पांच द्वीपों के वजूद पर मंडरा रहा है खतरा

नई दिल्ली। मालदीव समेत दुनिया के 5 सबसे खूबसूरत द्वीप 21वीं सदी के साथ गायब हो जाएंगे। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि छह दशक से भी कम समय में ये आइसलैंड पानी में डूब जाएंगे और यह ग्लोबल वार्मिंग के कारण होगा।
40 के दशक में इसे अमेरिकी वैज्ञानिक बेनो गुटेनबर्ग ने देखा था। एक अध्ययन के दौरान उन्हें शक हुआ कि समुद्र में पानी बढ़ रहा है। अपने संदेह की पुष्टि करने के लिए, गुटेनबर्ग ने पिछले 100 वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन किया और उनका संदेह विश्वास में बदल गया। धु्रवीय बर्फ के पिघलने से समुद्र का पानी लगातार बढ़ रहा है। नब्बे के दशक में नासा ने भी इसकी पुष्टि की थी। तब से, ग्लोबल वार्मिंग के अन्य खतरों पर चर्चा तेज हो गई। इसके साथ ही यह डर भी बढ़ गया कि जल्द ही द्वीप डूबने लगेंगे।
रीडर्स डाइजेस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिपोसोलोमन द्वीप दक्षिण प्रशांत महासागर में लगभग 1000 द्वीपों से बना है जो पानी में डूबे हुए हैं। इसके मुताबिक 1993 से यानी इसकी निगरानी शुरू होने के बाद से ही द्वीपसमूह के आसपास का पानी हर साल 8 मिमी तक बढ़ रहा है। पर्यावरण और विज्ञान पत्रिका एनवायरनमेंटल रिसर्च लेटर्स के मुताबिक, इसके 5 द्वीप जलमग्न हो गए हैं।
दक्षिण एशिया के उत्तर में स्थित मालदीव भी खतरे में है। पर्यटकों के लिए स्वर्ग कहे जाने वाले इस द्वीप को हिंद महासागर का गौरव भी कहा जाता है। यह पर्यटकों की पहली पसंद मानी जाती है। हाल ही में बॉलीवुड की कई हस्तियां यहां छुट्टियां मनाने आई हैं। लेकिन विश्व बैंक समेत कई संस्थाओं को डर है कि साल 2100 तक समुद्र के पानी में तेजी से बढ़ोतरी के साथ यह द्वीप देश पानी में डूब सकता है।
तीसरे नंबर पर प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीप देश पलाऊ भी समुद्र में डूबने की कगार पर खड़ा एक द्वीप है। पलाऊ नेशनल वेदर सर्विस ऑफिस और पैसिफिक क्लाइमेट चेंज सर्विस प्रोग्राम ने मिलकर निष्कर्ष निकाला है कि 1993 से यहां समुद्र का पानी हर साल लगभग 0.35 इंच बढ़ रहा है। अगर गर्मी इतनी तेजी से बढ़ी तो सालाना 24 मीटर की दर से जलस्तर बढऩा शुरू हो जाएगा। यह 2090 तक हो सकता है। इसके बाद द्वीप किसी भी तरह से नहीं बचेगा।
प्रशांत महासागर में चौथे नंबर पर स्थित देश फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया का नाम है। हवाई से महज 2500 मील की दूरी पर स्थित द्वीपों का यह समूह 607 द्वीपों से मिलकर बना है। इसका सिर्फ 270 वर्ग मील जमीन का है, जिसमें पहाड़ और समुद्र तट शामिल हैं। समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण, इसके कई द्वीप तेजी से पानी में डूब गए थे। जबकि कई द्वीपों का आकार लगातार छोटा होता जा रहा है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ कोस्टल कंजर्वेशन में छपा है।
खूबसूरत समुद्र तटों से बने फिजी द्वीप में भी बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं। दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित यह द्वीप भी खतरे में है। पिघलने वाली धु्रवीय बर्फ भी अगले कुछ दशकों में इसे समुद्र के नीचे ले जाएगी। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन का भी यही कहना है। विश्व बैंक के अनुसार, पिछले कुछ दशकों में किनारे के कई गांवों ने 15-20 मीटर तक डूबने की बात कही।

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