गहने रखने के लिए सालों पहले जब नहीं थे बैंक, घने जंगलों-पहाड़ों पर बनते थे लॉकर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
क्या आपने कभी सोचा है कि जब सालों-साल पहले बैंक नहीं हुआ करते थे, तब लोग अपनी दौलत, गहने-जेवरात को कहां छुपा कर रखते थे? ताकि वे लूटेरों से अपनी जमा-पूंजी को सुरक्षित रख सकें? शायद नहीं जानते होंगे। उस दौरान लोग अपने घरों में मजबूत से मजबूत तिजोरी बनवाते थे। वहीं, जिनके पास ज्यादा पैसे होते थे, वो लोग घर के अंदर गुप्त तिजोरियों का निर्माण करवाते थे। ऐसे में कोई आक्रमणकारी या फिर लूटेरा अगर लूटने के लिहाज से उनके घर के अंदर आ जाए, तो उनकी नजर से वो अपनी दौलत को बचा सके। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी थे, जो जंगल के बीचों-बीच पहाड़ में अपने लिए तिजोरियां बनवा लेते थे। ऐसा इसलिए ताकि प्राकृतिक दिखने वाली चट्टान के अंदर देखने का ख्याल शायद ही कभी किसी के मन में आए। इसी तरह की तिजोरी से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि चट्टान को बिना नुकसान पहुंचाए, बिल्कुल उसी के शेप में एक तिजोरी का निर्माण पहाड़ के तलहटी में किया गया है। इसे इतनी कुशलतापूर्वक बनाया गया है कि किसी को इसके बारे में पता ही नहीं चलेगा। ऐसे में बड़े आराम से यहां पर कीमती सामान को संग्रहित किया जा सकता है। इससे लूटेरे भी चकमा खा जाते थे और लोगों का अनमोल सामान बिल्कुल सुरक्षित रहता था। इस वीडियो को डिस्कवर द वल्र्ड नाम के यूजर ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि एक शख्स पहाड़ के नीचे मौजूद एक टुकड़े को बाहर खिंचता है। उसके अंदर काफी खाली जगह है, जिसमें खजाने को छुपाकर रखा जाता था। वहीं, दरवाजे पर भी पत्थर लगाए गए हैं, जिससे बाहर से किसी को इसके बारे में कुछ पता भी नहीं चल सकता। देखने में ऐसा लगता है मानो वो उस पहाड़ का हिस्सा हो। बता दें कि इस तरह की तिजोरियों का निर्माण सालों-साल पहले होता था, तब बैंक नहीं हुआ करते थे। हालांकि, ये वीडियो कहां का है, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है। दुनिया का सबसे पहला बैंक इटली के टस्कन सिटी ऑफ सिएना में 1472 ईस्वी में बना था, जिसका नाम बांका मोन्टे देई पाश्ची दी सिएना था। वहीं, भारत का पहला बैंक 1770 में खुला था, जिसका नाम बैंक ऑफ हिन्दुस्तान था। यह बैंक 1832 में बंद हो गया। वहीं, आजादी के पहले लगभग 600 बैंक भारत में रजिस्टर्ड थे, लेकिन कुछ बैंक ही आजादी के बाद बचे रहे। उस दौरान लोगों को बैंक पर ज्यादा भरोसा नहीं हुआ करता था।