समर्थन देते ही राज ठाकरे ने दे दी BJP को चेतावनी, महायुति में मची खलबली

मुंबई। हर बीतते दिन के साथ लोकसभा चुनाव की घड़ी नजदीक आती जा रही है। सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है। इसलिए राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार में भी तेजी आ गई है तो वहीं अब गठबंधन व सियासी दलों के बीच सीट बंटवारे पर भी अंतिम मोहर लगनी शुरू हो गई है। क्योंकि समय नहीं रह गया है। तो वहीं गरमाते चुनावी मौसम में सियासी बयानवाजी भी रफ्तार पकड़ती जा रही है। नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर हमले काफी तेज हो गए हैं। इस बीच देश में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य महाराष्ट्र में सियासी हलचल लगातार बढ़ती जा रही है।

प्रदेश में आए दिन सियासत एक नया करवट ले रही है और सियासी घटनाक्रम काफी तेजी से बदल रहे हैं। कभी सीट बंटवारे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही गठबंधनों में रैंच मची थी। तो वहीं अब जब विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने सीट शेयरिंग पर अपनी बात पक्की कर ली है। लेकिन सत्ता पक्ष के गठबंधन महायुति में अभी भी सीट बंटवारा एक बड़ी समस्या बना हुआ है। यहां अभी तक गठबंधन में शामिल दल भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी के बीच सीट बंटवारे पर बात नहीं बन पाई है। लेकिन एमवीए में सीट बंटवारा होने के बाद अब बेशक भाजपा व महायुति गठबंधन पर दबाव है। क्योंकि वैसे भी प्रदेश में बीजेपी की हालत काफी पतली नजर आ रही है।

इस बीच आए दिन बदलते महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम में अब एक और बदलाव देखने को मिला है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी कि मनसे के मुखिया राज ठाकरे ने प्रदेश में भाजपा को बिना शर्त समर्थन दे दिया है। जिससे भाजपा प्रदेश में काफी खुश नजर आ रही है। लेकिन राज ठाकरे के इस समर्थन में भी भाजपा के लिए एक चुनौती है। दरअसल, राज ठाकरे ने लोकसभा के लिए तो अपना समर्थन दे दिया है। लेकिन कुछ ही महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी को चेतावनी भी दे दी है।

साथ ही महायुति में शामिल अन्य दलों एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के लिए भी एक गंभीर संदेश छोड़ दिया है। ऐसे में कहीं न कहीं भाजपा व महायुति के साथी ये समझ ही नहीं पा रहे हैं कि राज ठाकरे के समर्थन की वो खुशी मनाएं या फिर ये समर्थन उनके लिए एक और गले की फांस है। ऐसे में राज ठाकरे का समर्थन भाजपा व महायुति गठबंधन को लोकसभा चुनाव में कितना लाभ पहुंचाएगा इसको लेकर भी कुछ कहा नहीं जा सकता। और सबसे बड़ी बात कि राज ठाकरे के समर्थन के फायदे से ज्यादा तो नुकसान ही नजर आ रहे हैं।

दरअसल, एक दिन पहले ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे ने शिवाजी पार्क में आयोजित गुड़ी पड़वा मेले में लोकसभा चुनाव में महायुति को समर्थन देने की घोषणा की थी। लेकिन इस दौरान राज ठाकरे ने ये भी साफ कर दिया कि यह समर्थन बिना शर्त के है और सिर्फ नरेंद्र मोदी के लिए है। इस दौरान उन्होंने राज्य के सभी मनसे सैनिकों को विधानसभा की तैयारी करने का आदेश दिया। जिससे साफ जाहिर है कि समर्थन अभी से लोकसभा के लिए है और पीएम मोदी के नाम पर है। यही वजह है कि महायुति के सहयोगी दल राज ठाकरे के इस समर्थन से खासा खुश नहीं हैं।

जाहिर है कि इससे पहले बीते सप्ताह राज ठाकरे ने दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी और बांद्रा के फाइव स्टार होटल में देवेंद्र फडणवीस और सीएम एकनाथ शिंदे से भी गठबंधन में आने को लेकर सलाह-मशविरा किया था। जिसके बाद से ही ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि राज ठाकरे एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं और महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले समर्थन में जाकर सत्ता पक्ष को मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे। हालांकि, बीच में कुछ और खबरें भी आईं थीं। लेकिन फिलहाल अब राज ठाकरे ने खुद भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान करके सभी चर्चाओं पर विराम लगा दिया है।

