फिर लगीं पाबंदियां, यूपी में कल से नाइट कर्फ्यू

चुनाव से पहले दिखने लगा कोरोना की नयी लहर का खतरा

  • शादी में 200 से ज्यादा लोगों को इजाजत नहीं, नए निर्देश जारी
  • यूपी की सीमा में आने वाले हर एक व्यक्ति की होगी ट्रेसिंग-टेस्टिंग
  • सार्वजनिक स्थलों पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। पांच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले कोरोना की रफ्तार तेज होने लगी है। देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की रफ्तार को देखते हुए विशेषज्ञ भी अब तीसरी लहर की आशंका जताने लगे हैं। लिहाजा एक बार फिर पांबदियों का दौर शुरू हो गया है। ओमिक्रॉन के मद्देनजर योगी सरकार ने प्रदेश में शनिवार यानी 25 दिसंबर से नाइट कफ्र्यू लगाने का फैसला किया है। वहीं शादी समारोह में दो सौ से अधिक लोगों को शामिल होने की इजाजत नहीं मिलेगी। सार्वजनिक स्थलों पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को भी अनिवार्य कर दिया गया है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने टीम-नाइन को निर्देश दिए हैं कि वे बाजारों में मास्क नहीं तो सामान नहीं के संदेश के साथ व्यापारियों को जागरूक करें। सडक़ों और बाजारों में हर किसी के लिए मास्क अनिवार्य किया जाए। पुलिस लगातार गश्त करे। देश के किसी भी राज्य अथवा विदेश से उत्तर प्रदेश की सीमा में आने वाले हर एक व्यक्ति की ट्रेसिंग-टेस्टिंग की जाए। बस, रेलवे और एयरपोर्ट पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए। तीसरी लहर को देखते हुए गांवों और शहरी वार्डों में निगरानी समितियों को पुन: सक्रिय किया जाए। औद्योगिक इकाइयों में कोविड हेल्प डेस्क और डे केयर सेंटर एक्टिव करें। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, पुडुचेरी और केरल में चुनाव के बाद कोरोना के मामले तेजी से बढ़े थे। कोर्ट ने चुनाव आयोग से संक्रमण के बीच चुनाव कराने के लिए जवाब भी मांगा था। अब यूपी सहित पांच राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के जिस तरह से मामले सामने आ रहे हैं, उससे साफ है कि चुनाव पर कोरोना की नयी लहर का खतरा मंडराने लगा है।

चुनाव टालने पर विचार करे सरकार : हाईकोर्ट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव से पहले कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जताई है। न्यायमूर्ति शेखर कुमार ने प्रधानमंत्री और चुनाव आयुक्त से अनुरोध किया है कि विधान सभा चुनाव में कोरोना की तीसरी लहर से जनता को बचाने के लिए राजनीतिक पार्टियों की चुनावी रैलियों पर रोक लगाई जाए। उनसे कहा जाए कि वे चुनाव प्रचार दूरदर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से करें। प्रधानमंत्री चुनाव टालने पर भी विचार करें क्योंकि जान है तो जहान है। न्यायमूर्ति शेखर कुमार ने जेल में बंद आरोपी संजय यादव की जमानत पर सुनवाई के दौरान यह अपील की। हाईकोर्ट ने कहा कि संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को एक-दो माह के लिए टाल दें क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी। जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भी दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि दैनिक समाचार पत्रों के अनुसार 24 घंटे में 6 हजार नए मामले मिले हैं। 318 लोगों की मौतें हुई हैं। यह समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है। इस महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, आयरलैंड, जर्मनी, स्कॉटलैंड जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है।

सुप्रीम कोर्ट से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की मांग

नई दिल्ली। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच अगले साल देश के पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं। इन्हें लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में मांग की गई है कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए 5 राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर वहां होने वाली राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाई जाए। याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग की ओर से राजनीतिक रैलियों को लेकर जो आदेश दिया गया है, उसका पालन नहीं हो रहा है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में वकील विशाल तिवारी ने दाखिल की है।

दिल्ली समेत छह राज्यों में भी लगी रोक

दिल्ली में क्रिसमस-न्यू ईयर पर होने वाले पब्लिक सेलिब्रेशन पर रोक लगा दी गई है। महाराष्टï्र में क्रिसमस और न्यू ईयर के पब्लिक सेलिब्रेशन की नई गाइडलाइंस जारी की हैं। तेलंगाना के गांव में 10 दिन का लॉकडाउन लगाया गया है। कर्नाटक में न्यू ईयर के जश्न पर रोक लगा दी गयी है जबकि तमिलनाडु में सेलिब्रेशन के लिए वैक्सीनेशन जरूरी किया गया है। वहीं ओडिशा में भी न्यू ईयर पार्टियों पर रोक लगा दी गयी है।

