चिराग पर डोरे डाल रहे तेजस्वी, अब किया ये फैसला

नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में भतीजे चिराग पासवान और चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच सत्ता और प्रतिष्ठा की लड़ाई जारी है। उधर, राजद एक बार फिर एलजेपी के युवा नेता को अपने साथ लाने की कवायद में जुटी है। इतना ही नहीं राजद चिराग पासवान को महागठबंधन में लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब तेजस्वनी यादव ने उन्हें खुश करने के लिए नई घोषणा की है।
बता दें कि राजद ने चिराग पासवान के दिवंगत पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती पांच जुलाई को मनाने की घोषणा की है। सूत्रों के मुताबिक राजद की यह कवायद चिराग को अपने खेमे में लाने की एक और कोशिश है। हालांकि इस दिन राष्ट्रीय जनता दल की 25वींवर्षगांठ भी है। बता दें कि पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था और अकेले ही मैदान में उतरी थी और उसे करीब छह फीसद(26 लाख) वोट मिले थे। इस वजह से तेजस्वी यादव चाहते हैं कि अगर चिराग उनके पक्ष में आते हैं तो फिर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी इसका फायदा हो सकता है। वैसे एलजेपी में ब्रेक के साथ तेजस्वी यादव ने चिराग को अपने साथ आने का ऑफर दिया था। इसके साथ ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा था कि चिराग पासवान बिहार के बड़े नेता हैं और हर कोई चाहता है कि वह हमारे साथ रहें। जदयू और भाजपा ने उन्हें धोखा दिया है।
चिराग पासवान ने अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान के जन्मदिन पर पांच जुलाई से हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा शुरू करने की घोषणा की है। हाजीपुर संसदीय क्षेत्र उनके पिता का कार्य स्थल रहा है। इतना ही नहीं पूरे बिहार में आशीर्वंद यात्रा का आयोजन किया जाएगा और वे अपने लिए जनसमर्थन की ताकत दिखाकर कानूनी संघर्ष का रास्ता अख्तियार करेंगे।
एलजेपी में ब्रेक के बाद चिराग पासवान के राजनीतिक भविष्य को लेकर बिहार में सियासी अटकलें जारी हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे जमीनी स्तर की राजनीति है, जिसमें पशुपति कुमार पारस भले ही अपने समर्थन का दावा करें, लेकिन असली समर्थन चिराग पासवान के पक्ष में देखने को मिल रहा है। इसका कनेक्शन वर्ष 2020के विधानसभा चुनाव से भी जुड़ा है, क्योंकि सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के गठबंधन के खिलाफ जाने के बाद भी चिराग को अपने दम पर एलजेपी के लिए करीब 26 लाख वोट मिले थे। एनडीए के खाते में 1 करोड़ 57 लाख 01 हजार 226 वोट डाले गए। जबकि महागठबंधन के खाते में 1 करोड़ 56 लाख 88 हजार 458 वोट डाले गए। अगर हम इसे प्रतिशत के लिहाज से देखें तो एनडीए को 37.26 प्रतिशत वोट मिले और महागठबंधन को 37.23 प्रतिशत वोट मिले। महागठबंधन और एनडीए की जीत में फैसला सिर्फ करीब 12000 वोटों का था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button