छगन भुजबल का दावा, अबकी बार ‘चार सौ पार’ मुश्किल

लोकसभा चुनाव में चार सौ पार के नारे को लेकर उतरी बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही है... बता दें चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी जनता के बीच अपने विकास के मुद्दे को लेकर जनता के बीच पहुच रही थी... देखिए खास रिपोर्ट....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां जोरो पर हैं… वहीं लोकसभा चुनाव में चार सौ पार के नारे को लेकर उतरी बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही है… बता दें चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी जनता के बीच अपने विकास के मुद्दे को लेकर जनता के बीच पहुच रही थी… लेकिन पहले चरण के मतदान में हुई कम वोटिंग से बीजेपी औऱ पीएम मोदी की रातों की नींद उड़ गई… और दूसरे चरण के मतदान से पहले पीएम मोदी की भाषा बदल गई और वो अपने विकास के मुद्दे से भटक गऐ और सीधे-सीधे हिंदू-मुसलमान पर आ गए… जिसके चलते देश की राजनीति में उबाल आ गया… और चारों तरफ पीएम मोदी की आलोचना होने लगी… जिसके बाद भी पीएम मोदी ने अपने भाषा में सुदार नहीं किया और वहीं धर्म का राग सभी मंचो पर बांचते रहें है…. जिसके चलते पीएम मोदी और बीजेपी का चार सौ पार का सपना पूरी तरह से टूटता हुआ दिख रहा है… और जनता पीएम मोदी के बयान से खासा नाराज है… जिसका नतीजा बीजेपी और पीएम मोदी को दोनो चरणों के मतदान में दिख चुका है…, वहीं अपनी हार से बौखलाए पीएम मोदी जनता को बरगलाने के लिए अनर्गल बातों का सहारा ले रहे हैं…

आपको बता दें कि देश की जनता मंहगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से पूरी तरह से परेशान है… देश में महंगाई चरम पर है…. और बेरोजगारी ने पूरे विश्व के रिकार्ड को तोड़ चुकी है… लेकिन पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी मंच से अपने संबोधन में जनता से एक बार भी इन मुद्दों पर कोई बात तक नही की है… जिसको देखते हुए जनता बीजेपी से खासा नाराज है… वहीं महाराष्ट्र में भी अब पीएम मोदी के बयान की जमकर आलोचना हो रही है… और विपक्षी नेता लगातार पीएम मोदी के बयान को लेकर घेर रहे है… वहीं पीएम मोदी की बयान बाजी से बीजेपी की बहुत किरकिरी हुई है…

वहीं महाराष्ट्र में अजीत पवार गुट के कद्दावर नेता छगन भुजबल ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि कि दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस की तरह भाजपा की राह इस बार उतनी आसान नहीं है… और उन्होंने दावा किया कि जिस तरह उद्धव ठाकरे… और शरद पवार की पार्टी टूटी है…. दोनों नेताओं के साथ लोगों की सहानुभूति है…. जिसका फायदा उन्हें इस बार लोकसभा चुनाव में मिल सकता है… उन्होंने यह भी कहा कि इस बार एनडीए के लिए राह काफी मुश्किल है…. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्षमता पर लोगों को यकीन है…. और लोग चाहते हैं कि वे देश में फिर से मजबूत सरकार बनाएं…. वहीं छगन भुजबल ने नासिक सीट से अपनी दावेदारी वापस लेने पर कहा कि वह कभी अपने लिए किसी से सीट नहीं मांगते हैं…. इसलिए जब उनका नाम तीन हप्ते तक अनाउंस नहीं हुआ तो उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया…

एनसीपी के कद्दावर नेता छगन भुजबल, शरद पवार से अलग होने के दौरान अजीत पवार के साथ फ्रंटफुट पर थे…. औऱ उन्होंने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र में इस बार भाजपा गठबंधन के लिए उतनी आसान राह नहीं है…. जो दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस के समय थी… वह इसलिए क्योंकि पिछले दो सालों में महाराष्ट्र की राजनीति में दिलचस्प घटनाक्रम हुए हैं…. पहले दो हजार बाइस में एकनाथ शिंदे ने उद्धव गुट से अलग होकर अपने पाले के नेताओं के साथ उद्धव की सरकार गिराई…. फिर भाजपा गठबंधन के साथ महाराष्ट्र में सरकार बना ली…. अगले साल ठीक ऐसा ही हुआ… शरद पवार की एनसीपी से अलग होकर अजीत पवार ने भी ऐसा ही किया…. वो इस वक्त महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम हैं…. और महायुति गठबंधन के साथ सरकार में हैं….

वहीं छगन भुदबल ने दावा करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि यह एक सिम्पैथी लहर हो सकती है…. जिस तरह से उद्धव ठाकरे की शिवसेना विभाजित हो गई…. और एनसीपी के एक गुट ने पाला बदल लिया…. ऐसा चुनावी रैलियों में भी दिख रहा है…. पिछले दोनों लोकसभा चुनाव दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस में, भाजपा ने अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था…. और पार्टियों ने क्रमशः तेइस और अट्ठारह सीटों में जीत हासिल की थी…

आपको बता दें कि छगन भुजबल ने कहा कि उन्होंने नासिक से टिकट नहीं मांगा था… लेकिन होली के दौरान एनसीपी के अन्य नेताओं ने उन्हें बताया था कि वह नासिक से चुनाव लड़ेंगे… जिसको लेकर उन्होंने कहा कि यह बात उन्हें दिल्ली में सहयोगियों के बीच देर रात हुई बैठक के बाद बताई गई…. जहां प्रत्येक पार्टी के लिए एक-एक करके सीटों पर चर्चा की जा रही थी….

