काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मुस्लिम पक्ष देगा जमीन

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच एक बड़ी पहल हुई है। सावन से पहले मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष को बड़ा तोहफा दिया है। मुस्लिम पक्षकारों ने ज्ञानवापी मस्जिद से सटी जमीन मंदिर प्रशासन को देने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद अब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए 1700 फीट जमीन मिलेगी। जानकारी के मुताबिक इसी जमीन पर कंट्रोल रूम बनाया गया था। बदले में मंदिर प्रशासन ने मुस्लिम पक्ष को 1000 फीट जमीन देने का फैसला किया है। फिलहाल ज्ञानवापी मस्जिद का मामला वाराणसी कोर्ट में विचाराधीन है।
मस्जिद पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने 1664 में नष्ट कर दिया था। फिर उसके अवशेषों से एक मस्जिद का निर्माण किया गया, जिसे मंदिर की भूमि के एक हिस्से पर मस्जिद के रूप में जाना जाता है। यही बात बताते हुए पहली बार 1991 में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वनाथ की ओर से ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति के लिए वाराणसी सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। तभी से यह मस्जिद विवादों में आ गई। याचिका तीन पंडितों ने दायर की थी। इसके बाद साल 2019 में वकील विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल कोर्ट में अर्जी दी। अनुरोध किया गया कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। फिलहाल ज्ञानवापी मस्जिद का मामला वाराणसी कोर्ट में विचाराधीन है।
वाराणसी कोर्ट में चल रहे मामले में कोर्ट के बाहर एक ऐसी पहल हुई है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। खबर है कि मस्जिद पक्ष के अधिवक्ताओं ने लिखित में मस्जिद से सटी जमीन को मंदिर प्रशासन को देने पर सहमति जताई है। मंदिर प्रशासन भी उतनी ही जमीन मस्जिद वाले हिस्से को देगा। हालांकि 1991 से चल रहे मामले की सुनवाई वाराणसी कोर्ट में चल रही है। मस्जिद पक्ष ने जो जमीन देने पर सहमति जताई है वह एक हजार वर्ग फुट से ज्यादा है। यह जमीन पूरी तरह से मस्जिद से सटी हुई है। फिलहाल इसी जमीन पर मंदिर प्रशासन का कंट्रोल रूम बना हुआ है, जिसे शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि यह जमीन पहले से ही प्रशासन के कब्जे में थी, लेकिन इस पर कॉरिडोर के काम को आगे बढ़ाने के लिए कानूनी दृष्टि से मस्जिद पक्ष की मंजूरी जरूरी थी। अब वह मंजूरी मिल गई है।
साथ ही प्रशासन मस्जिद पक्ष को लगभग उतनी ही जमीन देगा। आपको बता दें कि विश्वनाथ कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ खुद हर महीने काशी आते हैं और इस प्रोजेक्ट का निरीक्षण करते हैं। लेकिन इस मुद्दे की कानूनी लड़ाई अभी भी वाराणसी कोर्ट में चल रही है।
कोर्ट में 1991 से मामला चल रहा है। तमाम अपीलों और दलीलों के बीच मंदिर पक्ष के वादी वकील विजय शंकर रस्तोगी की अर्जी पर 8 अप्रैल 2021 को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने यहां एएसआई सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पांच सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम बनाकर ज्ञानवापी परिसर में धार्मिक प्रकृति और शिवलिंग का पता लगाने के लिए खुदाई की जाएगी। इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इनाजतिया मस्जिद की ओर से इस आदेश को चुनौती देते हुए 5 जुलाई को निगरानी याचिका दायर की गई थी। जबकि इससे पहले 30 अप्रैल को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने निगरानी याचिका दायर की थी। फिलहाल कोर्ट की बात करें तो मंदिर पक्ष ने इस मामले में रिवीजन नहीं करने की मांग की है। मंदिर की ओर से दाखिल अपने हलफनामे में संस्कृत से लेकर अंग्रेजी तक के सभी कोडों का जिक्र किया गया है, जिसके जरिए यह दावा किया गया है कि परिसर में मंदिर होने का प्रमाण देते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button