने 37 सीटें जीतीं…. और कांग्रेस को 6 सीटें जिताने में मदद की…… इस जीत ने अखिलेश के आत्मविश्वास को बढ़ाया है…….. और वह 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं….. मिलिट्री स्कूलों की मांग के जरिए वह न केवल युवाओं…… और देशभक्ति के मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं…… बल्कि बीजेपी की “राष्ट्रवादी” छवि को भी चुनौती दे रहे हैं….. आपको बता दें कि सपा की रणनीति में सामाजिक विचार भी एक बड़ा हिस्सा है……. अखिलेश ने अपनी पार्टी को “पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक” गठजोड़ के तौर पर प्रचार किया है….. मिलिट्री स्कूलों की मांग को इस गठजोड़ के साथ जोड़कर वह यह संदेश देना चाहते हैं कि….. उनकी पार्टी सभी वर्गों के लिए काम करती है…… न कि केवल एक विशेष समुदाय के लिए…… जैसा कि बीजेपी पर आरोप लगाया जाता है……

आपको बता दें कि बीजेपी यह भी दावा करती है कि योगी सरकार की “बुलडोजर नीति” विकास….. और सख्ती का प्रतीक है……. जो माफियाओं और अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई करती है…… योगी सरकार ने अपने शासनकाल में एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल….. और अन्य बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दिया है……. जिसे वह अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचार कर रही  है…… अखिलेश की मांग को बीजेपी एक राजनीतिक स्टंट के रूप में खारिज कर सकती है…… जो उनकी सरकार की उपलब्धियों को कमजोर करने की कोशिश है…… बता दें कि राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, जैसे धौलपुर, देश के युवाओं को सैन्य शिक्षा….. और अनुशासन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं…… ये स्कूल न केवल सैन्य करियर के लिए युवाओं को तैयार करते हैं……. बल्कि उनमें नेतृत्व, अनुशासन, और देशभक्ति जैसे गुणों का विकास भी करते हैं…… अखिलेश की मांग इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है…… क्योंकि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और आबादी वाले राज्य में सैन्य शिक्षा का विस्तार राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत कर सकता है…..

बता दें कि अखिलेश की मांग का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण है…… उत्तर प्रदेश में शिक्षा और रोजगार के अवसरों की कमी एक बड़ा मुद्दा रहा है……. मिलिट्री स्कूलों की स्थापना न केवल युवाओं को सैन्य करियर की ओर प्रेरित कर सकती है……. बल्कि यह स्थानीय स्तर पर रोजगार…… और बुनियादी ढांचे के विकास को भी बढ़ावा दे सकती है…… इसके अलावा, यह मांग उत्तर प्रदेश की गौरवशाली सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपरा को भी रेखांकित करती है……. जो स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक देशभक्ति का प्रतीक रही है….. अखिलेश यादव की उत्तर प्रदेश में छह राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल खोलने की मांग एक बहुआयामी रणनीति का हिस्सा है……. यह मांग न केवल शैक्षिक और सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है…… बल्कि यह बीजेपी सरकार को घेरने और सपा की “देशभक्ति” की छवि को मजबूत करने का भी प्रयास है…….. अखिलेश ने इस मांग के जरिए बीजेपी की राष्ट्रवादी छवि को चुनौती दी है…… और यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी देश की एकता….. और अखंडता के लिए गंभीर है…… हालांकि, बीजेपी इस मांग को एक राजनीतिक स्टंट के रूप में खारिज कर सकती है…….. और यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है……

 

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