चुनावी हार से हाथी पस्त, रफ्तार बढ़ाने में जुटीं मायावती
आकाश आनंद जहां बीएसपी में जान नहीं फूंक पा रहे हैं... वहीं ईशान आनंद की सियासी एंट्री ने बीएसपी के भीतर की गहमागहमी बढ़ा दी है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः चुनावी हार से पस्त पड़े हाथी की रफ्तार बढ़ाने में जुटीं मायावती बहुजन समाज पार्टी के अंदर लगातार नए-नए प्रयोग कर रही हैं…… मायावती ने इस कड़ी में अपने परिवार के दो सदस्यों की राजनीति में भी एंट्री कराई है…… इनमें पहला नाम भाई आनंद कुमार का…. तो दूसरा नाम भतीजे आकाश आनंद का है….. हालांकि, दोनों ही अब तक बीएसपी को शीर्ष पर पहुंचाने में सफल नहीं हो पाए हैं….. आपको बता दें कि जाति-प्रधान समाज की गहराई से उभरकर, भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने लाखों दलितों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप दिया…… उनका तेज़ उदय भारत के राजनीतिक परिदृश्य के उथल-पुथल भरे इतिहास को चुनौती देता है….. जहां सत्ता मुख्य रूप से उच्च जाति और वर्ग के पास थी…… उनकी यात्रा उनके दृढ़ संकल्प को प्रमाणित करती है…..
दलित आइकन कांशीराम के आशीर्वाद से राजनीति में उनका प्रवेश….. अपने समुदाय को ऊपर उठाने और जातिगत पदानुक्रम को चुनौती देने की गहरी इच्छा से प्रेरित था…. वहीं मायावती का सत्ता में आना किसी उल्लेखनीय उपलब्धि से कम नहीं था….. पीवी नरसिम्हा राव ने इसे “लोकतंत्र का चमत्कार” कहा था…..1995 में, वह उत्तर प्रदेश की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री…. और पहली दलित मुख्यमंत्री बनीं….. और उन्होंने कांच की छत को तोड़ दिया…. और देश भर में लाखों दलितों को प्रेरित किया….. दलित आइकन को समर्पित पार्क, मूर्तियाँ और स्मारक बनाने सहित उनकी लोकलुभावन नीतियाँ उनके मुख्य निर्वाचन क्षेत्र में गूंज उठीं….. जिससे उन्हें ‘बहनजी’ का उपनाम मिला…..
हालांकि, मायावती का चमत्कार जल्द ही खत्म होने लगा…… उनके शासनकाल में कई विवाद हुए….. आलोचकों ने उन पर भ्रष्टाचार, फिजूलखर्ची और निरंकुश शासन का आरोप लगाया….. निजी परियोजनाओं पर अत्यधिक खर्च…… जिसमें उनकी आदमकद प्रतिमाएं भी शामिल हैं….. को लेकर उन्हें स्वतंत्र मीडिया के साथ-साथ जनता की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा….. उनके प्रति निष्ठा में अचानक बदलाव और नए गठबंधनों की तलाश को उनके करीबी समर्थकों ने भी राजनीतिक अवसरवाद करार दिया….. जैसा कि अपेक्षित था, मायावती की राजनीतिक किस्मत धीरे-धीरे कम होती गई….. उसके बाद के चुनावों में उनकी पार्टी का प्रदर्शन गिरता गया….. और उनके एक समय के वफादार समर्थक निराश हो गए….. उत्तर प्रदेश में सत्ता पर बीएसपी की पकड़ कमज़ोर हो गई….. जिससे मायावती राजनीति के हाशिए पर चली गईं….. एक समय संभावित प्रधानमंत्री के रूप में प्रचारित की जाने वाली मायावती का पतन सत्ता की नाजुकता….. और सार्वजनिक प्रशंसा की अस्थिर प्रकृति की मार्मिक याद दिलाता है…..
वहीं आज मायावती का पतन मार्केज़ के पितामह के अकेलेपन को दर्शाता है….. उनके मामले में यह अकेलापन सिर्फ़ व्यक्तिगत नहीं बल्कि राजनीतिक भी है……. क्योंकि उनकी पार्टी अपनी पुरानी गति पाने के लिए संघर्ष कर रही है…… करिश्माई और कभी प्रशंसित नेता रहीं मायावती ने खुद को लगातार अलग-थलग पाया है….. क्या यह मायावती का पतन है…… या उन्हें खारिज करना अभी जल्दबाजी होगी…… वहीं लगातार बसपा की निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए मायावती पूरी तरह से एक्टिव मोड में नजर आ रही हैं…. और अपनी पार्टी की कमान अपने भाई और भजीतों को सौंपना चाह रही हैं…. लेकिन भतीजा और भाई उनके अपेक्षा के अनुसार खरे नहीं उतर पा रहे हैं…. जिसको लेकर मायावती चिंतित दिखाई दे रही हैं…. इसी कड़ी में मायावती ने अपनी खोई राजनीतिक जमीन को वापस पाने के लिए अपने दूसरे भतीजे ईशान आनंद पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है…. अभी हाल ही में हुए बैठक में ईशान पहली लाइन में बैठे नजर आए जिसके बाद तमाम तरह की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं…..
