दलित वोट बैंक पर टिकी भाजपा के रणनीतिकारों की निगाहें

लखनऊ। अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों और रणनीति को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी सक्रिय मोड में आ गई है। बीजेपी की नजर अब दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की है। भाजपा दलितों को लुभाने में व्यस्त है। अब इसी कोशिश में सरकार ने अंबेडकर कार्ड भी खेला है।
दरअसल भाजपा ने मौके की नजाकत को दिखते हुए यह कार्ड खेला है। जिस तरह से सूबे में बसपा धीरे-धीरे बिखर रही है उसका फायदा भाजपा उठाना चाह रही है। वह मौका लगते ही अपने इस अभियान में जुट गई है। भाजपा इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि अगर उसने वक्त रहते ये अभियान नहीं शुरू किया तो बसपा से छिटक कर उसका वोटबैंक किसी के भी पाले में जा सकता है। खासतौर पर जिस तरह से सपा ने अपनी सक्रियता बढ़ाई और छोटे क्षेत्रीय दल जो गठबंधन का प्रयास कर रहे हैं, उनके लिए ये वोट बैंक ऑक्सीजन का काम कर सकता है। ऐसे भाजपा को इस वोटबैंक को अपने पाले में करने की सख्त जरूरत महसूस हो रही है।
इसी क्रम में भाजपा ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दलितों को लुभाने के लिए अंबेडकर स्मारक के निर्माण की घोषणा की गई है। इस स्मारक में डॉ अंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित करने की योजना है। यूपी की राजधानी लखनऊ में इस स्मारक को बनाने की योजना है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद लखनऊ के लोक भवन में 29 जून को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में इस स्मारक का शिलान्यास कर सकते हैं। अंबेडकर स्मारक के निर्माण को मायावती की तर्ज पर दलितों को लुभाने की भाजपा की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। लखनऊ के ऐशबाग इलाके में यह मेमोरियल बनाया जा सकता है। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 25 फीट की प्रतिमा के अलावा कन्वेंशन सेंटर, लाइब्रेरी और अन्य सुविधाएं भी इस बड़े स्मारक में उपलब्ध कराई जानी हैं।
गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने कार्यकाल में लखनऊ से नोएडा तक अंबेडकर पार्क जैसे कई भव्य स्मारक बनवाए थे, जो आज भी दलितों के सबसे बड़े स्मारक और प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं। मायावती की ओर से स्मारक के निर्माण की आलोचना करने वाली भाजपा अब दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए उसी रास्ते पर चलते नजर आ रही है।

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