समर्थन का ऐलान करते हुए मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ‘बीजेपी-शिवसेना-राष्ट्रवादी’ के महागठबंधन को बिना शर्त समर्थन दे रही है। हमें राज्यसभा नहीं चाहिए। हमें बाकी बातचीत नहीं चाहिए। राज ठाकरे ने साफ कहा कि ये समर्थन सिर्फ नरेंद्र मोदी के लिए है। मैं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अपने सभी साथियों से अनुरोध करता हूं। एक अच्छा संगठन बनाएं। निर्वाचन क्षेत्र बनाएं। आप विधानसभा की तैयारी शुरू कर दीजिए। पीएम मोदी या किसी की आलोचना करने पर राज ठाकरे ने कहा कि उन्होंने इसलिए आलोचना नहीं की क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री का पद नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि मैं संजय राउत या उद्धव ठाकरे की तरह आलोचना नहीं करता। आज उद्धव ठाकरे, संजय राउत नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। वजह ये है कि मुख्यमंत्री का पद नहीं दिया गया। लेकिन मैंने विरोध किया क्योंकि मैं कुछ भूमिकाओं से सहमत नहीं था। फिर उद्धव ठाकरे, संजय राउत मोदी की भूमिका से सहमत नहीं थे। वे अपना इस्तीफा जेब में रखे बिना मेरे साथ मैदान में क्यों नहीं उतरे।

अपने इस समर्थन के ऐलान के वक्त भी राज ठाकरे ने कहा कि मैं एक बात साफतौर से कह दूं। अगर यह देश के हित में है। महाराष्ट्र के हित में है। जब मैं कोई राजनीतिक पद लेता हूं तो मैं यह नहीं देखता कि मैं राजनीतिक रूप से कहां खड़ा हूं। किसके साथ हूं। मैं ले रहा हूं। दृढ़ स्थिति है और इसे लेकर रहेंगे। मैं समर्थन करता हूं। पूरे दिल से समर्थन करता हूं और उतना ही विरोध भी करता हूं।

वहीं अमित शाह से अपनी मुलाकात के बारे में राज ठाकरे ने कहा कि अमित शाह से मुलाकात के बाद 2019 लोकसभा चुनाव के प्रचार का लगातार हवाला दिया जा रहा है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 2014 की चुनावी भूमिका, मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2019 की चुनावी भूमिका। इन भूमिकाओं को ठीक से समझा जाना चाहिए। राज ठाकरे ने कहा कि फडणवीस, शिंदे कह रहे थे कि हमें एक साथ आना चाहिए इसलिए अमित शाह ने बुलाया और उनसे मुलाकात की। हालांकि, इस दौरान राज ठाकरे ने ये भी कहा कि अमित शाह की मुलाकात के बाद जो चर्चा आपके कानों में सुनाई दी वही बातें मेरे कानों में भी सुनाई दीं। चर्चाएं हो रही थीं, तर्क-वितर्क हो रहे थे, किसी ने कुछ भी कहा हो, मैंने सब कुछ सही समय पर प्रस्तुत करने का निर्णय लिया।

लोकसभा चुनाव के लिए बिना शर्त अपना समर्थन देने के साथ ही राज ठाकरे ने विधानसभा चुनाव के लिए भी अपना रुख साफ कर दिया और अभी से ही भाजपा व शिंदे और अजित पवार को भी अपना संदेश साफतौर पर दे दिया। राज ठाकरे ने लोकसभा में अपना रुख क्लियर करते हुए कहा कि मनसे के चुनाव चिन्ह वाले रेल इंजन पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भले ही विधानसभा में यह समझौता महागठबंधन के साथ ही करना पड़े। रेल इंजन का प्रतीक चिन्ह मैंने और मेरे साथियों ने अर्जित किया है। हम उसी निशान पर चलते रहेंगे। राज ठाकरे ने कहा कि इसलिए किसी भी तर्क पर भरोसा न करें।

राज ठाकरे के बयान का मतलब यह है कि भले ही उन्होंने लोकसभा में बीजेपी-शिवसेना-राष्ट्रवादी पार्टी के महागठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया है, लेकिन लगभग छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में मनसे के उम्मीदवार बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़ेंगे। वह मनसे के चुनाव चिन्ह पर ही लड़ेंगे। इसलिए राज ठाकरे ने साफ किया कि मनसे उम्मीदवारों के लिए अन्य सिंबल पर चुनाव लड़ना कभी संभव नहीं होगा। राज की दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद से ही चर्चा थी कि मनसे बीजेपी के सिंबल पर लोकसभा चुनाव लड़ सकती है। जिसको लेकर ठाकरे ने अपना व पार्टी का रुख साफ कर दिया।

यानी साफ है कि लोकसभा चुनाव के लिए राज ठाकरे ने मोदी के नाम पर भाजपा को बिना शर्त समर्थन दिया है। लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए राज ठाकरे ने अभी से ही भाजपा को भी चेतावनी दे दी है और अपना रुख साफ कर दिया है। ऐसे में देखना ये है कि राज ठाकरे का ये समर्थन कब तक चलता है और क्या विधानसभा में भी राज ठाकरे की शर्तों पर भाजपा उनको साथ रखेगी या फिर राज ठाकरे और भाजपा का ये साथ सिर्फ लोकसभा चुनावों तक ही है। वैसे भी भाजपा को इस समर्थन से कितना फायदा मिलेगा या उल्टा नुकसान उठाना पड़ेगा। ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।

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