फोनपे पर गरमाई मप्र की सियासत

कांग्रेस ने पूछा-एप से मध्य प्रदेश में रिश्वत नहीं ली जाती

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल। प्रदेश में पोस्टर वॉर में फोन पे की एंट्री हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पोस्टर में फोनपे के क्यूआर कोड और लोगो के इस्तेमाल पर फोन पे ने कांग्रेस को चेतावनी दी थी। इस पर अब कांग्रेस ने पलटवार कर फोन पे से सवाल किया है। कांग्रेस ने पूछा कि आपके एप से मध्य प्रदेश में रिश्वत नहीं ली जाती? मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर फोन पे से सवाल करते हुए ट्वीट किए हैं। इसमें लिखा है, ‘प्रिय फोन पे टीम, आप किस पोस्टर या बैनर की बात कर रहे हैं, कृपया उल्लेखित, स्पष्ट करें, सार्वजनिक करें।
क्या फोन पे अपने अधीन ट्रांसफर होने वाले पैसों के उपयोग के लिए भी उत्तरदायी है? क्या आप फोन पे के उपयोग-दुरूपयोग के मामले को भविष्य में मॉनिटर करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि आपके एप के माध्यम से ट्रांसफर किया गया पैसा कभी भी रिश्वत या भ्रष्टाचार के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा? क्या आप प्रमाणित करेंगे कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार नहीं है? और यदि है तो उसकी दर क्या है? क्या आपके किसी पदाधिकारी ने भाजपा के किसी नेता, सरकार से पिछले 7 दिनों में कोई संवाद नहीं किया है? कृपया स्पष्टता और पारदर्शिता के साथ आएं अन्यथा आपके इस ट्वीट को राजनीति से प्रेरित और एक दल विशेष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य में गिना जाएगा और आपके विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

कंपनी ने लोगो के इस्तेमाल पर की थी आपत्ति

इससे पहले फोन पे ने उसके लोगो के इस्तेमाल को लेकर ट्वीट किया था। इसमें फोन पे ने लिखा था कि कोई तीसरा पक्ष उसके ब्रांड लोगो का इस्तेमाल नहीं कर सकता। चाहे व राजनीतिक हो या गैर राजनीतिक। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लगाए पोस्टर में फोन पे के स्कैनर के साथ मुख्यमंत्री का फोटो लगाया था। इस पर फोन पे ने आपत्ति जताते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच पोस्टर वॉर चल रहा है। पहले कमलनाथ के करप्श्ननाथ लिखकर वांटेड के पोस्टर लगाए गए। इसके जवाब में कांग्रेस ने शिवराज के घोटाला राज के पोस्टर लगाए। इसके बाद शिवराज का एक और पोस्टर सामने आया। जिसमें लिखा है कि 50 फंीसदी लाओ, फोन पे काम कराओ।

क्यों न पढ़ाएं उत्कृष्ट देशभक्त की जीवनी: शिवराज

मध्यप्रदेश में वीर सावरकर शिक्षा के सिलेबर्स में क्यों नहीं पढ़ाने चाहिए। वीर सावरकर काले पानी में रहे और 2-2 जन्मों की सजा हुई। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। सेल्यूलर जेल में जब जाकर देखते हैं, किस तरह के सेल में सावरकर रहते थे। उनके दूसरे भाई भी उसी जेल में बंद रहे थे, ऐसे लोगों की जीवनी क्यों नहीं पढ़ाई जाए। बिल्कुल पढ़ाई जाएगी, जो उत्कृष्ट देशभक्त रहे हैं। गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में वीर सावरकर को शामिल करने का फैसला किया है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस फैसले के पक्ष में कहा कि वीर सावरकर महान क्रांतिकारी थे।

सिलेबस में सावरकार, क्रांतिकारियों का अपमान : कांग्रेस

कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि वीर सावरकर को किस हैसियत से शामिल करना चाहते हैं? यह बड़ा सवाल है और अफसोसजनक भी है। सावरकर के माफी मांगने के कई पत्र हमने पढ़े हैं, जो सोशल मीडिया पर आ चुके है। ऐसे व्यक्ति को क्रांतिकारी बताकर सिलेबस में जोडऩा शर्मनाक है और यह तो फ्रीडम फाइटर की तौहीन है। हम देश को चाहने वाले लोग हैं। वह भाजपा के मार्गदर्शक है, यह बात ही शर्मनाक है। हम तो इसका विरोध करेंगे। देश के लिए लडऩे वाले क्रांतिकारियों का इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए न कि माफी मांगने वाले का।

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