पूर्व आईएएस एनपी सिंह डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित
समाज सेवा और सृजनात्मक कार्यों के लिए अमेरिकन यूनिवर्सिटी फॉर ग्लोबल पीस ने किया सम्मानित
एनपी सिंह ने यह उपाधि युवाओं को किया समर्पित
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नोएडा। समाज सेवा और सृजनात्मक कार्यों के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एनपी सिंह को अमेरिकन यूनिवर्सिटी फॉर ग्लोबल पीस ने एक समारोह में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। इस मौके पर एनपी सिंह ने कहा कि मैं इस उपाधि को उन सारे युवक, युवतियों और छात्रों को समर्पित करता हूं, जिन्होंने अपने आगे खड़ी सदियों पुरानी वर्जनाओं को पार किया। इन कार्यों में सहयोगी बने सैकड़ों लोग इसके हिस्सेदार हैं।
यूनिवर्सिटी के भारतीय प्रतिनिधि सीएस राव ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर में बतौर जिलाधिकारी रहते एनपी सिंह ने खनन माफियाओ पर कड़ी कार्रवाई की थी। 5 मार्च 2017 को न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार के इंटरनेशनल एडिशन में इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट को आधार बनाकर यूनिवर्सिटी ने एनपी सिंह के सामाजिक और प्रशासनिक जीवन का अध्ययन किया। अमेरिकन यूनिवर्सिटी फॉर ग्लोबल पीस दुनियाभर के चुनिंदा लोगों को उनके सामाजिक जीवन और सृजनात्मक कार्यों के लिए सम्मानित करती है। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी ने एनपी सिंह के पांच सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें चुना है। प्रदेश के अति पिछड़े जिलों मिर्जापुर और सोनभद्र की सीमा पर एनपी सिंह ने कोल जनजाति के लिए अपने परिवारिक संपत्ति की सहायता से आईटीआई कॉलेज खोला। क्षेत्र में नक्सलवाद पनप रहा था। युवकों को मुख्यधारा में लाने का यह प्रयास सफल रहा। शामली में जिलाधिकारी रहते हुए एनपी सिंह ने अपराध करने के लिए कुख्यात बावरिया समुदाय के लिए काम किया। उन्होंने वर्ष 2013 में इस समाज की 500 युवतियों, महिलाओं और उनके परिवारों को प्रेरित किया। बड़ी संख्या में बावरिया बच्चे आईटीआई और पॉलीटेक्निक कॉलेज में गए। एनपी सिंह ने छत्तीसगढ़ के बालोद, रायपुर और कांकेर जिलों में आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणा केंद्र और वाराणसी के पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के लिए स्कूल खोला। वर्ष 2000 में वे एसडीएम नैनीताल थे, तब नैनी झील संकट में थी। एनपी सिंह ने यहां सेव लेक कैम्पेन चलाया। उत्तराखंड के अखबारों ने एनपी सिंह को नक्खी ऋषि की संज्ञा दी। एनपी सिंह ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर, शामली सहारनपुर और आजमगढ़ जैसे महत्वपूर्ण जिलों में बतौर जिलाधिकारी काम किया।