इंडिया गठबंधन की एकता से भाजपा का गुरूर हुआ चकनाचूर, अयोध्या सीट पर मिली हार बनी मुसीबत!
4PM न्यूज़ नेटवर्क: लोकसभा चुनाव के नतीजों के आने के बाद अब चर्चाओं का बाजार गर्म है। नई सरकार के गठन को लेकर बातें चल रही हैं नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। लेकिन इन सब के बावजूद भाजपा में अंदर ही अंदर कई सवाल उठ रहे हैं, जो कहीं न कहीं भाजपा को मुश्किलों में डाल रहे हैं। प्रधानमंत्री भले ही इस बार भी भाजपा का बनने जा रहा हो लेकिन सदन में इस बार बोलबाला विपक्ष का होने वाला है क्योंकि भाजपा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है यहां तक कि खुद के दम पर पूर्ण बहुमत भी नहीं हासिल कर पाई है आलम ये है कि सरकार बनाने के लिए भाजपा को चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के साथ की जरूरत पड़ रही है। ये वही भाजपा है जहां इस बार के चुनाव को लेकर 400 पार का नारा दिया जाता था भाजपा के नेता संविधान बदलने की बात की जाती थी लेकिन अब समीकरण बदल चुके हैं जनता ने अपना मत दे कर यह दिखा दिया है कि सरकार नफरती बयानबाजी और महज जुमलों से नहीं चली है सरकार चालाने के लिए जनता के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनना होता है और उनके लिए काम करना होता है। जो की भाजपा के किस तरह किया है ये बात किसी से छुपी तो है नहीं।
इस बारे के चुनाव में कुछ बातें हैं जो की अहम बनी हुई हैं जैस कि राम मंदिर,अयोध्या से भाजपा का चुनाव हारना और विपक्ष दल का नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा।इन सभी पर सिलसिलेवार तरीके से बात करें तो बता दें कि भले ही भाजपा सरकार बनाने जा रही हो लेकिन कुछ सीटें ऐसी हारी हैं भाजपा ने जिसपर खूब सवाल उठ रहे हैं और भाजपा की जमकर आलोचना भी हो रही है। अमेठी और अयोध्या की लोकसभा सीट ऐसी हैं जिनपर हार के बाद भाजपा की खूब किरकिरी हो रही है। हालांकि आलोचना हो भी क्यों न एक तरफ जहां स्मृति ईरानी अमेठी में अपने द्वारा कथित तौर पर किये गए विकास को आगे रख कर वोट मांग रही थी वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेताओं ने अयोध्या में बने राम मंदिर को लेकर भी खूब वोट माँगा वोटरों को साधने के लिए राम मंदिर के नाम पर वोटरों को बरगलाया गया। भले ही राम मंदिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बना हो लेकिन भाजपा इसका पूरा श्रेय खुद रख रही है और लोगों को गुममराह करने के लिए मंदिर के नाम पर वोट माँगा। लेकिन भाजपा का यह प्लान भी फेल हो गया और भाजपा की दाल एक न गली। आलम ये रहा कि जहां से भाजपा को ज्यादा मार्जिन से जीतना चाहिए भाजपा वहीं से चुनाव में भारी मतों से हार गई।
ऐसे में अयोध्या में भाजपा द्वारा दावा किया जा रहा था कि यहां भाजपा को अच्छी बढ़त मिलेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं, अयोध्या में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। जिसे लेकर भाजपा समर्थकों ने वोटरों को गाली तक देनी शुरू कर दी। आपको बता दें कि फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत ही अयोध्या शहर आता है. वही अयोध्या जहां राम मंदिर का निर्माण कराने के साथ बीजेपी को उम्मीद थी कि वह इस बार इस सीट पर बडे़ अंतर से जीत दर्ज करेगी. पर ऐसा हुआ नहीं. इस सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के उस समय के मौजूदा सांसद लल्लू सिंह को हराया है.अब ऐसे में बीजेपी के अंदर ये एक बड़ी बहस बनती दिख रही है कि आखिर राम की नगरी में पार्टी को हार मिली कैसे. खासकर तब जब चुनाव से पहले राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर बीजेपी ने देश भर में अभियान भी चलाया था. आपको बता दें कि बीजेपी को फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर हार का सामना करना पड़ा है. फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के हार के पीछे समाजवादी की रणनीति को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने अपनी पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) रणनीति को इस सीट पर भी मूर्तरूप दिया, यही वजह थी पार्टी ने अवधेश प्रसाद को यहां से टिकट दिया. अवधेश प्रसाद अनुसूचित जाति के पासी समुदाय से आते हैं. अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को 55 हजार वोट से हराया है. इस परिणाम में लल्लू सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का होना भी एक बड़ा फैक्टर साबित हुआ है.
