बीजेपी की महिला विरोधी नीतियों से पर्दा हटा: प्रियंका

बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी ने किया स्वागत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिए अपने फैसले में गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए 11 दोषियों की रिहाई रद्द कर दी। जिसके बाद दोषियों को फिर से जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। सीपीआई(एम) नेता बृंदा करात ने फैसले पर राहत जताते हुए कहा कि कम से कम, अभी कुछ न्याय की उम्मीद बची हुई है।
वहीं प्रियंका गांधी ने भाजपा पर निशाना साधा। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर साझा किए एक पोस्ट में लिखा कि अंतत: न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा पर्दा हट गया है। इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास मजबूत होगा। बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिलकिस बानो को बधाई। अंतत: न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार #BilkisBano के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भारतीय जनता पार्टी की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने गुजरात की भाजपा सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा की सोच अपराधियों को बचाने वाली थी ना कि पीडि़ता को न्याय दिलाने की।

गृह मंत्रालय के इशारे पर हुई थी दोषियों की रिहाई : बृंदा करात

वामपंथी पार्टी सीपीआई (एम) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। कम से कम यह फैसला न्याय की कुछ उम्मीद जगाता है। खासकर, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और गुजरात सरकार की क्षमताओं पर जो टिप्पणी की। यह गुजरात सरकार ही थी, जिसने दस्तावेज स्वीकार किए थे। कोर्ट ने इसे फर्जी माना है। बृंदा करात ने याचिकाकर्ता की ईमानदारी पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार और गुजरात सरकार का भी उसे समर्थन प्राप्त था। गृह मंत्रालय पर निशाना साधते हुए वामपंथी नेता ने कहा कि यह गृह मंत्रालय ही था, जिसने याचिका को प्रोत्साहित किया, जिससे दोषियों की रिहाई हुई। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत होना चाहिए।

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