विशाखापत्तम को राजधानी बनाने की घोषणा कर जगन ने चला सियासी दांव

  • राज्य के विस चुनाव पर पड़ेगा असर, चंद्रबाबू नायडू की राजनीति की दिशा बदलेगी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
हैदराबाद। विशाखापत्तम को राजधानी बनाने की घोषणा करके जगमोहन रेड्डी ने सियासी दांव चल दिया है। जानकारों कहना है कि आने वाले चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। ज्ञात हों कि जगमोहन पहले तीन राजधानियों के पक्ष में थे पर बाद मामला कोर्ट से खारिज होने के बाद वह इसे पीछे हट गए। उनके इस फैसले का सबसे ज्यादा असर चंद्रबाबू नायडू की राजनीति पर पड़ेगा। जहां जगन ने अपने फैसले से आने वाले समय में अपनी राजनैतिक दिशा दिखा दी है वहीं चंद्रबाबू व अन्य सियासी दल भी रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने एलान किया है कि राज्य की अगली राजधानी विशाखापत्तम होगी। दरअसल, 2014 में तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग किए जाते वक्त हैदराबाद को 10 साल के लिए दोनों राज्यों की साझा राजाधानी घोषित किया गया था। यह समयावधि पूरी होने के बाद में हैदराबाद को तेलंगाना को सौंपे जाने का निर्णय हुआ। ऐसे में आंध्र प्रदेश को 2024 से पहले ही राजधानी का एलान करना था।
इससे पहले 23 अप्रैल 2015 को चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा सरकार ने अमरावती को आंध्र प्रदेश की अगली राजधानी घोषित किया था। इसके बाद 2020 में जगन सरकार ने ही आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां होने की बात कही थी। इनमें अमरावती, विशाखापत्तनम और कुरनूल का नाम सामने आया था। हालांकि, बाद में वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया था और अमरावती को ही राजधानी बनाने की बात कही थी। गौरतलब है कि वाईएसआर कांग्रेस लगातार तेदेपा पर अमरावती में जमीन घोटाले के आरोप लगाती रही है। खासकर तेदेपा प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस विवाद के केंद्र में रहे हैं। इस कथित घोटाले को लेकर रेड्डी सरकार ने सीबीआई जांच की मांग भी की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अमरावती में कई लोकेशन्स के बारे में पहले से ही कार्य योजना का खुलासा हो गया था। हालांकि, चंद्रबाबू नायडू ने ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। फिलहाल की बात करें तो अमरावती आंध्र प्रदेश की राजधानी है। जगन ने कहा कि मैं आपको विशाखापत्तनम में आमंत्रित कर रहा हूं जो कि आने वाले दिनों में हमारे आंध्र प्रदेश की राजधानी होगी।
रेड्डी ने कहा कि, आने वाले महीनों में मैं भी विशाखापत्तनम में ट्रांसफर हो जाऊंगा। जगन नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय राजनयिक गठबंधन की बैठक में बोल रहे थे।
विशाखापत्तनम में 3 और 4 मार्च को ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन होना है। जिसको लेकर राज्य सरकार की ओर से गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाना है। राज्य सरकार की ओर से कई राजदूतों और उद्योगपतियों को आमंत्रित किया है। ार की आंध्र प्रदेश में अपनी इकाइयां शुरू करने के लिए वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर लेने की योजना है। आंध्र प्रदेश देश के उन राज्यों में से एक है जो पिछले तीन सालों से लगातार जीडीपी में दो अंकों की बढ़त दर हासिल कर रहा है। आंध्र ने जीएसडीपी में 90.31 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ 2021-22 में 11.43 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है।