लेकिन बीजेपी यूपी के साथ-साथ समूचे उत्तर भारत में राम मंदिर और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ी. लेकिन अगर खास तौर फैजाबाद की बात करें तो यहां पार्टी ने राम मंदिर को लेकर अयोध्या में जो विकास कार्य किए उसे मुद्दा बनाया. वहीं, समाजवादी पार्टी अपने पीडीए वाली रणनीति के साथ इस सीट पर जनता के बीच गई. और जनता ने उन्हें अपना आशीर्वाद भी दिया। अयोध्या में जिस तरह से विकास कार्य किए गए उसे लेकर भले देश-दुनिया में ये छवि बनी हो कि राम की नगरी में जो आज तक नहीं हुआ वो अब हो रहा है. लेकिन अगर आप अयोध्या में रहने वाले स्थानीय लोगों से पूछेंगे तो आपको जवाब कुछ और मिलेगा. दरअसल, स्थानीय लोग ये तो मानते हैं कि विकास हुआ है लेकिन इस विकास के लिए उन्हें रोजाना जो कीमत चुकानी पड़ रही है, वो उन्हें शायद बर्दास्त नहीं था। फैजाबाद में भूमि सबसे कीमती संपत्ति बनने के साथ-साथ ऐसी चीजें हुई जो की वहां के लोगों को पसंद नहीं आई। इन तमामा चीजों से स्थानीय लोग ज्यादा खुश नहीं दिखे. बीजेपी की स्थानीय इकाई को इस बात भनक भी पहले लग चुकी थी.और हार के बाद इसपर मोहर लग गई।
वहीं जिस तरह से भाजपा की हार के बाद गालियों का सिलसिला शुरू हुआ इसे लेरक भी विपक्ष ने आवाज उठाई और इसकी आलोचना भी की। ऐसे में अयोध्या सीट पर बीजेपी की हार के बाद अयोध्या के मतदातओं को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं जिसपर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी अयोध्या में हार गई, इसलिए मोदी जी की ट्रोल आर्मी यहां के लोगों को गालियां दे रही है. उन्होंने कहा कि ये बीजेपी का असली चरित्र है. आप नेता संजय सिंह ने कहा कि अयोध्या में समाजवादी पार्टी की जीत के बाद यहां के लोगों को गालियां दी जा रही है. उन्होंने कहा कि, “अब अयोध्या वासियों को गाली दी जा रही हैं. प्रभु श्री राम की प्रजा को मोदी जी की जो ट्रोल सेना और बीजेपी के लोग गाली दे रहे हैं. संजय सिंह ने कहा कि इसमें पूरी बीजेपी शामिल हैं इससे साबित होता है कि ये हिन्दुओं के भी सगे नहीं है. अगर आप लोकतंत्र में इनके खिलाफ वोट देंगे तो ये आपको गालियां देंगे. ये इनका चरित्र है. उन्होंने कहा कि अयोध्या ही नहीं काशी में भी पीएम मोदी डेढ़ वोटों से ही जीत पाए. तीन घंटे तक पीछे चल रहे थे। उन्होंने कहा, अयोध्या के लिए आपने गाना बनाया कि जो राम को लाए हैं हम उनके लाएंगे. प्रभु श्रीराम हमारी आस्था के प्रतीक है आप उनका अपमान कर रहे हैं. तो प्रभु राम ने उन्हें उंगली पकड़ कर विदा कर दिया, सिर्फ अयोध्या से ही नहीं बल्कि सीतापुर, चित्रकूट, सुल्तानपुर, प्रयागराज, प्रतापगढ़ से भी विदा कर दिया. वो तो भोले शंकर जी दयालु हैं उन्होंने काशी में आपको सबक देकर छोड़ दिया. फर्रुखाबाद, बांसगांव और फूलपुर सीट पर तो इन्होंने गड़बड़ी करके खेला किया गया.
हालांकि हार के बाद जिस तरह से कथित भाजपा समर्थक आरोप लगा रहे हैं और वोटरों को गालियां दे रहे हैं ये निंदनीय है और भाजपा पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ये सवाल भाजपा पर सिर्फ अभी के लिए ही उठ रहे हैं बल्कि ये सवाल सरकार बनाने के बाद भी उठते ही रहेंगे जिसकी वजह साफ़ है क्योंकि इस बार विपक्ष काफी मजबूत मिला है। भाजपा के सामने इंडिया गठबंधन विपक्ष के रूप में रहेगा। वहीं खबरें ऐसी भी हैं कि कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों ने प्रस्ताव पारित किया है कि राहुल गांधी को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया जाना चाहिए.वहीं, सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि निश्चित रूप से राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह हमारी कार्यसमिति का अनुरोध था. वह निडर और साहसी हैं. इसके साथ ही कांग्रेस की कांग्रेस कार्य समिति बैठक के बाद कांग्रेस पार्टी नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि अब कांग्रेस पार्टी का पुनरुद्धार शुरू हो गया है. यह सीडब्ल्यूसी की भावना है. अब देखना ये होगा कि इस बार की सरकार कैसे चलती है और जनता के हित में क्या विकास होता है। वहीं अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि विपक्ष की मजबूती इस बार भाजपा पर भारी पड़ेगी और भाजपा की मनमानी नहीं चल पाएगी।