आंदोलन कर रहे किसानों की मांग गलत नहीं : मलिक
- किसानों के विरोध का मेघालय के राज्यपाल का समर्थन
- पीएम और गृह मंत्री करें आंदोलन में हस्तक्षेप
लखनऊ। अपने बयानों की वजह से मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक लगातार चर्चा में हैं। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध का समर्थन किया। साथ ही कहा गोवा सरकार में भ्रष्टाचार है और उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्रवाई जरूर करेंगे। सत्यपाल मलिक ने गोवा के बारे में कहा मैं गोवा में कोविड-19 से निपटने में भाजपा सरकार की खराब निर्वहण को लेकर अपनी टिप्पणी पर कायम हूं। गोवा सरकार ने जो कुछ भी किया उसमें भ्रष्टाचार था। मुझे गोवा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मेरे आरोप के लिए हटा दिया गया था। मैं लोहियावादी हूं; मैंने चरण सिंह के साथ समय बिताया है; मैं भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर सकता। सत्यपाल मलिक गोवा और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल भी थे। उन्होंने कहा गोवा सरकार की घर-घर राशन वितरण की योजना अव्यवहारिक थी। यह एक कंपनी के अनुरोध पर किया गया था, जिसने सरकार को पैसा दिया था। मुझसे कांग्रेस के लोगों समेत कई लोगों ने जांच करने को कहा। मैंने मामले की जांच की और प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी दी थी। राज्यपाल मलिक ने कहा, मैं वही कहता हूं जो मुझे लगता है। मैंने गोवा में हंगामा क्रिएट नहीं किया। मैंने मुख्यमंत्री को सलाह दी, यहां तक कि उनका समर्थन भी किया। उन्होंने कहा कि हम मौजूदा राज्यपाल हाउस की जगह एक नया राज्यपाल भवन बनाएंगे। यह एक हेरिटेज प्रॉपर्टी है और इसे ध्वस्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों के आंदोलन को सही ठहराते हुए कहा किसानों का विरोध पूरी तरह जायज है। मैंने चरण सिंह और लोहिया से यह सीखा है कि अपने समुदाय के हितों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। मेरा जन्म किसानों के बीच हुआ है। मैंने उनके संघर्षों को देखा और महसूस किया है। मोदी जी जब सीएम थे तो एमएसपी पर भी उनका यही नजरिया था। किसानों की मांग बिल्कुल भी गलत नहीं है। वे करीब एक साल से दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से 600 की मौत भी हो चुकी है। आप एक कुत्ते की मौत पर भी शोक व्यक्त करते हैं, लेकिन उन (मरते हुए किसानों) पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. यह अन्याय है।
चुनौती नहीं, सरकार को दे रहा हूं सलाह
सतपाल मलिक ने कहा मैं सरकार को चुनौती नहीं दे रहा हूं। मैं सिर्फ सलाह दे रहा हूं। अगर सरकार को मेरे बोलने से दिक्कत है तो मैं अपना पद छोड़ दूंगा। सरकार को आश्वस्त करना चाहिए कि वे संकटपूर्ण बिक्री की स्थिति उत्पन्न नहीं होने देंगे। किसान आंदोलन में कोई हिंसा नहीं हुई है। लाल किले की हिंसा उन लोगों के कारण हुई जो आंदोलन से जुड़े नहीं थे। किसान आंदोलन से जुड़े लोगों का हिंसा से कोई लेना-देना नहीं था। यदि किसान कानूनों से नाखुश हैं तो उसमें बदलाव करें, उसमें संशोधन करें। समस्या क्या है? उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन एक राष्टï्रव्यापी आंदोलन है, जो उत्तर-पूर्व में भी सक्रिय है। सरकार को गलत सलाह दी जा रही है। उन्हें विरोध की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। मेरा आकलन है कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो हम हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश को गंवा देंगे। मैंने अपने लिए उपलब्ध सभी मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है. कृषि मंत्री इसे हल नहीं कर सकते; प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को हस्तक्षेप करना चाहिए।