कोरोना से निपटने को तैयार आयोग, हालात की करेगा समीक्षा

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव पर कोरोना का संकट गहराने लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को यूपी में चुनाव टालने का सुझाव दिया है। इस पर मुख्य चुनाव आयुक्तसुशील चंद्रा ने कहा कि वे अगले हफ्ते स्थिति का जायजा लेने के लिए उत्तर प्रदेश जा रहे हैं। इसके बाद स्थिति की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि आयोग कोरोना से निपटने के लिए तैयार है और सारी तैयारियां हो चुकी हैं।

फरवरी में पीक पर होगी तीसरी लहर

आईआईटी कानपुर की स्टडी में ओमिक्रॉन को लेकर बड़ा दावा किया गया है। आईआईटी कानपुर की स्टडी के मुताबिक, भारत में कोरोना की तीसरी लहर फरवरी में अपने पीक पर होगी। शोधकर्ताओं के मुताबिक, देश में अगले साल तीन फरवरी को तीसरी लहर पीक पर होगी। शोधकर्ताओं ने तीसरी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए गौसियन मिक्सचर मॉडल नाम के सांख्यिकीय उपकरण का इस्तेमाल किया है।

देश में 358 हुए ओमिक्रॉन संक्रमित

देश में ओमिक्रॉन के कुल मामलों की संख्या 358 हो गई है। महाराष्ट्र में 88, दिल्ली में 67, तेलंगाना में 38, तमिलनाडु में 34, कर्नाटक में 31, गुजरात में 30, केरल में 27, राजस्थान में 22, हरियाणा-ओडिशा में चार-चार, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल में तीन -तीन, आंध्र प्रदेश और यूपी में दो-दो, चंडीगढ़, लद्दाख और उत्तराखंड में एक-एक केस मिले हैं।

 

भाजपा सरकार में जनता को मिल रही सबसे महंगी बिजली: अखिलेश

  • सपा की सरकार बनी तो जनता को देंगे सस्ती बिजली
  • सपा के प्रस्तावित विद्युत प्लांट को भी नहीं बनाया सरकार ने

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार में प्रदेशवासी देश की सबसे महंगी बिजली खरीदने को मजबूर हैं। साथ ही उन्होंने वादा किया कि प्रदेश में सपा की सरकार बनने पर बिजली दरों को सस्ता किया जाएगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आज ट्वीट किया, सपा सरकार में एटा व अन्य जिलों में प्रस्तावित बिजली के प्लांट अगर बन गये होते तो आज उप्र के लोगों को देश की सबसे महंगी बिजली नहीं खरीदनी पड़ती। उन्होंने आगे लिखा, सपा सरकार आने पर खेती, घरेलू बिजली, उद्योग व कारोबार को उम्मीद से ज़्यादा राहत और नियमित सस्ती बिजली देने का संकल्प हम दोहराते हैं। गौरतलब है कि विधान सभा चुनाव से पहले सपा प्रमुख ने खुद मोर्चा संभाल लिया है और वे छोटे दलों के साथ मिलकर भाजपा को चुनावी जंग में चित करने में जुटे हुए हैं। वे रैलियों में लगातार भाजपा पर प्रहार कर रहे हैं।

पिछले दिनों एक रैली में उन्होंने कहा था कि समाजवादी सरकार के अच्छे कामों पर अपना नामपट्ट लगाने और रंग बदलने के अलावा भाजपा सरकार ने कोई ठोस जनहित का काम नहीं किया। समाजवादी सरकार में कन्या विद्याधन और मेधावी छात्राओं को लैपटॉप देकर उनका भविष्य संवारने का काम हुआ था। छात्राओं को 30-30 हजार रुपए की धनराशि दी गई और बच्चों को मिड-डे-मील में फल-दूध दिया गया। 55 लाख गरीब महिलाओं को प्रतिवर्ष छह हजार रुपये की पेंशन दी गई थी। संगठन व सरकार के तमाम पदों पर महिलाओं को वरीयता दी गई थी। पंचायतों में महिला आरक्षण समाजवादी सरकार की ही देन है।

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