बता दें कि महाराष्ट्र की नासिक लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को लेकर सबसे ज्यादा बवाल देखा गया…. क्योंकि भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी में सीट-बंटवारे को लेकर चल रही चर्चा के बीच भुजबल ने खुद ही ऐलान कर दिया था… कि वे नासिक सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं…. हालांकि इस सीट पर उम्मीदवार की घोषणा अभी होनी बाकी है…. और महायुति के बीच खींचतान चल रही है…..

वहीं भुजबल ने कहा कि शिंदे भी शिवसेना के लिए सीट चाहते थे… और वह चुनाव लड़ने के लिए सहमत हुए क्योंकि नासिक उनका आधार है… और वह और उनका बेटा वहां से विधायक रहे हैं…. उनके भतीजे समीर भुजबल भी इस सीट से सांसद थे…. भुजबल ने कहा कि क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों के कारण उन्हें लोगों से बहुत समर्थन मिला है… इसलिए वे आश्चर्यचकित थे कि तीन सप्ताह तक सीट से उनका नाम घोषित नहीं किया गया था….और उन्होंने कहा कि जब नारायण राणे का नाम रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के लिए घोषित किया गया…. और और मेरा नहीं, तो मुझे लगा कि वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं….. तब मैंने कहा कि मैं सीट से नहीं लड़ना चाहता…. अगर मुझे लड़ना है तो मैं सम्मान के साथ चुनाव लड़ना चाहता हूं… मैं अपनी हैसियत जानता हूं।… मुझे टिकट मांगना पसंद नहीं है… मुझे आज भी याद है कि मैंने एकमात्र बार उन्नीस सौ सत्तर में मुंबई नगर निगम के लिए टिकट मांगा था….

बता दें कि छगन भुजबल उस समय थोड़े भावुक हो गए जब उनसे बारामती में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले…. और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा के बीच मुकाबले के बारे में पूछा गया… यह सीट शरद पवार का गढ़ माना जाती है…. वहीं भुजबल ने कहा कि मेरे लिए भी यह दुखद है कि जो लोग इतने सालों तक एक ही घर में एक साथ रहते हैं और अलग हैं…. जो हो रहा है वह कुछ ऐसा है जो कई लोगों को पसंद नहीं आ रहा है…. गलती किसकी है, यह अलग बात है…. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो बहुत अच्छा होता…. लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसका खामियाजा कहीं न कहीं बजेपी को भारी पड़ सकती है…

देश की जनता बीजेपी से खासा नाराज है… पीएम मोदी ने अपने पिछले दस साल के कार्यकाल के दौरान जनता के लिए कुछ भी नहीं किया है… सिर्फ दिखावे के लिए बड़ी बड़ी बातें करते चले आए है… जब देश भयंकर महामारी के दौर से गुजर रहा था… लोगों को ऑक्सीजन नही मिल रही थी… चारों तरफ चीक पुकार मची हुई थी… और पीएम मोदी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से चुनावी चंदा लेने में व्यस्त थे… वहीं गरीबों के लिए दावा करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी अक्सर कहते नजर आ रहे है कि मैने देश की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए गैस सिलेंडर के कनेक्शन दिएं है,… लेकिन उन सिलेंडरों को लेकर कितनी जनता सिलेंडर को भरवाने में सक्षम है इसके बारे में कभी भी पीएम  मोदी ने नहीं सोंचा… महंगाई से आम जनता परेशान है… तेल से लेकर सभी जरूरी सामान महंगे दामों पर मिल रहा है… लेकिन मौजूदा सरकार सिर्फ हवाई दावा कर रही है… लेकिन कोई भी दावे जमीन पर नहीं दिखाई दे रहै है…

पीएम मोदी कभी भी बेरोजगारी, महंगाई को लेकर कोई बात नहीं करते और अपनी हार की डर से बौखलाए पीएम मोदी अब जातिवाद की राजनीति पर उतर आए है… और देश की जनता को गुमराह करने का काम कर रहे है.,.. वहीं देश में पहली बार ऐसा हुआ है… जब कोई पीएम अपने पद की गरिमा को भूल बैठा है… और अनर्गल बातें कर रही है… जनता पीएम मोदी की भावना और मंशा को समझ चुकी है… और इस लोकसभा चुनाव में सबक सिखाने का मन बना लिया है… वहीं दो चरणों के मतदान को देखते हुए बीजेपी की मुश्किलें लगातार बढ़ रही है… और बीजेपी को अगले चरण के चुनावों में कितना जनता का सपोर्ट मिलता है… यह तो आने वाला चार जून तय करेगा… और किसके सिर पर ताज सजेगा…

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