तीन राजधानियों के खिलाफ अमरावती के किसानों ने किया था प्रदर्शन

आंध्र प्रदेश के अमरावती से बड़ी संख्या में आए किसानों ने तीन राजधानियां विकसित करने के लिए कानून लाने की राज्य सरकार की योजना के विरोध में यहां प्रदर्शन किया। विभिन्न दलों के सांसद भी उन्हें समर्थन देने के लिए प्रदर्शन में शामिल हुए। यहां जारी एक बयान के अनुसार, प्रदर्शन में शामिल सांसदों में जयदेव गल्ला और के. राममोहन नायडू सहित तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के सदस्य, बसपा के दानिश अली और राज्य की सत्तारूढ़ वाईआरएस कांग्रेस के असंतुष्ट के. रघु रामकृष्ण राजू शामिल थे। इसके अलावा कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं सहित अन्य कई नेताओं ने भी ‘अमरावती परिरक्षण समिति’ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति समर्थन व्यक्त किया। किसानों ने मांग की है कि राज्य सरकार को केवल अमरावती को ही राजधानी बनाए जाने की पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पहले की योजना पर कायम रहना चाहिए। किसान चाहते हैं कि सरकार अपनी पहले की प्रतिबद्धता का सम्मान करे। उनकी जमीन अमरावती में राजधानी विकसित करने के नाम पर ली गई है, लेकिन अब सरकार पीछे हट रही है। अमरावती परिरक्षण समिति के अध्यक्ष ने कहा कि 2019 में सत्ता में आने के बाद वाईएसआर कांग्रेस ने अमरावती को राज्य की एकमात्र राजधानी के रूप में विकसित करने के पिछली सरकार के फैसले को उलट दिया तथा विशाखापत्तनम तथा कुर्नूल में दो और राजधानियां बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि अमरावती के किसानों ने राजधानी के लिए 33,000 एकड़ जमीन दी थी और अब वे ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थी

आंध्र प्रदेश सरकार ने अमरावती को राज्य की एकमात्र राजधानी घोषित करने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सरकार तीन राजधानियों की अपनी योजना को फिर से लागू करना चाहती है। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने गत 3 मार्च को प्रशासन को तीन राजधानियों के निर्माण की अपनी योजना को छोडऩे का निर्देश देने के बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है। वहीं उच्च न्यायालय ने इसके बजाय राज्य सरकार को मास्टर प्लान के अनुसार अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जगन मोहन सरकार को पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा किसानों से अधिग्रहण किए गए 33,000 एकड़ जमीन को राजधानी के विकास के लिए इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं। साल 2020 में आंध्र प्रदेश सरकार ने आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास विधेयक, 2020 और राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (निरसन) विधेयक, 2020 को विधानसभा में पेश किया था। जिसके तहत राज्य की तीन कार्यकारी, विधायी और न्यायिक राजधानियां क्रमश: विशाखापत्तनम, अमरावती और कुरनूल में स्थापित करने का प्लान था। आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा राज्य की तीन राजधानियां बनाने और अमरावती में पहले से स्वीकृत ग्रीनफील्ड राजधानी शहर परियोजना को छोडऩे की योजना के बाद प्रदेश सरकार को अपनी जमीन देने वाले किसानों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। किसानों ने कोर्ट से कहा कि राज्य सरकार उनके द्वारा दी गई भूमि का ही उपयोग राजधानी अमरावती के विकास में करें। जगन मोहन सरकार के तीन राजधानियां बनाने के फैसले के खिलाफ करीब 100 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं। क्योंकि करीब 33,000 किसानों ने राजधानी के विकास के लिए अपनी जमीनें सरकार को दे दी थी। अब ये किसान सरकार के तीन राजधानियों के फैसले का विरोध कर रहे हैं। किसानों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को ग्रीनफील्ड राजधानी शहर परियोजना के लिए मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू सरकार द्वारा तीन महीनों में किसानों से अधिगृहीत की गई जमीन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था। किसानों की जमीन का अधिग्रहण राजधानी विकास प्राधिकरण एक्ट के तहत किया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा किसानों को दी गई गारंटी सीआरडीए एक्ट के तहत अपरिवर्तनीय है और सरकार अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने के बजाय किसी अन्य उद्देश्य के लिए उनकी भूमि का उपयोग नहीं कर सकती है।

टीडीपी पर अमरावती में जमीन घोटाले का आरोप

आंध्र प्रदेश की मौजूदा वाईएसआर कांग्रेस सरकार की ओर से टीडीपी की चंद्रबाबू नायडू वाली सरकार पर जमीन घोटाले का आरोप लगाया गया था। जिसमें कहा गया कि चंद्रबाबू नायडू के कार्यकाल में बड़ी पैमाने पर जमीन का घोटाला किया गया। जिसका केंद्र अमरावती रहा था। इस घोटाले को लेकर रेड्डी सरकार ने सीबीआई जांच की मांग भी की थी। हालांकि चंद्रबाबू नायडू ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।

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