वहीं आनंद और आकाश के बाद मायावती के परिवार से तीसरे शख्स के राजनीति में आने की चर्चा शुरू हो गई है….. उस शख्स का नाम है….. ईशान आनंद….. मायावती के भाई आनंद कुमार के छोटे बेटे ईशान आनंद पिछले दो दिनों से लगातार बीएसपी दफ्तर में देखे जा रहे हैं…..बुधवार को ईशान अपने बड़े भाई आकाश के साथ मायावती का जन्मदिन मनाने आए थे…… कहा जा रहा है कि मायावती ने मंच से ईशान का परिचय भी कराया….. वहीं गुरुवार को ईशान बीएसपी की बैठक में आकाश से आगे वाली कुर्सी पर बैठे नजर आए….. एक तरफ जहां मायावती के भाई आनंद कुमार अस्वस्थ चल रहे हैं…… तो दूसरी तरफ बड़े भतीजे आकाश राजनीति में कमाल नहीं कर पा रहे हैं…… आकाश आनंद सक्रिय राजनीति में साल 2017 में आए…… 2019 में उन्हें पहली बार मायावती के साथ सार्वजनिक मंचों पर देखा गया….. 2022 में मायावती ने आकाश को शक्ति दी….. और 2023 के दिसंबर में उत्तराधिकारी घोषित कर दिया….. इसके बावजूद आकाश आनंद हिट नहीं हो पा रहे हैं….
आपको बता दें कि 2023 में आकाश के जिम्मे मध्य प्रदेश, राजस्थान….. और छत्तीसगढ़ में बीएसपी का चुनावी कैंपेन था….. इन तीनों ही राज्यों के चुनाव में बीएसपी को बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद थी…… लेकिन तीनों ही जगहों पर आकाश परफॉर्म नहीं कर पाए….. 2018 में राजस्थान में बीएसपी को 6 सीटों पर जीत मिली थी…… जो 2023 में एक हो गई….. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीएसपी खाता नहीं खोल पाई….. आकाश तेलंगाना भी गए….. लेकिन वहां भी कमाल नहीं कर पाए….. लोकसभा चुनाव में आकाश के हिट होने के लिए बीएसपी ने बिसात बिछाई…… लेकिन बीच चुनाव में ही मायावती आकाश की वजह से बैकफुट पर आ गईं….. आखिर में आकाश को पूरे कैंपेन से हटना पड़ा….. बता दें कि लोकसभा के बाद आकाश की बीएसपी में मजबूत वापसी तो हुई….. लेकिन आकाश कमाल नहीं कर पाए….. आकाश यूपी उपचुनाव और हरियाणा चुनाव दोनों में बीएसपी के लिए कुछ खास नहीं कर पाए….. वर्तमान में आकाश के जिम्मे दिल्ली चुनाव है…… दिल्ली में 2008 में आखिरी बार बीएसपी 2 सीटों पर जीती थी….. उसे 15 प्रतिशत वोट मिले थे….. आकाश के लिए इस रिकॉर्ड को वापस पाना आसान नहीं है…..
बता दें कि आकाश और ईशान दोनों ने अपनी पढ़ाई लंदन से की है…… आकाश आनंद जहां लंदन से एमबीए की डिग्री हासिल कर चुके हैं…… वहीं ईशान ने लंदन के वेस्टमिंस्टर कॉलेज से लीगल स्टडी की पढ़ाई की है…… ईशान आकाश से करीब 3 साल छोटा है….. आकाश की तरह ही पढ़ाई करने के बाद ईशान भी पिता का बिजनेस संभाल रहे हैं….. आकाश जब लंदन से लौटे थे….. तब शुरू-शुरू में पिता का कारोबार ही संभालते थे….. मायावती के भाई आनंद कुमार के नाम से कई कंपनियां अभी संचालित हो रही हैं….. मायावती की टेंशन आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर लगातार बढ़ा रहे हैं…… वकालत की पढ़ाई कर राजनीति में आए चंद्रशेखर लगातार दलितों के बीच अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं…. 2024 के चुनाव में चंद्रशेखर अकेले दम पर नगीना सीट से जीतने में भी कामयाब हो गए….. चंद्रशेखर की नजर दलित बहुल सीटों पर है…. इधर, दलितों के बीच लगातार मायावती का जनाधार घटता जा रहा है…… 2024 के चुनाव में जहां बीएसपी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली….. वहीं उसे सिर्फ 9 प्रतिशत वोट यूपी में मिले…. मायावती की पार्टी जाटव समुदाय तक ही सिमट कर रह गई है…..