पैंगोंग झील से पीछे हटेंगी दोनों देशों की सेनाएं : राजनाथ

  • रक्षा मंत्री ने राज्य सभा में किया ऐलान, खत्म हो रहा भारत-चीन सीमा तनाव
  • पेट्रोलिंग समेत कई मुद्दों पर चर्चा जारी, अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा भारत
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज राज्य सभा में भारत और चीन के बीच तनाव को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि एलएसी के पास लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध अब समाप्त हो गया है। पैंगोंग झील विवाद पर सहमति बन गई है। अब यहां से दोनों देशों की सेनाएं अपने सैनिकों को पीछे हटाएंगी। उन्होंने कहा कि सितंबर 2020 से ही भारत और चीन की सेनाओं और राजनैतिक स्तर पर बातचीत हो रही है। समझौते के अनुसार दोनों पक्ष फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट को चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से हटाएंगे। पैंगोंग झील को लेकर हुए समझौते के मुताबिक चीन अपनी सेना को फिंगर 8 से पूर्व की ओर रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना को फिंगर 3 के पास अपने परमानेंट बेस पर रखेगा। जब दोनों सेनाएं पूरी तरह से हट जाएंगी उसके बाद 48 घंटे के अंदर दोनों देशों के बीच एक बैठक होगी। उन्होंने कहा कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है। सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी एलएसी पर डिप्लॉयमेंट तथा पेट्रोलिंग के बारे में कुछ बकाया मुद्दे बचे हैं। इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौता तथा प्रोटोकॉल के तहत पूर्ण डिसइंगेजमेंट जल्द से जल्द कर लिया जाए। चीन भी देश की संप्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है। चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा। चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा जमा रखा है लेकिन हम अपनी एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ेंगे।
43 हजार वर्ग किमी जमीन पर कब्जा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन ने पिछले साल एलएसी के आसपास प्रवेश करने का प्रयास किया था हमने कार्रवाई की। गोला बारूद भी पिछले साल इकट्ठा किया था। चीन लद्दाख के इलाके में अनाधिकृत तरीके से 1962 से कब्जा बना रहा है, पाकिस्तान ने भी चीन को हमारी जमीन दी है। चीन का अनाधिकृत तरीके से 43 हजार वर्ग किमी पर कब्जा है। इससे चीन और भारत के संबंधों पर असर पड़ा है।
गलवान में मारे गए थे चीन के 45 सैनिक
गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। इस बीच एक रूस सामाचार एजेंसी ञ्ज्रस्स् ने दावा किया है कि 15 जून को गलवान घाटी झड़प में कम से कम 45 चीनी सैनिक भी मारे गए थे। हालांकि चीन अभी तक आधिकारिक तौर पर अपने सैनिकों के मरने की बात को नहीं कबूला है।
चीन को सुझाए गए हैं तीन रास्ते
रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, ‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए। तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।
भारत के पास है बढ़त
रक्षा मंत्री ने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं वहां मौजूद हैं। भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारा एज बना हुआ है। भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैंगोंग त्से के साउथ एवं नॉर्थ किनारे पर दिया है। हमारी सेनाओं नेयह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं और अनवरत रहे हैं।

प्रयागराज पहुंचीं प्रियंका, कार्यकर्ताओं ने किया स्वागत
  • कांग्रेस महासचिव का संगम स्नान और दर्शन-पूजन का है कार्यक्रम
4पीएम न्यूज नेटवर्क. प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जमीन मजबूत करने के लिए प्रियंका वाड्रा तेजी से सक्रिय हो गई हैं। कल सहारनपुर में किसान पंचायत को संबोधित करने के बाद प्रियंका आज प्रयागराज पहुंचीं। बमरौली एयरपोर्ट पर कांग्रेसी नेताओं ने उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट से काफिले संग प्रियंका अपने ननिहाल स्वराज भवन पहुंची। गेट पर प्रियंका गांधी का जोरदार स्वागत किया गया। पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत तमाम कांग्रेसियों ने प्रियंका का स्वागत किया। यहां उनका संगम में डुबकी लगाने और दर्शन-पूजन का कार्यक्रम है। गौरतलब है कि यूपी की राजनीति में प्रवेश करने के बाद कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने मार्च 2017 में संगम से गंगा यात्रा शुरू की थी। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रियंका का यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रियंका के दौरे से कांग्रेसियों में जोश का माहौल है। पूर्व में 1975 में इंदिरा गांधी तो 2001 में सोनिया गांधी मेला के दौरान संगम आईं थी।

नए कृषि कानूनों की वापसी तक जारी रखेंगे संघर्ष

  • आंदोलन को धार देने में जुटे किसान नेता
  • आज भी सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर बंद
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन 75 से भी ज्यादा दिन से चल रहा है। किसान नेता एक बार फिर आंदोलन को धार देने में जुटे हैं। वे आंदोलन को तेज करेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि वे कृषि कानूनों की वापसी तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए सिरे से किसानों को बातचीत का न्योता देने के बावजूद किसान नेता आंदोलन तेज करने जा रहे हैं। चक्काजाम के बाद अब वे रेल रोको अभियान चलाएंगे। 18 फरवरी को पूरे देश में किसान रेल का संचालन ठप करेंगे। कल से किसानों की आंदोलन को धार देने की कवायद शुरू होगी। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा की सिंघु बॉर्डर पर बैठक हुई। इसमें अब तक आंदोलन की समीक्षा करने के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा हुई। इसके तहत कल फरवरी से राजस्थान के भी सभी रोड टोल प्लाजा को टोल मुक्त करवाया जाएगा। 14 को कैंडल मार्च निकाला जाएगा। 16 फरवरी को किसान मसीहा सर छोटूराम की जयंती के दिन किसान एकजुटता दिखाएंगे और 18 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक देशभर में रेल रोको कार्यक्रम किया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button